मंगलवार, 3 जुलाई 2018

बाल को काला करने और उन्हें बढ़ाने की औषधि के रूप में भृगराज आयुर्वेद जगत की एक प्रसिद्ध वनस्पति है

बाल को काला करने और उन्हें बढ़ाने की औषधि के रूप में भृगराज आयुर्वेद जगत की एक प्रसिद्ध वनस्पति है। इसके पौधे सारे भारत में जलाशयों के निकट की नम भूमि में अकसर पाए जाते हैं। इसके छोटे-छोटे पौधे झाड़ी की तरह जमीन पर फैलकर या थोड़ा उठकर 6 से 8 इंच ऊंचाई के होते हैं। शाखाएं कालापन लिए रोमयुक्त, ग्रंथियों से जड़युक्त होती हैं। पत्तियां आयताकार, भालाकार, 1 से 4 इंच लंबी और आधा से एक इंच चौड़ी, बहुत दन्तुर होती हैं,
जिनको मसलने से हरा कालापन लिए हलका सुगंध युक्त रस निकलता है, जो स्वाद में कडुवा, चरपरा लगता है। पुष्प सफेद, पीले और नीले रंगों में लगते हैं। औषधि प्रयोग के लिए सफेद और पीले फूलों वाले पौधों का उपयोग किया जाता है।
घड़ी के आकार के गोल व सफेद पुष्प छोटे-छोटे पुष्प दंड पर लगते हैं। फल एक इंच लंबे तथा अग्र भाग पर रोम युक्त होते हैं, जिसमें छोटे, लंबे, काले जीरे के समान अनेक बीज निकलते हैं। शरद् ऋतु में पुष्प और फलों की बहार आती है। रंग भेद के अनुसार कुछ जातियों में कृपया शेयर करें व पुण्य कमाएँ डॉ जितेंद्र गिल सदस्य भारतीय चिकित्सा परिषद् के पद चिन्ह पर
भृंगराज के विभिन्न भाषाओं में नाम – Bhringraj Ke Name
संस्कृत (Bhringraj In Sanskrit) – भृगराज।
हिंदी (Bhringraj In Hindi) – भांगरा।
मराठी, गुजराती (Bhringraj In Marathi & Gujarati) – भागरो।
बंगाली (Bhringraj In Bangali) – केसुरिया।
अंग्रेजी (Bhringraj In English) – ट्रेलिंग इकिलप्टा (Tralling Eclipta)
लैटिन (Bhringraj In Latin) – इकिलप्टा (Eclipta alba)
आयुर्वेदिक मतानुसार भृंगराज रस में कटु, तिक्त, गुण में हलका, तीक्ष्ण, प्रकृति में गर्म, वात-कफ नाशक, दीपन, पाचक, यकृत को उत्तेजित करने वाला, वेदना नाशक, नेत्रों और त्वचा के लिए हितकर, केशों को काला करने और बढ़ाने वाला, व्रण शोधक, बलवर्धक, रक्तशोधक, बाजीकारक, रसायन, मूत्रल होता है। यह रक्त विकारों, सिर दर्द, पाण्डु, कामला, सूजन, आंव, दंत रोग, उच्च रक्तचाप, उदर विकार, खांसी, श्वास रोग में गुणकारी है।
वैज्ञानिक मतानुसार भृंगराज की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें प्रचुर मात्रा में एक्लिप्टिन नामक एल्केलाइड और राल के अलावा वेडेलोलेक्टोन अल्प मात्रा में पाया जाता है।
बीजों में विशेष रूप से मूत्रल गुण पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी पत्तियों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, अतः कुछ लोग इसकी सब्जी बनाकर भी सेवन करते हैं। औषधि प्रयोग के लिए इसके पंचांग का प्रयोग अधिक लाभकारी पाया गया है।
सावधानी : भृंगराज के रस को गर्म करने और उबालने से इसके गुण नष्ट हो जाते हैं।
उपलब्ध आयुर्वेदिक योग
भृगराज घृत, भृगराज तेल, षड्रबिंदु तेल, भृगराजादि चूर्ण आदि।
1. फोड़े-फुसी खत्म करे भृंगराज :-
भृगराज की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुसी पर दिन में 2-3 बार लगाते रहने से कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगी।
2. नए बाल उगाने के लिए भृंगराज :-
उस्तरे से सिर मुड़वा लेने के बाद उस पर भृगराज के पतों का रस दिन में 2-3 बार मलते रहने से कुछ हफ्तों में नए बाल घने निकलेंगे।
3. बाल कालेघने, लंबे बनाने के लिए भृंगराज :-
भृंगराज के पंचांग का चूर्ण और खाने वाले काले तिल सम मात्रा में मिलाकर सुबह खाली पेट 2 चम्मच की मात्रा में खूब चबा-चबाकर रोजाना खाते रहने से 4-6 महीनों में बालों का गिरना रुक कर वे स्वस्थ बन जाते हैं।
4. अनिद्रा को दूर करे भृंगराज :-
सोने से पूर्व भृगराज के तेल की सिर में मालिश करने से अच्छी नींद आ जाएगी।
5. बिच्छू दंश पीड़ा के लिए भृंगराज :-
मूंगराज के पत्तों को पीसकर दंश पर लगाने से आराम मिलेगा।
6. यकृत पीड़ा में इस्तेमाल करे भृंगराज
पत्तों के एक चम्मच रस में आधा चम्मच अजवायन चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से यकृत पीड़ा में लाभ मिलेगा।
7. जीर्ण उदरशूल होने पर भृंगराज :-
2 चम्मच पत्तों के चूर्ण में आधा चम्मच काला नमक मिलाकर जल के साथ सेवन करने से आराम मिलेगा।
8. शक्ति वर्द्धक भृंगराज :-
भृगराज के पत्तों का 100 ग्राम चूर्ण और 50-50 ग्राम खाने वाले काले तिल व आंवला चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम मिस्री के साथ पीस लें। एक कप दूध के साथ सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में रोजाना सेवन करने से शरीर में शक्ति बढ़ती है और वीर्य में पुष्टता आती है।
9. आग से जलने पर भृंगराज का इस्तेमाल :-
भृगराज और तुलसी के पत्ते बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और तैयार लेप को आग के जले स्थान पर लगाएं, तुरंत आराम मिलेगा।
10. भृंगराज उच्च रक्तचाप में :-
भृगराज के पतों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार नियमित सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में कुछ ही दिनों में आराम मिलता है। एक बार बी.पी. नार्मल हो जाए, तो कब्ज़ियत की शिकायत पैदा न होने देंगे, तो वह सामान्य बना रह सकता है।
11. सिर दर्द में लाभकारी भृंगराज :-
सिर में भृगराज के पत्तों का रस लगाकर मालिश करने से सिर दर्द में राहत मिलेगी।माइग्रेन (अधकपाटी) का उपचार करने के लिए इसे नाक आसवन (नस्य) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इस प्रयोजन के लिए, भृंगराज रस को समान मात्रा में बकरी के दूध में मिलाकर, उसकी 2 से 3 बूंदों को सूर्योदय से पहले दोनों नथुनों में डाला जाता है।

