कब्ज का होमियोपैथी में इलाज
होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में इलाज के लिए दवाओं का चयन व्यक्तिगत लक्षणों पर आधारित होता है. यही एक तरीका है जिसके माधयम से रोगी के सब विकारों को दूर कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है. होमियोपैथी का उद्देश्य कब्ज (Constipation) करने वाले कारणों का सर्वमूल नाश करना है न की केवल कब्ज (Constipation) का. जहां तक चिकित्सा सम्बन्धी उपाय की बात है तो होमियोपैथी में कब्ज (Constipation) के लिए अनेक दवाइयां ( Drugs) उपलब्ध हैं. व्यतिगत इलाज़ के लिए एक योग्य होम्योपैथिक (Qualified Homeopathic) डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
नक्स-वोमिका, ग्रैफाइटिस, प्लम्बम, ओपियम तथा ब्रायोनिया आदि इस रोग की श्रेष्ठ औषधियां मानी जाती हैं.
नक्स-वोमिका, ग्रैफाइटिस, प्लम्बम, ओपियम तथा ब्रायोनिया आदि इस रोग की श्रेष्ठ औषधियां मानी जाती हैं.
नक्स-वोमिका 30, 200 – जिन लोगों को अधिक पढ़ना-लिखना पड़ता है, जो आलसी की भांति बैठे-बैठे दिन बिताते हैं, जो जरा-सी बात में ही चिढ़ जाते हैं, खिन्न रहते हैं तथा जिनके पेट में कब्ज और गड़बड़ी रहती है, उनके लिए इस औषधि को 30 क्रम में देना अच्छा रहा है. यदि बारंबार पाखाने की हाजत हो, परन्तु हर बार थोड़ा पाखाना ही हो तथा पेट भली-भांति साफ न हो, बार-बार पाखाना हो जाने पर ही कुछ आराम का अनुभव होता हैं – ऐसे विशेष लक्षणों में ही इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए. यदि दस्त की हाजत बिल्कुल न हो तो इसे नहीं देना चाहिए. डॉ० कार्टियर के मतानुसार कब्ज दूर करने के लिए ‘नक्स’ को निम्नक्रम में तथा बार-बार देना वर्जित है. इसका प्रयोग उच्च-शक्ति में ही करना चाहिए.
मर्क-डलसिस 1x वि० – यदि पाखाना न आता हो तथा उसे लाना आवश्यक हो तो इस औषधि को 2 से 3 ग्रेन की मात्रा में हर एक घंटे बाद देते रहने से पाखाना आकर पेट साफ हो जाता है, परन्तु इसे उचित होमियो-चिकित्सा नहीं माना जाता है.
ब्रायोनिया 6, 30, 200- सिरदर्द, यकित में दर्द, सिहरन का अनुभव, वात से उत्पन्न कब्ज, गर्भावस्था एवं गर्मी के दिनों का कब्ज, बच्चों का कब्ज, सूखा-बड़ा-लंबा लेंड़ एवं आंतों का काम न करना – आदि लक्षणों में यह दवा कारगर है. इस औषधु का रोगी गरम प्रकृति का होने के कारण सूर्य की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाता. नक्स तथा ब्रायोनिया में यह अंतर है कि पाखाने की बारंबार हाजत होना नक्स का लक्षण है तथा पाखाने की हाजत न होना ब्रायोनिया का लक्षण है.
ग्रैफाइटिस 6, 30- यदि मल बड़ा तथा निकलने में कष्ट देता हो तो इस दवा को दिन में दो बार के हिसाब से कई महीने सेवन करते रहना चाहिए. महिलाओं के मासिक धर्म में विलंब होने के साथ ही लंबा, गांठों अथवा गोलियों वाला मल हो तथा उस पर आंव चिपकी हो, जो कठिनाई से निकले तथा कई दिनों तक पाखाना न आता हो, तो इस औषधि का उपयोग लाभकारी है
प्लम्बम 6- कब्ज के साथ शूल-वेदना हो तो इसका प्रयोग हितकर है.
