रविवार, 13 जनवरी 2013

पृथ्वीराज चौहान।

पृथ्वीराज चौहान। 


एक ऐसा शासक जिसने न केवल अपने राज्य के लिए युद्ध लड़ा बल्कि अपनी प्रजा की सेवा के लिए भी तत्पर रहा। वैसे तो इतिहास के पन्नों में पृथ्वीराज चौहान के कई किस्से हैं।
लेकिन एक किस्सा ऐसा भी है जिसकी वजह से वे हमेशा के लिए अमर हो गए। अपने ही दुश्मन मुहम्मद गोरी द्वारा अंधे किए जाने के बाद भी उन्होंने शब्दभेदी बाण से उसे ही मार गिराया था।

इतिहास में पृथ्वीराज चौहान की वीरता का व्याख्यान कई जगह पढऩे को मिलता है। पृथ्वीराज के मित्र और राजकवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज रासो में उनके जीवन के ऐसे ही पहलुओं को उजागर किया था, ये किस्से सैंकड़ों बरस पहले जितने मशहूर थे, आज भी उसी चाव से राजस्थान में कहे जाते हैं। पृथ्वीराज ने विदेशी आक्रमणकारी मोहम्मद गोरी को कई बार पराजित किया। गोरी ने इस अपमान का बदला लेने के लिए तराइन (1192) के मैदान में धोखे से पृथ्वीराज को कैद कर अपना मुल्क ले गया। वहां पृथ्वीराज के साथ अत्यन्त ही बुरा सलूक किया गया। उसकी आंखें गरम सलाखों से जला दी। लेकिन पृथ्वीराज ने तब भी हार नहीं मानी। दुश्मन के दांत कैसे खट्टे किए जाते हैं वे इससे पूरी तरह से वाकिफ थे। अंधे होने के बावजूद गोरी को शब्दभेदी बाण से मार गिराया। यह करने वे इसलिए सफल हुए क्योंकि राजकवि चंदबरदाई की यह योजना थी। चंदबरदाई ने गोरी तक तीरंदाजी कला के प्रदर्शन की बात पहुंचाई। गोरी ने इसके लिए मंजूरी दे दी। कहा जाता है गोरी के शाबास लफ्ज के उद्घोष के साथ ही भरी महफिल में अंधे पृथ्वीराज ने गोरी पर शब्दभेदी बाण चलाया था। इसके बाद दुश्मन के हाथ दुर्गति से बचने के लिए दोनों ने एक-दूसरे का वध कर दिया।

अजमेर के चौहान राजवंश में पृथ्वीराज का जन्म हुआ। वे अपने पिता की शादी के पूरे 12 साल बाद 1149 में जन्मे थे। अजमेर रियासत की राजनीति में अचानक खलबली मच गई। अब चौहान राजवंश निसंतान नहीं रहा। रियासत की बागडोर संभालने के लिए नन्हें पैरों के कदम इस आंगन में पड़ चुके थे। ये कोई और नहीं पृथ्वीराज चौहान थे। इन्हें राय पिथौर भी कहा जाता है। हालांकि उन्हें मारने के लिए कई हमले हुए लेकिन दुश्मनों को हर बार मुंह खानी पड़ी। बचपन से पृथ्वीराज तीर और तलवारबाजी के शौकीन थे। कहा जाता है कि बाल अवस्था में ही शेर से लड़ाई की और उसे मार गिराया। बाद में चलकर इसी बालक ने युद्ध मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। जो इतिहास में महान हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

1166 से 1192 तक दिल्ली और अजमेर की हुकूमत पृथ्वीराज चौहान के हाथों में थी। वे चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे। जो उत्तरी भारत में एक क्षत्र राज करते थे। किंवदंतियों के अनुसार मोहम्मद
गोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था। जिसमें 17 बार गोरी को पराजित होना पड़ा। हालांकि इतिहासकार युद्धों की संख्या के बारे में तो नहीं बताते लेकिन इतना मानते हैं कि गौरी और पृथ्वीराज में कम से कम दो भीषण युद्ध हुए थे। जिनमें प्रथम में पृथ्वीराज विजयी और दूसरे में पराजित हुआ था। वे दोनों युद्ध थानेश्वर के निकटवर्ती तराइन या तरावड़ी के मैदान में 1191 और 1192 में हुए थे।

पृथ्वीराज चौहान महत्वाकांक्षी राजा था। साम्राज्य विस्तार से लेकर सुव्यवस्था पर पृथ्वीराज की पैनी नजर थी। उन्होंने सबसे पहले अपने संबंधियों के विरोध का दमन किया। फिर राज्य के विस्तार की ओर कदम बढ़ाया। राजस्थान के कई छोटे राज्यों को अपने कब्जे में करने के बाद बुंदेलखंड पर चढ़ाई की। महोबा के निकट एक युद्ध में चंदेलों को पराजित किया। इतिहासकारों के अनुसार इस युद्ध में जीतने के बावजूद पृथ्वीराज ने राज्य को नहीं हड़पा। इसके बाद गुजरात पर आक्रमण किया। लेकिन गुजरात के शासक भीम द्वितीय ने पृथ्वीराज को मात दी। इस पराजय से बाध्य होकर पृथ्वीराज को पंजाब तथा गंगा घाटी की ओर मुडऩा पड़ा।

इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज की सेना में तीन सौ हाथी और तीन लाख सैनिक थे। जिसमें बड़ी संख्या में घुड़सवार भी थे। पृथ्वीराज इसी सैनिकों के बदौलत कई रियासतों पर अपनी हुकूमत का परचम लहराया। वैसे तो तुर्क की सेना संख्या में कम थी। लेकिन उन्हें पराजित करना सहज नहीं था। क्योंकि सेना अच्छी संगठित थी। इसलिए पृथ्वीराज को तुर्क सुल्तान मुइज्जुद्दीन से हार माननी पड़ी। हालांकि इस युद्ध में बड़ी संख्या सैनिकों की मौत हुई थी।

इस युद्ध के बाद तुर्की सेना ने हांसी, सरस्वती तथा समाना के किलों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन्होंने अजमेर पर चढ़ाई की और उसे जीता। इतिहासकार कहते हैं कि कुछ समय तक पृथ्वीराज को एक जागीरदार के रूप में राज करने दिया गया। ऐसा इसलिए कहा जाता कि क्योंकि उस काल के ऐसे सिक्के मिले हैं जिनकी एक तरफ पृथ्वीराज तथा दूसरी तरफ "श्री मोहम्मद साम" का नाम खुदा हुआ है

इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज और गोरी के बीच दो भीषण युद्ध हुए। जिसमें पहला युद्ध 1191 में पृथ्वीराज ने मुस्लिम शासक सुल्तान मोहम्मद शहाबुद्दीन गोरीको हराया। अगले साल गोरी ने फिर से हमला किया और पृथ्वीराज को हरा दिया। ये दोनों युद्ध तराइन के युद्ध के नाम से जाना जाता था। इसके बाद अजमेर और दिल्ली सल्तनत मुसलमान शासकों के नियंत्रण में आ गया। दिल्ली स्थित राय पिथौरा किला पृथ्वीराज द्वारा बनाया गया था। इसे पिथौरागढ़ के नाम से जाना जाता है। इस किले पर फतेह करना मुसलमान शासकों के लिए एक गर्व की बात थी।

इतिहासकारों के अनुसार तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय हुई थी। हालांकि इस युद्ध में पृथ्वीराज के योद्धाओं ने मुसलमानी सेना पर भीषण प्रहार कर अपनी वीरता का परिचय दिया था। लेकिन फिर भी गोरी के सैनिकों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया। युद्ध में पराजित होने के बाद पृथ्वीराज की किस प्रकार मृत्यु हुई। इस विषय में चंदबरदाई द्वारा लिखित "पृथ्वीराज रासो" कविता में पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर लिखा गया है। इसमें कई ऐसे बिंदु है जिसका साक्ष्य नहीं मिलता है। लेकिन चंदबरदाई के कविता में पिरोई जीवनी में इस अपमान का बदला किस तरह लेते हैं। इसका वर्णन किया गया है। चंदबरदाई के कहने पर ही गौरी ने तीरंदाजी कौशल प्रदर्शित करने के लिए सहमति दी थी। पृथ्वीराज को दरबार में बुलाया गया। वहां गोरी ने पृथ्वीराज से उसके तीरंदाजी कौशल को प्रदर्शित करने के लिए कहा। चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को कविता के माध्यम से प्रेरित किया। जो इस प्रकार है-"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।"इसी शब्दभेदी बाण के द्वारा पृथ्वीराज ने आंकलन करके बाण चला दिया। जिसके फलस्वरूप गोरी का प्राणांत हो गया

ल्यूकोरिया का सरल इलाज


ल्यूकोरिया का सरल इलाज
महिलायें अक्सर इस बीमारी से पीड़ित पाई जाती हैं.  ये बीमारी महिलाओं के शरीर को बेहद कमजोर कर देती है और बोनस के रूप में कुछ और भी बीमारियों को पैदा कर देती है . जैसे त्वचा में रूखापन, गालों में गड्ढे, कमर दर्द, सेक्स में अरुचि, घुटनों में दर्द, पाचन में गड़बड़ी, चिडचिडापन  आदि इत्यादि. इसका एक बेहद सरल इलाज है- कौंच के बीज
कौंच को कपिकच्छु भी कहते हैं. इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, लौह तत्व, प्रोटीन, गंधक और गेलिक एसिड पाया जाता है.
आप कौंच के बीज लीजिये. उनका पावडर बना लीजिये .बस इसी पावडर को सुबह शाम पानी से निगल लीजिये .मात्रा होगी २-२ ग्राम.
देखिये फिर जल्दी ही आपको इस नामुराद बीमारी से कैसे छुटकारा मिलता है.
२१ दिन में ही.
अगर इस बीमारी से छुटकारा पाने के बाद आपने रोज अश्वगंधा का ६ ग्राम पावडर पानी से निगल लिया तो शरीर की सारी खोई हुई ताकत वापस आ जायेगी ( ३ महीने तक लीजियेगा).

महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण


जितने भी लोग महाभारत को काल्पनिक बताते हैं.... उनके मुंह पर पर एक जोरदार तमाचा है आज का यह पोस्ट...!

महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है...!