सोमवार, 2 जुलाई 2018

अश्वगंधा आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली एक अदभुत ओषधि है

अश्वगंधा आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली एक अदभुत ओषधि है | कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें व पुण्य कमाएँ 
इसीलिए अश्वगंधा को प्रयोग करके वीर्य की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है | साथ ही premature ejaculation और दूसरी कामक्रिया सम्बन्धी 
अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है जिससे आप बहुत सी बिमारियों से बच सकते हैं | छोटी मोटी समस्याएँ तो अश्वगंधा के प्रयोग से आपको छु भी नहीं पाएंगी
इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है जिससे ये इम्युनिटी को बढाता है
यह हमारे दिल के मसल्स को मजबूत बनाता है | यह cholesterol और triglyceride के levels को कम करता है जो की एक रिसर्च में प्रमाणित हो चूका है
इस तरह यह रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम कर आपको हार्ट अटैक जैसी गम्भीर समस्या से बचाता है

अश्वगंधा वेट गेन के साथ height gain करने में भी आपकी मदद कर सकता है | अगर आप सच में हाइट बढ़ाना चाहते है तो आप इसे प्रयोग कर सकते हैं और इसके पत्तों का सेवन करने से वेट कम होता है.
इसके सेवन से ग्रोथ होर्मोनेस ट्रिगर होते हैं जिससे आपकी हाइट बढ़ सकती है | यह bone skeleton को चौड़ा और बड़ा करता है | जिससे हाइट बढ़ाने में मदद मिलती है, इसके साथ आपको कुछ हाइट बढ़ाने वाली एक्सरसाइजेज भी करनी चाहिए