ओपियम 30, 200- सिर में भारीपन, सिर में चक्कर आना, लगातार तंद्रा की स्थिति, चेहरे का लाल पड़ जाना, पेशाब कम मात्रा में होना, कुछ दिनों तक लगातार कोठा साफ न होना, आंखों का खुश्क होना, छोटी-छोटी कठोर काली तथा कठोर गोलियों की तरह मल निकले तो ये दवा फायदेमंद है.
हाईड्रैस्टिस Q, 2x,30- डॉ आर ह्यूजेज के मुताबिक कब्ज के लिए यह औषधि नक्स से भी अधिक लाभकारी है. सुबह नाश्ते से पूर्व इस दवा के मूल अर्क को 1बूंद की मात्रा में कई दिनों तक सेवन कीजिए, तो कब्ज में निश्चित लाभ होगा. यदि रोगी को केवल कब्ज की ही शिकायत हो, तो नक्स की अपेक्षा इसे देना अधिक अच्छा है. 2x शक्ति में भी यह औषधि बहुत लाभ करती है.
सल्फर 30- बार-बार पाखाना करने जाना, पेट का पूरी तरह साफ न होना, गुदा द्वार में भारीपन और गर्मी लगना, खुलजी या अन्य तरह का चर्म रोग हो, बेहोशी आती हो तथा अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है, तो यह दवा अत्यंत गुणकारी है.
सीपिया 30, 200- मल-द्वार में दर्द, पाखाना होने के बाद गुदा में डाट सी लगी हुई अनुभव होना तथा मुलायम टट्टी का भी कठिनाई से निकलना आदि लक्षणों में यह दवा लाभ करती है. किंतु ध्यान रहे यह दवा स्त्रियों के कब्ज में ज्यादा फायदा पहुंचाती है क्योंकि इसके कब्ज में जरायु संबंधी कई रोग भी शामिल होते हैं.
मैग्नेशिया-म्यूर 30- यह औषधि बच्चों के दांत निकलते समय कब्ज में हितकर है. बच्चों का बकरी के मैंगनी के समान बहुत थोड़ी टट्टी करना, जो कि गुदा के किनारे पर आकर टूट-टूट कर गिरती हो, तो यह दवा लाभ करती है. बड़े लोगों में ऐसी कब्ज प्रायः जिगर के रोगियों को होती है.
एल्युमिना 30, 200- बहुत तेज कब्ज, पाखाना जाने की इच्छा न होना, कई दिनों के बाद पाखाने के लिए जाना, पाखाना निकालने के लिए गुदा पर बहुत जोर लगाना तथा कांखना, नरम टट्टी का भी सरलता से न निकलना, सख्त, सूखी, छोटी तथा बकरी की लेंड़ी के समान लाल, काली, काली एवं खुश्क टट्टी होना, जिसे निकालने के लिए गुदा में अंगुली डालनी पड़े- इन लक्षणों में यह औषधि विशेष लाभ करती है. इस तरह के कब्ज का मरीज आलू को हजम नहीं कर पाता.
एलू 30- एल्युमिना से विपरीत लक्षणों में यह औषधि लाभ करती है. हर समय टट्टी की हाजत बने रहना तथा अनजाने में ही सख्त टट्टी का निकल जाना- जैसे लक्षणों में इसका प्रयोग करना चाहिए
फास्फोरस 3, 30- खूब संकरा तथा लंबा लेड़ निकलने के लक्षण में यह लाभकारी है.
नेट्रम-म्यूर 12X वि 200- यह भी कब्ज की उत्तम दवा है. लगातार पाखाना लगना, परन्तु कोठे का साफ न होना, बड़ा तथा मोटा लेंड़ अत्यंत कष्ट से निकलना तथा थोड़ा सा पतला पाखाना भी होना, तलपेट में दबाव, सिर में भारीपन तथा अरुचि के लक्षणों में यह फायदेमंद है.