आपको यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया था..... जिसका पूरा विवरण इस प्रकार है :
क्र................... शासक का नाम.......... वर्ष....माह.. दिन

1. राजा युधिष्ठिर (Raja Yudhisthir)..... 36.... 08.... 25
2 राजा परीक्षित (Raja Parikshit)........ 60.... 00..... 00
3 राजा जनमेजय (Raja Janmejay).... 84.... 07...... 23
4 अश्वमेध (Ashwamedh )................. 82.....08..... 22
5 द्वैतीयरम (Dwateeyram )............... 88.... 02......08
6 क्षत्रमाल (Kshatramal)................... 81.... 11..... 27
7 चित्ररथ (Chitrarath)...................... 75......03.....18
8 दुष्टशैल्य (Dushtashailya)............... 75.....10.......24
9 राजा उग्रसेन (Raja Ugrasain)......... 78.....07.......21
10 राजा शूरसेन (Raja Shoorsain).......78....07........21
11 भुवनपति (Bhuwanpati)................69....05.......05
12 रणजीत (Ranjeet).........................65....10......04
13 श्रक्षक (Shrakshak).......................64.....07......04
14 सुखदेव (Sukhdev)........................62....00.......24
15 नरहरिदेव (Narharidev).................51.....10.......02
16 शुचिरथ (Suchirath).....................42......11.......02
17 शूरसेन द्वितीय (Shoorsain II)........58.....10.......08
18 पर्वतसेन (Parvatsain )..................55.....08.......10
19 मेधावी (Medhawi)........................52.....10......10
20 सोनचीर (Soncheer).....................50.....08.......21
21 भीमदेव (Bheemdev)....................47......09.......20
22 नरहिरदेव द्वितीय (Nraharidev II)...45.....11.......23
23 पूरनमाल (Pooranmal)..................44.....08.......07
24 कर्दवी (Kardavi)...........................44.....10........08
25 अलामामिक (Alamamik)...............50....11........08
26 उदयपाल (Udaipal).......................38....09........00
27 दुवानमल (Duwanmal)..................40....10.......26
28 दामात (Damaat)..........................32....00.......00
29 भीमपाल (Bheempal)...................58....05........08
30 क्षेमक (Kshemak)........................48....11........21

इसके बाद ....क्षेमक के प्रधानमन्त्री विश्व ने क्षेमक का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 14 पीढ़ियों ने 500 वर्ष 3 माह 17 दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 विश्व (Vishwa)......................... 17 3 29
2 पुरसेनी (Purseni)..................... 42 8 21
3 वीरसेनी (Veerseni).................. 52 10 07
4 अंगशायी (Anangshayi)........... 47 08 23
5 हरिजित (Harijit).................... 35 09 17
6 परमसेनी (Paramseni)............. 44 02 23
7 सुखपाताल (Sukhpatal)......... 30 02 21
8 काद्रुत (Kadrut)................... 42 09 24
9 सज्ज (Sajj)........................ 32 02 14
10 आम्रचूड़ (Amarchud)......... 27 03 16
11 अमिपाल (Amipal) .............22 11 25
12 दशरथ (Dashrath)............... 25 04 12
13 वीरसाल (Veersaal)...............31 08 11
14 वीरसालसेन (Veersaalsen).......47 0 14

इसके उपरांत...राजा वीरसालसेन के प्रधानमन्त्री वीरमाह ने वीरसालसेन का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 445 वर्ष 5 माह 3 दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 राजा वीरमाह (Raja Veermaha)......... 35 10 8
2 अजितसिंह (Ajitsingh)...................... 27 7 19
3 सर्वदत्त (Sarvadatta)..........................28 3 10
4 भुवनपति (Bhuwanpati)...................15 4 10
5 वीरसेन (Veersen)............................21 2 13
6 महिपाल (Mahipal)............................40 8 7
7 शत्रुशाल (Shatrushaal).....................26 4 3
8 संघराज (Sanghraj)........................17 2 10
9 तेजपाल (Tejpal).........................28 11 10
10 मानिकचंद (Manikchand)............37 7 21
11 कामसेनी (Kamseni)..................42 5 10
12 शत्रुमर्दन (Shatrumardan)..........8 11 13
13 जीवनलोक (Jeevanlok).............28 9 17
14 हरिराव (Harirao)......................26 10 29
15 वीरसेन द्वितीय (Veersen II)........35 2 20
16 आदित्यकेतु (Adityaketu)..........23 11 13

ततपश्चात् प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 9 पीढ़ी ने 374 वर्ष 11 माह 26 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण इस प्रकार है ..

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 राजा धनधर (Raja Dhandhar)...........23 11 13
2 महर्षि (Maharshi)...............................41 2 29
3 संरछि (Sanrachhi)............................50 10 19
4 महायुध (Mahayudha).........................30 3 8
5 दुर्नाथ (Durnath)...............................28 5 25
6 जीवनराज (Jeevanraj).......................45 2 5
7 रुद्रसेन (Rudrasen)..........................47 4 28
8 आरिलक (Aarilak)..........................52 10 8
9 राजपाल (Rajpal)..............................36 0 0

