बुधवार, 13 सितंबर 2017

कब्ज और पेट की गैस के 15 अचूक घरेलु उपाय :

कब्ज और पेट की गैस के 15 अचूक घरेलु उपाय :

  1. धनिया : धनिया कब्ज तोड़ने में भी सहायता करता है। धनिये के चूर्ण से पुराना से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है। इसके लिए 50 ग्राम धनिया, 10 ग्राम सोंठ, 2 चुटकी कालानमक तथा 3 ग्राम हरड़ लेकर सभी चीजों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर रख लेना चाहिए। इस चूर्ण को थोड़ी सी मात्रा में भोजन करने के बाद गुनगुने पानी से लें। इससे कब्ज नष्ट होता है और मल भी खुलकर आने लगता है। इससे पेट का दर्द भी कम हो जाता है और आंतों की खुश्की भी दूर हो जाती है। इससे भूख खुलकर आती है। मलावरोध समाप्त हो जाता है। यदि पुराना कब्ज हो तो इस चूर्ण को लगातार 40 दिनों तक लेना चाहिए।कब्ज न रहने पर भी यह चूर्ण लिया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होती है।
  2. त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) : त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है।
  3. अजवायन : अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
  4. मुनक्का : रोजाना प्रति 10 मुनक्का को गर्म दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
  5. आंवला : सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद  ने से लाभ होता हैं। या फिर 1 चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ रात में लें।
  6. गिलोय : गिलोय का मिश्रण या चूर्ण 1 चम्मच गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।
  7. लहसुन : पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाये इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।
  8. देशी घी : देशी घी में कालीमिर्च मिलाकर गर्म दूध में घी के साथ पीने से आंतों में रुका मल नरम और ढीला हो करके बाहर निकल जाता है।
  9. दूध : 250 मिलीलीटर गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला अर्थात गैस का दर्द मिट जाता है।
  10. मुलहठी : मुलहठी 5 ग्राम को गुनगुने गर्म दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आती है।
  11. नीम : नीम के सूखे फल को रात में गर्म पानी के साथ खाने से शौच खुलकर आती है।
  12. ईसबगोल : ईसबगोल 6 ग्राम को 250 मिलीलीटर गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पी लें। कभी-कभी ईसबगोल की भूसी लेने से पेट फूल जाता है। ऐसा बड़ी आंतों में ईसबगोल पर बैक्टीरिया के प्रभाव से पैदा होने वाली गैस से होता है। इसलिए ध्यान रखें कि ईसबगोल की मात्रा कम से कम ही लें, क्योंकि ईसबगोल आंतों में पानी को सोखती है, जिससे मल की मात्रा बढ़ती है और मल की मात्रा बढ़ने से आंतों की कार्यशीलता बढ़ जाती है, जिससे मल ठीक से बाहर निकल आता है। ईसबगोल लेने के बाद दो-तीन बार पानी पीना चाहिए। इससे ईसबगोल अच्छी तरह फूल जाता है। इसलिए ईसबगोल रात को ही लेना चाहिए और खाने के तुरंत बाद लें।
  13. सौंफ :  सौंफ 50 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम को कूटकर छान लें। सुबह-शाम इसे 5-5 ग्राम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है। या  सौंफ का चूर्ण रात को खाकर ऊपर से पानी पीने से कब्ज दूर होती है।
  14. अंजीर : अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज में राहत मिलती है।
  15. नींबू : नींबू का रस, 5 मिलीलीटर अदरक का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है।

क़ब्ज़ से बचने के लिए कैसा भोजन करे :
दालों में मूंग और मसूर की दालें, सब्जियों में कम से कम मिर्च-मसालें डालकर परवल, तोरई, टिण्डा, लौकी, आलू, शलजम, पालक और मेथी आदि को खा सकते हैं। आधे से ज्यादा चोकर मिलाकर गेहूं तथा जौ की रोटी खाएं। भूख से एक रोटी कम खाएं। अमरूद, आम, आंवला, अंगूर, अंजीर, आलूचा, किशमिश, खूबानी और आलूबुखारा, चकोतरा और संतरे, खरबूजा, खीरा, टमाटर, नींबू, बंदगोभी, गाजर, पपीता, जामुन, नाशपाती, नींबू, बेल, मुसम्मी, सेब आदि फलों का सेवन करें। दिन भर में 6-7 गिलास पानी अवश्य पीयें। मूंग की दाल की खिचड़ी खायें। फाइबर से बने खाने की चीजें का अधिक मात्रा में सेवन करें, जैसे- फजियां, ब्रैन (गेहूं, चावल और जई आदि का छिलका), पत्ते वाली सब्जियां, अगार, कुटी हुई जई, चाइनाग्रास और ईसबगोल आदि को कब्ज से परेशान रोगी को खाने में देना चाहिए।