लाइकोपोडियम 30- मुंह में पानी भर आना, पाखाने की हाजत होते हुए भी पाखाना न होना तथा बड़े कष्ट से सूखा तथा कड़ा मल थोड़ी मात्रा में निकलना, पेट में आवाज होना, पेट का फूल जाना तथा पेट में गर्मी का अनुभव होना आदि लक्षणों में लाभकारी है.
मर्क-डलसिस 1x वि० – यदि पाखाना न आता हो तथा उसे लाना आवश्यक हो तो इस औषधि को 2 से 3 ग्रेन की मात्रा में हर एक घंटे बाद देते रहने से पाखाना आकर पेट साफ हो जाता है, परन्तु इसे उचित होमियो-चिकित्सा नहीं माना जाता है.
ब्रायोनिया 6, 30, 200- सिरदर्द, यकित में दर्द, सिहरन का अनुभव, वात से उत्पन्न कब्ज, गर्भावस्था एवं गर्मी के दिनों का कब्ज, बच्चों का कब्ज, सूखा-बड़ा-लंबा लेंड़ एवं आंतों का काम न करना – आदि लक्षणों में यह दवा कारगर है. इस औषधु का रोगी गरम प्रकृति का होने के कारण सूर्य की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाता. नक्स तथा ब्रायोनिया में यह अंतर है कि पाखाने की बारंबार हाजत होना नक्स का लक्षण है तथा पाखाने की हाजत न होना ब्रायोनिया का लक्षण है.
ग्रैफाइटिस 6, 30- यदि मल बड़ा तथा निकलने में कष्ट देता हो तो इस दवा को दिन में दो बार के हिसाब से कई महीने सेवन करते रहना चाहिए. महिलाओं के मासिक धर्म में विलंब होने के साथ ही लंबा, गांठों अथवा गोलियों वाला मल हो तथा उस पर आंव चिपकी हो, जो कठिनाई से निकले तथा कई दिनों तक पाखाना न आता हो, तो इस औषधि का उपयोग लाभकारी है
प्लम्बम 6- कब्ज के साथ शूल-वेदना हो तो इसका प्रयोग हितकर है.
ओपियम 30, 200- सिर में भारीपन, सिर में चक्कर आना, लगातार तंद्रा की स्थिति, चेहरे का लाल पड़ जाना, पेशाब कम मात्रा में होना, कुछ दिनों तक लगातार कोठा साफ न होना, आंखों का खुश्क होना, छोटी-छोटी कठोर काली तथा कठोर गोलियों की तरह मल निकले तो ये दवा फायदेमंद है.
हाईड्रैस्टिस Q, 2x,30- डॉ आर ह्यूजेज के मुताबिक कब्ज के लिए यह औषधि नक्स से भी अधिक लाभकारी है. सुबह नाश्ते से पूर्व इस दवा के मूल अर्क को 1बूंद की मात्रा में कई दिनों तक सेवन कीजिए, तो कब्ज में निश्चित लाभ होगा. यदि रोगी को केवल कब्ज की ही शिकायत हो, तो नक्स की अपेक्षा इसे देना अधिक अच्छा है. 2x शक्ति में भी यह औषधि बहुत लाभ करती है.
सल्फर 30- बार-बार पाखाना करने जाना, पेट का पूरी तरह साफ न होना, गुदा द्वार में भारीपन और गर्मी लगना, खुलजी या अन्य तरह का चर्म रोग हो, बेहोशी आती हो तथा अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है, तो यह दवा अत्यंत गुणकारी है.
