मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

महिला रोगों के लिए रामबाण है लैकेसिस

महिला रोगों के लिए रामबाण है लैकेसिस

अनेक स्त्रियां अत्यधिक रक्तस्राव की शिकार होती हैं, जिसका इलाज साधारण तौर पर एलोपैथ चिकित्सक गर्भाशय को सर्जरी से निकाल  कर करना चाहते हैं. लेकिन होमियोपैथी में अनेक औषधियां हैं, जिसमें सर्प विष से बनी लैकेसिस का पहला स्थान है.
डॉ सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार अपने होमियोपैथी के अनूभूत प्रयोग में लिखते हैं-स्त्रियों की युवावस्था निकल जाने तथा वृद्धावस्था आने पर मासिक की जो भी शिकायतें होती हैं, उनमें लैकेसिस अतिउत्तम औषधि है.
गले के टांसिल में ऐसा लक्षण देखा जाता है कि रोगी को तरल पदार्थ निगलने में कष्ट होता है, परंतु स्थूल पदार्थ आसानी से निगल जाता है-यह लैकेसिस का विचित्र लक्षण है-जैसे सर्प स्थूल पदार्थ (मेढक) को आसानी से निगल लेता है. लैकेसिस का गले पर विशेष प्रभाव है. इस दवा के परीक्षण के बाद डॉ हेरिंग जीवन भर अपने गले का बटन नहीं लगा सके और न ही कभी गले में टाई बांध सके.
डॉ एनएम चौधरी अपने मेटेरिया मेडिका में लिखते हैं कि एक स्त्री को प्रसूताजन्य पागलपन था. उसे अपने पति से शिकायत थी कि वह उसके प्रति विश्वासघाती है, किसी दूसरी स्त्री से लुके-छिपे प्रेम करता है. इस लक्षण पर उसे लैकेसिस दवा दी गयी और वह ठीक हो गयी.
लैकेसिस का मानसिक लक्षण यह है कि रोगी को किसी के प्रति विश्वासघात का दृढ़ निश्चय होता है.
डॉ. सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार –होमियोपैथी के अनुभूत प्रयोग के पृष्ठ 75 पर लिखते हैं कि एक युवक ने रात-दिन अध्ययन किया. इतना पढ़ा कि दिमाग फिर गया. पागलों की सी बातें करने लगा. एक विषय पर बोलना शुरू करता, बीच में भूल जाता कि क्या बोल रहा है, झट से दूसरे विषय पर बोलना शुरू कर देता, अनाप-शनाप कुछ भी बकता जाता. बड़ी जल्दी-जल्दी बोलता, किसी को समझ ही न आता वह बोल क्या रहा है. उसे लैकेसिस दवा दी गयी और उसका पागलपन ठीक हो गया.
एक बालक का कान पक गया था. उसमें से मवाद आती थी. मवाद के सूख जाने पर उसका सुनना भी बंद हो गया था. उसे लैकेसिस दी गयी. दवा देने के एक हफ्ते बाद ही वह सुनने लग गया.

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