क़ब्ज़ में परहेज़ :

तले पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, चावल, कठोर पदार्थ, खटाई, रबड़ी, मलाई, पेड़े आदि का सेवन न करें। कब्ज दूर करने के लिए हल्के व्यायाम और टहलने की क्रिया भी करें। पेस्ट्रियां, केक और मिठाइयां कम मात्रा में खानी चाहिए।

शनिवार, 5 अगस्त 2017

आँखों की देखभाल के कुछ उपाय

आँखों की देखभाल के कुछ उपाय
कम उम्र में चश्मा लग जाना आजकल एक सामान्य सी बात है। इस समस्या से जुझ रहे लोग इसे मजबूरी मानकर हमेशा के लिए अपना लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर किसी कारण से एक बार चश्मा लग जाए तो वह उतर नहीं सकता। चश्मा लगने का सबसे प्रमुख कारण आंखों की ठीक से देखभाल न करना, पोषक तत्वों की कमी या अनुवांशिक हो सकते हैं। इनमें से अनुवांशिक कारण को छोड़कर अन्य कारणों से लगा चश्मा सही देखभाल व खानपान का ध्यान रखने के साथ ही देसी नुस्खे अपनाकर उतारा जा सकता है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो आंखों की समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं....
- पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं। सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें व नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें आंखों की कमजोरी दूर हो जाएगी।
- एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और रोजाना रात को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पांच बूंद आंखों में डाले साथ पैर के तलवों पर घी की मालिश करें इससे चश्में के नंबर कम हो जाते हैं।
- आंवले के पानी से आंखें धोने से या गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ रहती है।
- बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिला लें। रोज इस मिश्रण को एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।
- बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूंद आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग में आराम होता है।

- आंखों के हर प्रकार के रोग जैसे पानी गिरना , आंखें आना, आंखों की दुर्बलता, आदि होने पर रात को आठ बादाम भिगोकर सुबह पीस कर पानी में मिलाकर पी जाएं।
- कनपटी पर गाय के घी की हल्के हाथ से रोजाना कुछ देर मसाज करने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- रात्रि में सोते समय अरण्डी का तेल या शहद आंखों में डालने से आंखों की सफेदी बढ़ती है।
- नींबू एवं गुलाबजल का समान मात्रा का मिश्रण एक-एक घण्टे के अंतर से आंखों में डालने से आखों को ठंडक मिलती है। हैं।
- त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर, सुबह छानकर उस पानी से आंखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
- लघुपाठा नामक लता के पत्तियों के रस को भी नेत्र रोगों में प्रयोग कराने का विधान है।
- रोजाना दिन में कम से कम दो बार अपनी आंखों पर ठंडे पानी के छींटे जरूर मारें। रात को त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला) को भिगोकर सुबह उस पानी से आंखे धोने से आंखों की बीमारियां दूर होती है व ज्योति बढ़ती है।