सीपिया 30, 200- मल-द्वार में दर्द, पाखाना होने के बाद गुदा में डाट सी लगी हुई अनुभव होना तथा मुलायम टट्टी का भी कठिनाई से निकलना आदि लक्षणों में यह दवा लाभ करती है. किंतु ध्यान रहे यह दवा स्त्रियों के कब्ज में ज्यादा फायदा पहुंचाती है क्योंकि इसके कब्ज में जरायु संबंधी कई रोग भी शामिल होते हैं.
मैग्नेशिया-म्यूर 30- यह औषधि बच्चों के दांत निकलते समय कब्ज में हितकर है. बच्चों का बकरी के मैंगनी के समान बहुत थोड़ी टट्टी करना, जो कि गुदा के किनारे पर आकर टूट-टूट कर गिरती हो, तो यह दवा लाभ करती है. बड़े लोगों में ऐसी कब्ज प्रायः जिगर के रोगियों को होती है.
एल्युमिना 30, 200- बहुत तेज कब्ज, पाखाना जाने की इच्छा न होना, कई दिनों के बाद पाखाने के लिए जाना, पाखाना निकालने के लिए गुदा पर बहुत जोर लगाना तथा कांखना, नरम टट्टी का भी सरलता से न निकलना, सख्त, सूखी, छोटी तथा बकरी की लेंड़ी के समान लाल, काली, काली एवं खुश्क टट्टी होना, जिसे निकालने के लिए गुदा में अंगुली डालनी पड़े- इन लक्षणों में यह औषधि विशेष लाभ करती है. इस तरह के कब्ज का मरीज आलू को हजम नहीं कर पाता.
एलू 30- एल्युमिना से विपरीत लक्षणों में यह औषधि लाभ करती है. हर समय टट्टी की हाजत बने रहना तथा अनजाने में ही सख्त टट्टी का निकल जाना- जैसे लक्षणों में इसका प्रयोग करना चाहिए
फास्फोरस 3, 30- खूब संकरा तथा लंबा लेड़ निकलने के लक्षण में यह लाभकारी है.
नेट्रम-म्यूर 12X वि 200- यह भी कब्ज की उत्तम दवा है. लगातार पाखाना लगना, परन्तु कोठे का साफ न होना, बड़ा तथा मोटा लेंड़ अत्यंत कष्ट से निकलना तथा थोड़ा सा पतला पाखाना भी होना, तलपेट में दबाव, सिर में भारीपन तथा अरुचि के लक्षणों में यह फायदेमंद है.
लाइकोपोडियम 30- मुंह में पानी भर आना, पाखाने की हाजत होते हुए भी पाखाना न होना तथा बड़े कष्ट से सूखा तथा कड़ा मल थोड़ी मात्रा में निकलना, पेट में आवाज होना, पेट का फूल जाना तथा पेट में गर्मी का अनुभव होना आदि लक्षणों में लाभकारी है.
यहां हम कुछ होम्योपैथिक दवाइयां कब्ज के उपचार के और बता रहे हैं, जो लाभकारी होती है…
गरिकस ( Agaricus), ऐथूसा (Aethusa), अलुमन (Alumen), एलुमिना (Alumina),
ब्रयोनिआ अलबा (Bryonia alba), एलो सोकोट्रिना (Aloe socotrina), ऐन्टिम क्रूड (Antim crude), असफ़ोइतिदा (Asafoitida),बाप्टेसिआ (Baptesia), कालकरिअ कार्ब (Calcaria carb), चाइना (China),
कोलिन्सोनिआ (Collinsonia), ग्रैफाइटिस (Graphites).
ब्रयोनिआ अलबा (Bryonia alba), एलो सोकोट्रिना (Aloe socotrina), ऐन्टिम क्रूड (Antim crude), असफ़ोइतिदा (Asafoitida),बाप्टेसिआ (Baptesia), कालकरिअ कार्ब (Calcaria carb), चाइना (China),
कोलिन्सोनिआ (Collinsonia), ग्रैफाइटिस (Graphites).