यह थाइरोइड से पीड़ित लोगों की मदद कर सकता है | यह थाइरोइड ग्रंथि की सही कार्य प्रणाली में मदद करता है |

यह शरीर में स्फूर्ति व नयी उर्जा का संचार करता है | थाइरोइड की समस्या की वजह से आई शारीरिक कमजोरी को भी दूर करता है अगर ashwagandha roots (जड़) का प्रयोग लगातार किया जाए तो इससे thyroid hormones के स्त्राव में वृद्धि होती है |
अश्वगंधा में कैंसर से लड़ने के गुण पाए जाते हैं | बहुत सी रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स को बनने और बढ़ने से रोकता है |
यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) का निर्माण करता है जो कैंसर सेल्स को ख़तम करती हैं |

इसका प्रयोग कैंसर के इलाज के साथ भी किया जा सकता है | यह कीमोथेरपी को प्रभावित किए बिना कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स को भी कम करता है |
इसके प्रयोग से कीमोथेरपी की वजह से शरीर के दुसरे सेल्स को होने वाले नुक्सान से भी बचा जा सकता है | यह कीमोथेरपी व रेडिएशन जैसी प्रक्रियाओं के प्रभाव को भी बढ़ा देता है
अश्वगंधा में मौजूद alkaloids, saponins और steroidal lactones के कारण ये एक एंटी इन्फ्लाम्मेट्री की तरह से काम करता है और सूजन को कम करता है
अपने anti-inflammatory गुणों की वजह से इसे आर्थराइटिस और ओस्टो आर्थराइटिस के इलाज में प्रयोग किया जाता है
यह जोड़ों की सूजन को कम करता है और जोड़ों में होने वाले दर्द से भी राहत दिलाता है | इसके प्रयोग से जोड़ों व शरीर में शक्ति का संचार होता है | जिससे पीड़ित मरीज सामान्य जीवन जी सकता है
अश्वगंधा में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं |
यह सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर दुसरे बड़े इन्फेक्शन में भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है
यह urinogenital, gastrointestinal और respiratory tract infections को दूर करने में गुणकारी तरीके से काम करती है
अश्वगंधा दिमाग को तेज करने की कारगर आयुर्वेदिक ओषधि है | इसे लेने से neural signals को ट्रांसमिट करने वाले acetylcholine की प्रोडक्शन में इजाफा होता है
Alzheimer’s disease से लड़ने में यह एक रिसर्च के अनुसार कारगर साबित हुआ है
अश्वगंधा के इस्तेमाल से सोचने समझने की शक्ति, यादाश्त और कंसंट्रेशन में भी इजाफा होता है | बुढ़ापे में भूलने और दूसरी दिमाग से जुडी समस्याओं में भी अश्वगंधा का प्रयोग फायदेमंद होता है
रात को सोने से पहले गर्म दूध के साथ अश्वगंधा पाउडर का सेवन लाभकारी माना जाता है | इससे नींद भी अच्छी आती है

आप अश्वगंधा चूर्ण को पानी में कुछ देर उबाल कर इसे काढ़ा या चाय के रूप में भी प्रयोग में ला सकते हैं |
किसी भी पदार्थ को अधिक मात्रा में लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होता है | अगर अश्वगंधा को भी अधिक मात्रा में लिया जाए तो पेट में दर्द, डायरिया और जी घबराने जैसी परेशानी हो सकती है |

रविवार, 1 जुलाई 2018

बच्चो के ह्रदय सम्बन्धी हर तरह की बिमारी के लिए श्री सत्य साईं बाबा की तरफ से देश में कई सुपर स्पेस्लिस्ट अस्पताल बनाए गए है जहां ह्रदय सम्बन्धी सभी बीमारियों का मुफ्त में इलाज एवं आपरेशन किया जाता

बच्चो के ह्रदय सम्बन्धी हर तरह की बिमारी के लिए श्री सत्य साईं बाबा की तरफ से देश में कई सुपर स्पेस्लिस्ट अस्पताल बनाए गए है जहां ह्रदय सम्बन्धी सभी बीमारियों का मुफ्त में इलाज एवं आपरेशन किया जाता , इतना है नहीं मरीज के साथ एक तीमारदार के लिए भी रहने और खाने की मुफ्त व्यवस्था है
Sri Sathya Sai Sanjeevani International
Centre for Child Heart Care & Research
Baghola, NH-2, Delhi-Mathura Road,
Palwal (District), Haryana – 121102
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