जानिए मेरा अनुभव, सबको फायदा मिला
1-डॉ सच्चिदानंद मंडल, डीएचएमएस, ग्राम-फतेहपुर जिला-भागलपुरः डॉ मंडल को वर्षों से सिरदर्द हो रहा था. वे होमियोपैथी, वायोकैमी एवं फ्लावर रेमेडी की दवाएं ले चुके थे. फिर भी सिरदर्द से राहत नहीं मिल रही थी. डॉ साहब का लक्षण था-सिर दर्द से हिलने-डुलने से बृद्धि होना. सवेरे सोकर जगने पर तथा नींद के समय सिर दर्द होने लगता था. यह दर्द बायीं तरफ होता था. इस लक्षण के आधार पर मैंने उन्हें लैकेसिस 200 शक्ति की दवा का एक डोज दिया. डॉ साहब 10 दिन बाद बताये कि लैकेसिस दवा ने मेरे वर्षों के सिरदर्द को जादू की तरह खत्म कर दिया. डॉ साहब पूछने लगे-आखिर किस आधार पर मुझे आपने लैकेसिस दिया. मैंने डॉ वर्मा साहब की पुस्तक –सर्पविष द्वारा निर्मित होमियोपैथिक औषधियों का तुलनात्मक विवेचन के पृष्ठ संख्या 31 पर वर्णित लक्षणों को दिखा दिया.
2- श्रीमती रेखा देवी, उम्र 46 वर्ष, पति-अर्जुन तांती, जिला मुंगेरः इन्हें गंभीर शिकायत थी. महीनों से रक्तस्राव हो रहा था, अंग्रेजी दवाओं से कुछ आराम मिलता था, सोने के बाद रक्तस्राव में वृद्धि हो जाती थी. बातचीत में काफी तेज बिना पूछे ही लगातार बोलते रहने के आधार पर मैंने उसे लैकेसिस 30 दिया. 10 दिन बाद रोगिणी पूरी तरह ठीक हो गयी.
3- कौशल्या देवी, उम्र 26 वर्ष, पति-सुरेश प्रसाद, ग्राम-लखनपुर, तारापुर-जिला-मुंगेरः इनके दायें स्तन के ग्लैंड्स का आपरेशन किसी सर्जन से कराने के बाद घाव सूखने का नाम नहीं ले रहा था. काफी सूई-दवाई देने के बाद भी रोग बढ़ता जा रहा था. कौशल्या देवी के दायें स्तन के घाव से काला रक्त बह रहा था. घाव में सड़न होने लगी थी. घाव के किनारे-किनारे बैगनी रंग जलन एवं दर्द के लक्षण पर क्रोटेलस 30 का एक डोज प्रतिदिन चार दिनों तक देने के बाद 10 दिन तक सेकलेक दिया. 15 दिन बाद महीनों का घातक रोग ठीक होने लगा. रोगिणी एक माह में पूर्ण रूप से ठीक हो गयी.
4- मोहम्मद इकराम, उम्र 80 वर्ष, ग्राम-घोरघट, जिला-मुंगेरः इन बुजुर्ग की शिकायत थी-कि काफी जांच के बाद पटना के डॉ ने डिप्थीरिया रोग बताया है, लेकिन अंग्रेजी दवाओं से ठीक नहीं हो रहा हूं. रोगी का लक्षण था-गला अंदर एवं बाहर से फूला हुआ, गले के अंदर घाव एवं कुछ भी खाने-पीने घोटने में दर्द के लक्षण के आधार पर क्रोटेलस 30 का डोज दिया. दो दिन बाद आराम मिलने लगा और करीब 20 दिन बाद वह पूरी तरह ठीक हो गये.
5- एक बैंककर्मी के पत्नी की शिकायत थी-मासिक धर्म के पांच दिन पहले से पेट के पास बायें डिंबाशय में दर्द शुरू होना एवं कभी-कभी जांघ के नीचे तक दर्द बढ़ते जाना, बायें करवट सोते ही दर्द मे वृद्धि. संध्या समय प्रदर. सारे लक्षणों के आधार पर नैजा 30 तीन दिन तक लगातार एक डोज दिया. रोगिणी पूरी तरह ठीक हो गयी.
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