- एक चम्मच पानी में एक बूंद नींबू का रस डालकर दो-दो बूंद करके आंखों में डालें। इससे आंखें स्वस्थ रहती है।
- आंखों पर चोट लगी हो, जल गई हो, मिर्च मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो, आंख लाल हो, तो दूध गर्म करके उसमें रूई का फुआ डालकर ठंडा करके आंखों पर रखने से लाभ होता है।
- 1से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंधी में फायदा होता है।
- ठंडी ककड़ी या कच्चे आलू की स्लाइस काटकर दस मिनट आंखों पर रखें। पानी अधिक पीएं। पानी कमी से आंखों पर सूजन दिखाई देती हैं। सोने से 3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से आंखे स्वस्थ रहती हैं।
- गुलाब जल का फोहा आंखों पर पर एक घंटा बांधने से गर्मी से होने वाली परेशानी में तुरंत आराम मिल जाता है 
- श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिन तक आंखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन भी मिटता है।
- केला, गन्ना खाना आंखों के लिए हितकारी है। गन्ने का रस पीएं। एक नींबू एक गिलास पानी में पीते रहने से जीवन भर नेत्र ज्योति बनी रहती है।
- हल्दी की गांठ को तुअर की दाल में उबालकर, छाया में सुखाकर, पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आंख में काजल की तरह लगाने से आंखों की लालिमा दूर होती है व आंखें स्वस्थ रहती हैं।
- सुबह के समय उठकर बिना कुल्ला किये मुंह की लार (Saliva) अपनी आँखों में काजल की भाँती लगायें. लगातार ६ महीने करते रहने पर चश्मे का नंबर कम हो जाता है.

सोमवार, 3 जुलाई 2017

अपने आप को जवान और तंदुरुस्त महसूस करेंगे


  • आज बढ़ते हुए तनाव, मानसिक थकान, चिंता, शारीरिक रोग ये सब असमय ही इंसान को बूढा बना देती हैं। भरी जवानी में इंसान बूढा नज़र आने लगता हैं। अगर आप अपना योवन कायम रखना चाहते हैं तो आपको यथासंभव तनाव, चिंता को त्यागना होगा। कहा भी जाता हैं के चिंता से बड़ा कोई शारीरिक शत्रु नहीं हैं। योग करे, ध्यान करे, दोस्तों से मिले, बच्चो और बुज़ुर्गो के साथ समय बिताये, किसी क्लब का सदस्य बनिए, हफ्ते में एक दिन गौशाला जाइए, किसी गरीब को खाना खिलाये। इस से आपकी तनाव और चिंता भाग जाएगी। 
  • इसके साथ हम आज आपको बताने जा रहे हैं आयुर्वेद के एक ऐसे सदाबहार चूर्ण के बारे में जिसको खा कर आप सदा अपने आप को जवान और तंदुरुस्त महसूस करेंगे। बस इसको अपने दैनिक जीवन में शामिल करे।  
➡ आवश्यक सामग्री :
  1. सूखे आंवले का चूर्ण
  2. काले तिल (साफ़ कर के) इसका चूर्ण।
  3. भृंगराज (भांगरा) का चूर्ण।
  4. गोखरू का चूर्ण।
➡ आइये जाने इसको घर पर बनाने की विधि :
  • पहले ये सब 100 – 100 ग्राम की मात्रा में ले कर मिला लीजिये, फिर इस में 400 ग्राम पीसी हुयी मिश्री मिला लीजिये। तत्पश्चात इसमें 100 ग्राम शुद्ध देशी गौ घृत (गाय का घी) मिला लीजिये और आखिर में इस में 300 ग्राम शहद मिला लीजिये। (ध्यान रहे घी और शहद समान मात्रा में कभी नही ले) अब इस चूर्ण को किसी कांच के बर्तन में या घी के चिकने मिटटी के पात्र या चीनी के बर्तन में सुरक्षित रख ले। इस चूर्ण को एक चम्मच (5 ग्राम) की मात्रा में खाली पेट नित्य सेवन करे और ऊपर से गाय का दूध या गुनगुना पानी पीजिये।
➡ सावधानी : 
  • घी और शहद परस्पर समान मात्रा में धीमे ज़हर का काम करते हैं। इसलिए इनकी समान मात्रा नहीं लेनी।
➡ इसके अद्भुत फायदे : 
  • इस चूर्ण से आपके शरीर का पूरा कायाकल्प हो जायेगा। यदि छोटी आयु में बाल झड़ गए हैं तो पुनः दोबारा उग आएंगे, अगर सफ़ेद हो गए हैं तो काले हो जायेंगे, और वृद्धावस्था तक काले बने रहेंगे। ढीले दांत भी मज़बूत बन जायेंगे। चेहरे पर कान्ति आ जाएगी। शरीर शक्ति शाली और बाजीकरण युक्त हो जाएगा। और कुछ ही दिनों में दुर्बल व्यक्ति भी अपना वज़न पूरा कर शक्तिशाली बन जाता हैं।
➡ परहेज : 
  • अंडा, मांस, मछली, नशीले पदार्थो का सेवन वर्जित हैं।