कौन-सी होमियोपैथ दवा किस तरह के कब्ज में फायदेमंद
1.बच्चों का मलावरोध : अल्युमिना 30,नक्सवोमिका 200,ब्रायोनिया – 30
2. रेचक या दस्तावर औषधियां : हाइड्रास्टिस 30,नक्सवोम 200 के दुरुपयोग के बाद कब्ज
3. अधिक खाने वालों का कब्ज : नक्स वोम, सल्फर
4. बैठे रहने की आदत के कारण मलावरोध : अलेट्रिस, कॉलिन्सोनिया, नक्सवोभिका (लगातार कई घंटों तक बैठना)
5. गर्भावस्था के दौरान कब्ज : सीपिया 30, पोडो 30
6. वृद्धावस्था में कब्ज : प्लाटि., एल्युमिना, ओपियम, ऐवेना
7. यात्रियों का कब्ज : एल्यु., हाइड्रास्टिस, नक्स वोम
8. आंतों और मलाशय की दुर्बलता के कारण कब्ज, दर्द निवारक और अन्य आंतों की दुर्बलता : इस्क्युलस 30, एलोज 30, अल्फा Q + , एवेना Q + अलेट्रिस Q 10-15 बूंद सुबह-शाम एलोपैथिक औषधियों के सेवन से उत्पन्न भोजन के बाद.
9. बवासीर के कारण कब्ज : जो एंटासिड इस्क्यूलस, कॉलिंसोनिया आदि औषधियों के सेवन से उत्पन्न हुआ है.
10. नर्वस, संवेगशील दुर्बल एवं अम्लीय मनोवृति के कारण उत्पन्न मलावरोध : अंब्रा 30 और अर्जेटम नाइट्रिक 30 पर्यायक्रम से दिन में 2-3 बार
11. वर्षों से चला आ रहा जीर्णकालिक कब्ज (जल्दी थक अवसाद मानों मल आंतों के निचले भाग में जा रहा है, भोजन के बाद. आंतों की दुर्बल क्रमाकुचन (पेरिस्टालसिस) क्रिया : हाइड्रास्टिस 30, अलेट्रिस Q सुबह शाम.
2. रेचक या दस्तावर औषधियां : हाइड्रास्टिस 30,नक्सवोम 200 के दुरुपयोग के बाद कब्ज
3. अधिक खाने वालों का कब्ज : नक्स वोम, सल्फर
4. बैठे रहने की आदत के कारण मलावरोध : अलेट्रिस, कॉलिन्सोनिया, नक्सवोभिका (लगातार कई घंटों तक बैठना)
5. गर्भावस्था के दौरान कब्ज : सीपिया 30, पोडो 30
6. वृद्धावस्था में कब्ज : प्लाटि., एल्युमिना, ओपियम, ऐवेना
7. यात्रियों का कब्ज : एल्यु., हाइड्रास्टिस, नक्स वोम
8. आंतों और मलाशय की दुर्बलता के कारण कब्ज, दर्द निवारक और अन्य आंतों की दुर्बलता : इस्क्युलस 30, एलोज 30, अल्फा Q + , एवेना Q + अलेट्रिस Q 10-15 बूंद सुबह-शाम एलोपैथिक औषधियों के सेवन से उत्पन्न भोजन के बाद.
9. बवासीर के कारण कब्ज : जो एंटासिड इस्क्यूलस, कॉलिंसोनिया आदि औषधियों के सेवन से उत्पन्न हुआ है.
10. नर्वस, संवेगशील दुर्बल एवं अम्लीय मनोवृति के कारण उत्पन्न मलावरोध : अंब्रा 30 और अर्जेटम नाइट्रिक 30 पर्यायक्रम से दिन में 2-3 बार
11. वर्षों से चला आ रहा जीर्णकालिक कब्ज (जल्दी थक अवसाद मानों मल आंतों के निचले भाग में जा रहा है, भोजन के बाद. आंतों की दुर्बल क्रमाकुचन (पेरिस्टालसिस) क्रिया : हाइड्रास्टिस 30, अलेट्रिस Q सुबह शाम.