उसके बाद ...सामन्त महानपाल ने राजपाल का वध करके 14 वर्ष तक राज्य किया। अवन्तिका (वर्तमान उज्जैन) के विक्रमादित्य ने महानपाल का वध करके 93 वर्ष तक राज्य किया। विक्रमादित्य का वध समुद्रपाल ने किया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 372 वर्ष 4 माह 27 दिन तक राज्य किया !
जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 समुद्रपाल (Samudrapal).............54 2 20
2 चन्द्रपाल (Chandrapal)................36 5 4
3 सहपाल (Sahaypal)...................11 4 11
4 देवपाल (Devpal).....................27 1 28
5 नरसिंहपाल (Narsighpal).........18 0 20
6 सामपाल (Sampal)...............27 1 17
7 रघुपाल (Raghupal)...........22 3 25
8 गोविन्दपाल (Govindpal)........27 1 17
9 अमृतपाल (Amratpal).........36 10 13
10 बालिपाल (Balipal).........12 5 27
11 महिपाल (Mahipal)...........13 8 4
12 हरिपाल (Haripal)..........14 8 4
13 सीसपाल (Seespal).......11 10 13
14 मदनपाल (Madanpal)......17 10 19
15 कर्मपाल (Karmpal)........16 2 2
16 विक्रमपाल (Vikrampal).....24 11 13

टिप : कुछ ग्रंथों में सीसपाल के स्थान पर भीमपाल का उल्लेख मिलता है, सम्भव है कि उसके दो नाम रहे हों।

इसके उपरांत .....विक्रमपाल ने पश्चिम में स्थित राजा मालकचन्द बोहरा के राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमे मालकचन्द बोहरा की विजय हुई और विक्रमपाल मारा गया। मालकचन्द बोहरा की 10 पीढ़ियों ने 191 वर्ष 1 माह 16 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 मालकचन्द (Malukhchand) 54 2 10
2 विक्रमचन्द (Vikramchand) 12 7 12
3 मानकचन्द (Manakchand) 10 0 5
4 रामचन्द (Ramchand) 13 11 8
5 हरिचंद (Harichand) 14 9 24
6 कल्याणचन्द (Kalyanchand) 10 5 4
7 भीमचन्द (Bhimchand) 16 2 9
8 लोवचन्द (Lovchand) 26 3 22
9 गोविन्दचन्द (Govindchand) 31 7 12
10 रानी पद्मावती (Rani Padmavati) 1 0 0

रानी पद्मावती गोविन्दचन्द की पत्नी थीं। कोई सन्तान न होने के कारण पद्मावती ने हरिप्रेम वैरागी को सिंहासनारूढ़ किया जिसकी पीढ़ियों ने 50 वर्ष 0 माह 12 दिन तक राज्य किया !
जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 हरिप्रेम (Hariprem) 7 5 16
2 गोविन्दप्रेम (Govindprem) 20 2 8
3 गोपालप्रेम (Gopalprem) 15 7 28
4 महाबाहु (Mahabahu) 6 8 29

इसके बाद.......राजा महाबाहु ने सन्यास ले लिया । इस पर बंगाल के अधिसेन ने उसके राज्य पर आक्रमण कर अधिकार जमा लिया। अधिसेन की 12 पीढ़ियों ने 152 वर्ष 11 माह 2 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 अधिसेन (Adhisen) 18 5 21
2 विल्वसेन (Vilavalsen) 12 4 2
3 केशवसेन (Keshavsen) 15 7 12
4 माधवसेन (Madhavsen) 12 4 2
5 मयूरसेन (Mayursen) 20 11 27
6 भीमसेन (Bhimsen) 5 10 9
7 कल्याणसेन (Kalyansen) 4 8 21
8 हरिसेन (Harisen) 12 0 25
9 क्षेमसेन (Kshemsen) 8 11 15
10 नारायणसेन (Narayansen) 2 2 29
11 लक्ष्मीसेन (Lakshmisen) 26 10 0
12 दामोदरसेन (Damodarsen) 11 5 19

लेकिन जब ....दामोदरसेन ने उमराव दीपसिंह को प्रताड़ित किया तो दीपसिंह ने सेना की सहायता से दामोदरसेन का वध करके राज्य पर अधिकार कर लिया तथा उसकी 6 पीढ़ियों ने 107 वर्ष 6 माह 22 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 दीपसिंह (Deepsingh) 17 1 26
2 राजसिंह (Rajsingh) 14 5 0
3 रणसिंह (Ransingh) 9 8 11
4 नरसिंह (Narsingh) 45 0 15
5 हरिसिंह (Harisingh) 13 2 29
6 जीवनसिंह (Jeevansingh) 8 0 1

पृथ्वीराज चौहान ने जीवनसिंह पर आक्रमण करके तथा उसका वध करके राज्य पर अधिकार प्राप्त कर लिया। पृथ्वीराज चौहान की 5 पीढ़ियों ने 86 वर्ष 0 माह 20 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 पृथ्वीराज (Prathviraj) 12 2 19
2 अभयपाल (Abhayapal) 14 5 17
3 दुर्जनपाल (Durjanpal) 11 4 14
4 उदयपाल (Udayapal) 11 7 3
5 यशपाल (Yashpal) 36 4 27

विक्रम संवत 1249 (1193 AD) में मोहम्मद गोरी ने यशपाल पर आक्रमण कर उसे प्रयाग के कारागार में डाल दिया और उसके राज्य को अधिकार में ले लिया।

उपरोक्त जानकारी http://www.hindunet.org/ से साभार ली गई है जहाँ पर इस जानकारी का स्रोत स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ, चित्तौड़गढ़ राजस्थान से प्रकाशित पत्रिका हरिशचन्द्रिका और मोहनचन्द्रिका के विक्रम संवत1939 के अंक और कुछ अन्य संस्कृत ग्रंथों को बताया गया है।
साभार ....जी.के. अवधिया |

जय महाकाल....!!!