मंगलवार, 30 मई 2017

होम्यो पैथी के अनमोल मोती



उप युक्त आठ रोग स्थितियों में निर्देशित औषधियों का अध्ययन लगभग 95 प्रतिशत प्रकरणों में असफ़लता  हाथ नही लगने देता । शक्ति क्रम
एक दम से न बदलें।  इसके अतरिक्त विटामिन सी के स्रोत  जैसे अमरूद, नीबू, संतरा, आदि रस रूप में लेने से शीघ्र लाभ मिलता है

श्वशन तंत्र का संक्रमण
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1-आर्सेनिक एल्बम सार्बाधिक उपयोगी(30 TO IM)
2-ब्रायोनिया (BRAYONIA-30)
3-मर्कसोल (MERC SOL-30)
4-रसटाक्स (RHUS TOX-30)
5-हीपर सल्फ ( HEPAR SULPH-30)
6-बेला डोना ( BELA DONA-30)
दमा( Bronchial Acthma)
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1-आर्सेनिक एल्बम सार्बाधिक उपयोगी (30 TO 200)
2-हीपर सल्फ ( HEPAR SULPH-30)
3-काली कार्ब (KALI CARB-30)
4-लाइको पोडियम (LYCO PODIUM-30)
5-नेट्रम सल्फ (NATRUM SULPH-30)
6-फास्फोरस (PHOSPHORUS-30)
7-पल्सटिला (PULSATILA)

टान्सिल(Tonsils)
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1-हीपर सल्फ ( HEPAR SULPH-30) सार्वाधिक उपयोगी
2-बेला डोना ( BELA DONA-30)
3-मर्कसोल (MERC SOL-30)
4-फाईटो लक्का (PHYOTA LACCA-30-200)
5-बेराइटा कार्ब (BARYTA CARB-30 TO 200)

पेचिस (DYSENTRY)
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1-मर्कसोल (MERCSOL-30 TO 200) सार्वाधिक उपयोगी
2-कार्वोबेज (CARBO VEG-30)
3-ऐलो (ALOEX-30)
4-सल्फर (SULPHER-30)
5-नक्स वोमिका (NUXVOMICA-30)
6-लाइकोपोडियम (LYCO PODIUM-30)
7-ब्राओनिया (BRYO NIA-30-200) सार्वाधिक उपयोगी
8-आर्सेनिक एल्बम सार्बाधिक उपयोगी (30 TO 200)

साइनस(sinusitis)
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1-काली बाइक्रोमिकम (KALI BHICH-30)
2-बेला डोना ( BELA DONA-30)
3-नक्स वोमिका (NUXVOMICA-30)
4-रसटाक्स (RHUS TOX-30)
5-साइलेशिया( SI LI CEA-30)
 6-रसटाक्स (RHUS TOX-30)

बच्चों का अतिसार
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1-कैमोमिला( CHAMOMI LLA-30)
2-ऐलो(ALOES-30)
3-पोडो फाइलम(PODO PHAYLUM-30)
4-नक्स वोम( NUX VOM-30)
5-इपिकाक(IPI CAC-30)

मुंह मसूडो, और दांतो का प्रदाह (gingivitis/perodontitis)
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1-मर्कसोल (MERCSOL-30 TO 200) सार्वाधिक उपयोगी
2-क्रियो जोटम (KREOSOTUM-30)
3-हेकला लावा (HECLA LAVA-30)
4-मेजेरियम( MEZEREUM -30)
5-जोडों में दर्द अमावत (Rheumatoid Arthritis)
6-रस टाक्स ( RHUS TOX-30)
7-ब्रायो निया( BRAYONIA-30)
8-मेडो रिनम (MEDORINUM-30)
9-कैलि कार्ब (CALI CARB-30)
10-सल्फर ( SULPHER-30)
11-कास्टिकम ( CASTICUM-30)
सभी दवायें 3 से 5 बूंद दिन में तीन बार लें