हमने ऐसे किया इलाज, आइए जानें
हरिओम होमियो से कब्ज के हजारों मरीज अब तक ठीक हुए होंगे, लेकिन यहां मैं एक बड़े अफसर का विवरण दे रहा हूं, जो कई वर्षों से कब्ज से पीड़ित थे. उन्होंने एलोपैथी से लेकर आयुर्वेदिक यहां तक कि त्रिफला चूर्ण आदि का भरपूर सेवन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. थक-हार कर अंततः मेरे पास आये तो मैंने उनके जिद्दी कब्ज को काफी जांचने-परखने के बाद इन दवाओं से ठीक किया.
मैंने उन्हें लाइकोपोडियम 200 एक दिन का अंतर देकर, हाइड्रास्टिस Q 5 बूंद सुबह-शाम भोजन के बाद दिया. इसके साथ रोग के स्थायी निवारण के लिए मुझे सल्फर 200 सप्ताह में एक खुराक देना पड़ा. करीब एक महीने के इलाज के बाद ही उनका जिद्दी कब्ज ऐसा भागा कि आज तक वो पूरी तरह स्वस्थ हैं.
मैंने उन्हें लाइकोपोडियम 200 एक दिन का अंतर देकर, हाइड्रास्टिस Q 5 बूंद सुबह-शाम भोजन के बाद दिया. इसके साथ रोग के स्थायी निवारण के लिए मुझे सल्फर 200 सप्ताह में एक खुराक देना पड़ा. करीब एक महीने के इलाज के बाद ही उनका जिद्दी कब्ज ऐसा भागा कि आज तक वो पूरी तरह स्वस्थ हैं.
मेरा बेटा(उम्र 12 साल) 5 वर्ष से कब्ज से पीड़ित है। वह दो दिन में एक बार मल त्याग करता है।बेहतर होम्योपैथिक दवा बताएँ।
जवाब देंहटाएंAlumina 30, 3dose for 2days
हटाएंमेरी बेटी उम्र तीन वर्ष,लगातार कठोर मल त्यागने में अजीब से दर्द से करिब 1 वर्ष से परेशान है,उचित होम्योपैथी इलाज बताएंगे।
जवाब देंहटाएंDr sahab Meri jeebh hamesha white voted rahti hai jamhai lagatar aati hai aur aankh see aansu nikalne lagte hain krapya. Homeo dawai bataiye
जवाब देंहटाएंYou can use ant.crud 200,
जवाब देंहटाएं1 perdper day for 3days
कुलदीप जी ,नमस्कार
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी मैं पिछले 8 सालों से कब्ज से परेशान हूँ,बावजूद इसके कि मेरी जीवन शैली पूरी तरह संयमित है
कब्ज के अलावा कोई परेशानी नही है,सुबह लगभग 1 लीटर पानी पीने के बाद मुश्किल से हाजत होती है लेकिन पेट पूरी तरह साफ नही होता मेरी उम्र 51 साल है हाँ थोड़ा तनाव रहता है, योग प्राणायाम व्यायाम सब करता हूँ
कृपया मेरी मदद करें आपका सदा आभारी रहूंगा
कुलदीप जी ,नमस्कार
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी मैं पिछले 8 सालों से कब्ज से परेशान हूँ,बावजूद इसके कि मेरी जीवन शैली पूरी तरह संयमित है
कब्ज के अलावा कोई परेशानी नही है,सुबह लगभग 1 लीटर पानी पीने के बाद मुश्किल से हाजत होती है लेकिन पेट पूरी तरह साफ नही होता मेरी उम्र 51 साल है हाँ थोड़ा तनाव रहता है, योग प्राणायाम व्यायाम सब करता हूँ
कृपया मेरी मदद करें आपका सदा आभारी रहूंगा