नोट : इस पोस्ट को मैंने नहीं लिखा है और मैंने इसे अपने एक मित्र की पोस्ट से कॉपी किया है क्योंकि मुझे ये अमूल्य जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की इच्छा हुई














जितने भी लोग महाभारत को काल्पनिक बताते हैं.... उनके मुंह पर पर एक जोरदार तमाचा है आज का यह पोस्ट...!

महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है...!

आपको यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया था..... जिसका पूरा विवरण इस प्रकार है :
क्र................... शासक का नाम.......... वर्ष....माह.. दिन

1. राजा युधिष्ठिर (Raja Yudhisthir)..... 36.... 08.... 25
2 राजा परीक्षित (Raja Parikshit)........ 60.... 00..... 00
3 राजा जनमेजय (Raja Janmejay).... 84.... 07...... 23
4 अश्वमेध (Ashwamedh )................. 82.....08..... 22
5 द्वैतीयरम (Dwateeyram )............... 88.... 02......08
6 क्षत्रमाल (Kshatramal)................... 81.... 11..... 27
7 चित्ररथ (Chitrarath)...................... 75......03.....18
8 दुष्टशैल्य (Dushtashailya)............... 75.....10.......24
9 राजा उग्रसेन (Raja Ugrasain)......... 78.....07.......21
10 राजा शूरसेन (Raja Shoorsain).......78....07........21
11 भुवनपति (Bhuwanpati)................69....05.......05
12 रणजीत (Ranjeet).........................65....10......04
13 श्रक्षक (Shrakshak).......................64.....07......04
14 सुखदेव (Sukhdev)........................62....00.......24
15 नरहरिदेव (Narharidev).................51.....10.......02
16 शुचिरथ (Suchirath).....................42......11.......02
17 शूरसेन द्वितीय (Shoorsain II)........58.....10.......08
18 पर्वतसेन (Parvatsain )..................55.....08.......10
19 मेधावी (Medhawi)........................52.....10......10
20 सोनचीर (Soncheer).....................50.....08.......21
21 भीमदेव (Bheemdev)....................47......09.......20
22 नरहिरदेव द्वितीय (Nraharidev II)...45.....11.......23
23 पूरनमाल (Pooranmal)..................44.....08.......07
24 कर्दवी (Kardavi)...........................44.....10........08
25 अलामामिक (Alamamik)...............50....11........08
26 उदयपाल (Udaipal).......................38....09........00
27 दुवानमल (Duwanmal)..................40....10.......26
28 दामात (Damaat)..........................32....00.......00
29 भीमपाल (Bheempal)...................58....05........08
30 क्षेमक (Kshemak)........................48....11........21

इसके बाद ....क्षेमक के प्रधानमन्त्री विश्व ने क्षेमक का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 14 पीढ़ियों ने 500 वर्ष 3 माह 17 दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 विश्व (Vishwa)......................... 17 3 29
2 पुरसेनी (Purseni)..................... 42 8 21
3 वीरसेनी (Veerseni).................. 52 10 07
4 अंगशायी (Anangshayi)........... 47 08 23
5 हरिजित (Harijit).................... 35 09 17
6 परमसेनी (Paramseni)............. 44 02 23
7 सुखपाताल (Sukhpatal)......... 30 02 21
8 काद्रुत (Kadrut)................... 42 09 24
9 सज्ज (Sajj)........................ 32 02 14
10 आम्रचूड़ (Amarchud)......... 27 03 16
11 अमिपाल (Amipal) .............22 11 25
12 दशरथ (Dashrath)............... 25 04 12
13 वीरसाल (Veersaal)...............31 08 11
14 वीरसालसेन (Veersaalsen).......47 0 14

इसके उपरांत...राजा वीरसालसेन के प्रधानमन्त्री वीरमाह ने वीरसालसेन का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 445 वर्ष 5 माह 3 दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 राजा वीरमाह (Raja Veermaha)......... 35 10 8
2 अजितसिंह (Ajitsingh)...................... 27 7 19
3 सर्वदत्त (Sarvadatta)..........................28 3 10
4 भुवनपति (Bhuwanpati)...................15 4 10
5 वीरसेन (Veersen)............................21 2 13
6 महिपाल (Mahipal)............................40 8 7
7 शत्रुशाल (Shatrushaal).....................26 4 3
8 संघराज (Sanghraj)........................17 2 10
9 तेजपाल (Tejpal).........................28 11 10
10 मानिकचंद (Manikchand)............37 7 21
11 कामसेनी (Kamseni)..................42 5 10
12 शत्रुमर्दन (Shatrumardan)..........8 11 13
13 जीवनलोक (Jeevanlok).............28 9 17
14 हरिराव (Harirao)......................26 10 29
15 वीरसेन द्वितीय (Veersen II)........35 2 20
16 आदित्यकेतु (Adityaketu)..........23 11 13

ततपश्चात् प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 9 पीढ़ी ने 374 वर्ष 11 माह 26 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण इस प्रकार है ..

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 राजा धनधर (Raja Dhandhar)...........23 11 13
2 महर्षि (Maharshi)...............................41 2 29
3 संरछि (Sanrachhi)............................50 10 19
4 महायुध (Mahayudha).........................30 3 8
5 दुर्नाथ (Durnath)...............................28 5 25
6 जीवनराज (Jeevanraj).......................45 2 5
7 रुद्रसेन (Rudrasen)..........................47 4 28
8 आरिलक (Aarilak)..........................52 10 8
9 राजपाल (Rajpal)..............................36 0 0

उसके बाद ...सामन्त महानपाल ने राजपाल का वध करके 14 वर्ष तक राज्य किया। अवन्तिका (वर्तमान उज्जैन) के विक्रमादित्य ने महानपाल का वध करके 93 वर्ष तक राज्य किया। विक्रमादित्य का वध समुद्रपाल ने किया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 372 वर्ष 4 माह 27 दिन तक राज्य किया !
जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 समुद्रपाल (Samudrapal).............54 2 20
2 चन्द्रपाल (Chandrapal)................36 5 4
3 सहपाल (Sahaypal)...................11 4 11
4 देवपाल (Devpal).....................27 1 28
5 नरसिंहपाल (Narsighpal).........18 0 20
6 सामपाल (Sampal)...............27 1 17
7 रघुपाल (Raghupal)...........22 3 25
8 गोविन्दपाल (Govindpal)........27 1 17
9 अमृतपाल (Amratpal).........36 10 13
10 बालिपाल (Balipal).........12 5 27
11 महिपाल (Mahipal)...........13 8 4
12 हरिपाल (Haripal)..........14 8 4
13 सीसपाल (Seespal).......11 10 13
14 मदनपाल (Madanpal)......17 10 19
15 कर्मपाल (Karmpal)........16 2 2
16 विक्रमपाल (Vikrampal).....24 11 13

टिप : कुछ ग्रंथों में सीसपाल के स्थान पर भीमपाल का उल्लेख मिलता है, सम्भव है कि उसके दो नाम रहे हों।

इसके उपरांत .....विक्रमपाल ने पश्चिम में स्थित राजा मालकचन्द बोहरा के राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमे मालकचन्द बोहरा की विजय हुई और विक्रमपाल मारा गया। मालकचन्द बोहरा की 10 पीढ़ियों ने 191 वर्ष 1 माह 16 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 मालकचन्द (Malukhchand) 54 2 10
2 विक्रमचन्द (Vikramchand) 12 7 12
3 मानकचन्द (Manakchand) 10 0 5
4 रामचन्द (Ramchand) 13 11 8
5 हरिचंद (Harichand) 14 9 24
6 कल्याणचन्द (Kalyanchand) 10 5 4
7 भीमचन्द (Bhimchand) 16 2 9
8 लोवचन्द (Lovchand) 26 3 22
9 गोविन्दचन्द (Govindchand) 31 7 12
10 रानी पद्मावती (Rani Padmavati) 1 0 0

रानी पद्मावती गोविन्दचन्द की पत्नी थीं। कोई सन्तान न होने के कारण पद्मावती ने हरिप्रेम वैरागी को सिंहासनारूढ़ किया जिसकी पीढ़ियों ने 50 वर्ष 0 माह 12 दिन तक राज्य किया !
जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 हरिप्रेम (Hariprem) 7 5 16
2 गोविन्दप्रेम (Govindprem) 20 2 8
3 गोपालप्रेम (Gopalprem) 15 7 28
4 महाबाहु (Mahabahu) 6 8 29

इसके बाद.......राजा महाबाहु ने सन्यास ले लिया । इस पर बंगाल के अधिसेन ने उसके राज्य पर आक्रमण कर अधिकार जमा लिया। अधिसेन की 12 पीढ़ियों ने 152 वर्ष 11 माह 2 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 अधिसेन (Adhisen) 18 5 21
2 विल्वसेन (Vilavalsen) 12 4 2
3 केशवसेन (Keshavsen) 15 7 12
4 माधवसेन (Madhavsen) 12 4 2
5 मयूरसेन (Mayursen) 20 11 27
6 भीमसेन (Bhimsen) 5 10 9
7 कल्याणसेन (Kalyansen) 4 8 21
8 हरिसेन (Harisen) 12 0 25
9 क्षेमसेन (Kshemsen) 8 11 15
10 नारायणसेन (Narayansen) 2 2 29
11 लक्ष्मीसेन (Lakshmisen) 26 10 0
12 दामोदरसेन (Damodarsen) 11 5 19

लेकिन जब ....दामोदरसेन ने उमराव दीपसिंह को प्रताड़ित किया तो दीपसिंह ने सेना की सहायता से दामोदरसेन का वध करके राज्य पर अधिकार कर लिया तथा उसकी 6 पीढ़ियों ने 107 वर्ष 6 माह 22 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 दीपसिंह (Deepsingh) 17 1 26
2 राजसिंह (Rajsingh) 14 5 0
3 रणसिंह (Ransingh) 9 8 11
4 नरसिंह (Narsingh) 45 0 15
5 हरिसिंह (Harisingh) 13 2 29
6 जीवनसिंह (Jeevansingh) 8 0 1

पृथ्वीराज चौहान ने जीवनसिंह पर आक्रमण करके तथा उसका वध करके राज्य पर अधिकार प्राप्त कर लिया। पृथ्वीराज चौहान की 5 पीढ़ियों ने 86 वर्ष 0 माह 20 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन

1 पृथ्वीराज (Prathviraj) 12 2 19
2 अभयपाल (Abhayapal) 14 5 17
3 दुर्जनपाल (Durjanpal) 11 4 14
4 उदयपाल (Udayapal) 11 7 3
5 यशपाल (Yashpal) 36 4 27

विक्रम संवत 1249 (1193 AD) में मोहम्मद गोरी ने यशपाल पर आक्रमण कर उसे प्रयाग के कारागार में डाल दिया और उसके राज्य को अधिकार में ले लिया।

उपरोक्त जानकारी http://www.hindunet.org/ से साभार ली गई है जहाँ पर इस जानकारी का स्रोत स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ, चित्तौड़गढ़ राजस्थान से प्रकाशित पत्रिका हरिशचन्द्रिका और मोहनचन्द्रिका के विक्रम संवत1939 के अंक और कुछ अन्य संस्कृत ग्रंथों को बताया गया है।
साभार ....जी.के. अवधिया |

जय महाकाल....!!!

TRUE STORY

एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद, शहर के एक नामी क्लिनिक में जाने का फैसला लिया l
एक रिक्शे पर सवार होकर उन्होंने उसे सम्बंधित क्लिनिक में चलने का निर्देश दिया l
क्लिनिक आने ही वाला था कि तभी रिक्शेवाले के मोबाइल कि घंटी बज गई l
रिक्शेवाले ने दम्पति से थोड़ा रूककर बात करने कि इजाजत मांगी l दम्पति ने सहमति दे दी l दोनों पति-पत्नी एकाग्र होकर रिक्शेवाले का वार्तालाप सुनने लगे l
जब रिक्शेवाले कि बात समाप्त हो गई तो दम्पति ने उससे पूछा कि किससे बात हो रही थी ! रिक्शेवाले ने बड़ी ही सहजता से कहा कि वह मेरी एक मात्र बेटी है जो विदेश में एक मल्टीनैशनल कंपनी में २० लाख प्रति वर्ष के वेतन पर काम करतीहै l उसके पास गाड़ी, बंगला, नौकर चाकर सब हैं ! वह मुझसे साथ रहने का अनुरोध कर रही थी मगर इस रिक्शे की कमाई से मैंने उसे आजइस काबिल बनाया है तो मुझे इस पेशे पर बहुत गर्व है l इसलिए मैं उसके पास विदेश नहीं जाना चाहता हूँ ! बस वह यही अनुरोध कर रही थी ! पति-पत्नी ने एक दूसरे की आँखों में देखा ! मन ही मन इशारे किये और रिक्शेवाले को वापिस घर लेकर चलने को कहा !

रिक्शेवाला बोला बाबूजी ! क्लिनिक तो आ ही गया है फिर घर क्यूँ ? बाबूजी बोले अब हमारी तबियत ठीक हो गई है ! चलो वापिस ! रिक्शेवाला मन ही मन सोचने लगा की आखिर एक फ़ोन आने से इनकी तबियत कैसे ठीक हो गयी अचानक !

शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद


स्वामी विवेकानंद जी की आज जयंती है |
---------------------------------------------
विवेकानन्दजी का जन्म १२ जनवरी सन्‌ १८६३ को हुआ.
उनका घर का नाम नरेन्द्र था. उनके पिताश्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढ़ंग पर ही चलाना चाहते थे. नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी. परिणाम स्वरुप स्वामी विवेकानन्द ने अपना जीवन अपने गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर दिया.
25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिये. तत्पश्चात् उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी. स्वामी विवेकानन्दजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे. योरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे. वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले. एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किन्तु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये. इस सर्वधर्म सम्मेलन के भाषणों के बाद, "द न्यूयार्क हेराल्ड" ने लिखा कि, "धर्म सम्मेलन में सबसे महान व्यक्ति विवेकानन्द हैं। उनका भाषण सुनने के बाद यह प्रश्न अनायास खड़ा होता है कि ऐसे ज्ञानी देश को सुधारने के लिए धर्म प्रचारक भेजना कितनी बेवकूफी की बात है." फिर तो अमेरिका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ. वहाँ इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया. तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे. उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया.
स्वामी विवेकानंद के इस ओजस्वी चरित्र का महत्व समझाते हुए कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा था कि , "यदि कोई भारत को समझना चाहता है तो उसे विवेकानन्द को पढ़ना चाहिए"
योगी अरविन्द ने कहा था, "पश्चिमी जगत में विवेकानन्द को जो सफलता मिली, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत विश्व-विजय करके रहेगा."
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने लिखा है, "स्वामी विवेकानन्द का धर्म राष्ट्रीयता को उत्तेजना देने वाला धर्म था. नई पीढ़ी के लोगों में उन्होंने भारत के प्रति भक्ति जगायी, उसके अतीत के प्रति गौरव एवं उसके भविष्य के प्रति आस्था उत्पन्न की |
ऐसे युगपुरुष को कोटि-कोटि नमन, शत-शत प्रणाम...!!
स्वामी विवेकानंद जी की आज जयंती है |
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विवेकानन्दजी का जन्म १२ जनवरी सन्‌ १८६३ को हुआ.
उनका घर का नाम नरेन्द्र था. उनके पिताश्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढ़ंग पर ही चलाना चाहते थे. नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी. परिणाम स्वरुप स्वामी विवेकानन्द ने अपना जीवन अपने गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर दिया.
25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिये. तत्पश्चात् उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी. स्वामी विवेकानन्दजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे. योरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे. वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले. एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किन्तु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये. इस सर्वधर्म सम्मेलन के भाषणों के बाद, "द न्यूयार्क हेराल्ड" ने लिखा कि, "धर्म सम्मेलन में सबसे महान व्यक्ति विवेकानन्द हैं। उनका भाषण सुनने के बाद यह प्रश्न अनायास खड़ा होता है कि ऐसे ज्ञानी देश को सुधारने के लिए धर्म प्रचारक भेजना कितनी बेवकूफी की बात है." फिर तो अमेरिका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ. वहाँ इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया. तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे. उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया.
स्वामी विवेकानंद के इस ओजस्वी चरित्र का महत्व समझाते हुए कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा था कि , "यदि कोई भारत को समझना चाहता है तो उसे विवेकानन्द को पढ़ना चाहिए"
योगी अरविन्द ने कहा था, "पश्चिमी जगत में विवेकानन्द को जो सफलता मिली, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत विश्व-विजय करके रहेगा."
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने लिखा है, "स्वामी विवेकानन्द का धर्म राष्ट्रीयता को उत्तेजना देने वाला धर्म था. नई पीढ़ी के लोगों में उन्होंने भारत के प्रति भक्ति जगायी, उसके अतीत के प्रति गौरव एवं उसके भविष्य के प्रति आस्था उत्पन्न की |
ऐसे युगपुरुष को कोटि-कोटि नमन, शत-शत प्रणाम...!!

रविवार, 6 जनवरी 2013

मेरा "भारत" महान

एक अमेरिकन बोला भाई
साहब बताइये
अगर आपका भारत महान
है..तो सँसार के
इतने आविष्कारों में आपके
देश का क्या योगदान है.??
हिन्दुस्तानी -
अरेअमरीकन सुन..
संसार की पहली फायर
प्रूफ लेडी भारत में
हुई.. नाम था "होलिका" आग में
जलती नही थी..
इसीलिए उस वक्त फायर
ब्रिगेड
चलती नही थी!!
संसार की पहली वाटर प्रूफ बिल्डिँग भारत में
हुई..
... नाम था भगवान विष्णु
का"शेषनाग"..
काम तो ऐसे
जैसे"विशेषनाग" दुनिया के पहले पत्रकार
भारत में हुए..
"नारदजी"
जो किसी राजव्यवस्था से
नही डरते थे .. तीनों लोक
की सनसनी खेज रिपोर्टिँग करते थे!!
दुनिया के पहले
कॉँमेन्टेटर"संजय" हुऐ
जिन्होंने नया इतिहास
बनाया ..
महाभारत के युद्ध का आँखो देखा हाल अँधे
"ध्रतराष्ट" को उन्ही ने
सुनाया !!
दादागिरी करना भी दुनिया हमने
सिखाया क्योंकि वर्षो पहले
हमारे"शनिदेव" ने ऐसा आतँक मचाया ..
कि "हफ्ता"
वसूली का रिवाज
उन्ही के
शिष्यो ने
चलाया..आजभी उनके शिष्यहर
शनिवार को आते है !
उनका फोटो दिखाकर
हफ्ता ले जाते है !!
अमेरिकन बोला दोस्त
फालतू की बातें मत बनाओ ! कोई ढँग
का आविष्कार
हो तो बताओ !!
(जैसे हमने इँसान
की किडनी बदल दी,
बाईपास सर्जरी कर दी आदि)
हिन्दुस्तानी बोला रे
अमरीकन
सर्जरी का तो आइडिया ही दुनिया कोहमने
दिया था !
तू ही बता "गणेशजी" का ऑपरेशन क्या तेरे
बाप ने किया था..!!
अमरीकन हडबडाया..
गुस्से मेँ बडबडाया!
देखते ही देखते
चलता फिरता नजर आया!! तब से पूरी दुनिया को हम
पर मान है!!!
दुनिया में मुल्क कितने
ही हो पर सबमें
मेरा "भारत" महान
है......!!!

शनिवार, 5 जनवरी 2013

इंडिया में पब, डिस्को, डांस के हाल है!

'भारत में गावं है,गली है, चौबारा है! इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है!
भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है! इंडिया में फ्लैट है, मकान है!
भारत में काका- बाबा है, दादा-दादी है,! इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है!
भारत में बुआ-मोसी, बहन है! इंडिया में सब के सब कजिन है!
भारत में मंदिर, मंडप, चौपाल, पांडाल है! इंडिया में पब, डिस्को, डांस के हाल है!
भारत में दूध,दही,मक्खन,लस्सी है! इंडिया में कोक, पेप्सी, विस्की है!
भारत भोला भाला सीधा, सरल, सहज है! इंडिया धूर्त, चालाक, बदमाश, कुटिल है!'