बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

मेरा अनुभवः बहुत बार आजमाया बैच का नुस्खा

मेरा अनुभवः बहुत बार आजमाया बैच का नुस्खा

मैंने अब तक के अपने चिकित्सकीय जीवन में सैकड़ों बार बैच का नुस्खा अपनाया. इसका बहुत बार चमत्कारिक फायदा मिला मरीजों को. डॉ बैच की चिकित्सा पद्धति सच में कभी-कभी उम्मीद से अधिक लाभ पहुंचाती है. मुझे अभी तीन-चार चमत्कारिक अनुभव याद आ रहे हैं, जिन्हें आप के साथ शेयर कर रहा हूं..
सूबेदार, अ. कुमार चौधरी, ग्राम फुलवरिया, कल्याणपुर, जिला-मुंगेर. दिनांक-04-06-2003. 
अपनी मूछ दिखाते हुए कहने लगे कि डॉक्टर साहब मेरी बायीं तरफ की मूंछ कुछ महीने पहले झड़ने लगी थी, तब मैं रांची के चर्मरोग विशेषज्ञ से इलाज करवा कर ठीक हो गया था, लेकिन इस बार बायीं-दायीं दोनों तरफ से मूंछ झड़ने लगी है, उनके इलाज से ठीक भी नहीं रहा हूं. आप होमियोपैथी पद्धति कि चिकित्सा से मुझे ठीक कर दें.
मैंने सूबेदार को सेलेनियम एवं एनाथेरम तथा एसिड फॉस दवा दी. इस दवा से सूबेदार को कोई फायदा नहीं हुआ, कुछ दिन फिर क्लीनिक आये तो मेरे ऊपर आग-बबूला होकर बड़बड़ाने लगे, बोले- आपने पता नहीं कौन-सी दवा दी है, खाता जा रहा हूं, लेकिन कोई फायदा ही नहीं हो रहा. आप को मालूम है-मैं पांच बेटियों का बाप हूं, दो बेटी शादी के योग्य हैं, लेकिन मूंछ के चलते मैं लड़का देखने नहीं जा पा रहा हूं. क्या डॉक्टरी करते हैं आप… मैं जब आर्मी में सूबेदार था, तब मुझे 75 रुपये महीना मूंछ अलाउंस मिलता था, लेकिन आज अपना जीवन भार सा लगने लगा है. आत्महत्या करने का मन करता है. सूबेदार साहब, बोलते-बोलते गुस्से में कांप रहे थे. उनकी बातें सुनने के बाद मैंने उनके मुंह में आरम मेट दवा मुंह में डाल कर चेरी पलम (cherry plum) दवा को तीन बार लेने का आश्वासन देते हुए कहा-सूबेदार साहब चिंता न कीजिए, आप का मर्ज पकड़ में आ गया है, अब ठीक हो जायेंगे. 
रिजल्ट- सच में चमत्कार हो गया. एक हफ्ता बीतते-बीतते सूबेदार साहब की मूंछें उगने लगीं. एक माह होते-होते सूबेदार साहब की मूंछ वापस आ गयी.
-अ. देवी, उम्र 30 साल, पति ल. कुमार सिंह, ग्राम-गालिमपुर, मुंगेर
बिहार के मुंगेर जिले में स्थित बरियारपुर प्रखंड के  कल्याणपुर गांग से 8 किलोमीटर दूर की रहने वाली उक्त महिला मरीज मुझसे शिकायत करती हुईं बोली- सर, सिर दर्द तथा कब्जियत रहती है, पेट फूला रहता है. इसकी दवा आप मुझे दे दें. और फिर धीरे से फुसफुसाते हुए पेट में बने ट्यूमर को हाथ से मसलते हुए दिखाई, डॉ साहब- इस ट्यूमर के लिए आप आपरेशन लिख दें. इस ट्यूमर को नीचे फेंकने का मन करता है. मेरे पति आपरेशन से डरते हैं. अ. देवी को मैंने समयानुसार नक्स वोमिका, कोनियम और कंवएपल तीन बार, महीने भर देता रहा. 
रिजल्ट- रोगिणी के कब्ज, सिरदर्द की शिकायत तो दूर हुई ही, धीरे-धीरे पेट का ट्यूमर भी गल गया.
-क. ठाकुर, उम्र 20 साल, पिता- द. ठाकुर, ग्राम-रघुनाथपुर, कल्याणपुर, जिला-मुंगेर (बिहार)
 कुछ साल पहले से पागलपन का रोगी था. रांची में बिजली का शॉक लगवाने के बाद भी ठीक नहीं हुआ, तो होमियोपैथी इलाज के लिए उसके घर वाले मेरे पास लेकर आये.
रोगी शंकालु, नम्र स्वभाव, चेहरा पीला, जीवन से निराशा के लक्षण पर स्ट्रेमोनियम और स्वीट चेस्ट नट दवा देते रहने पर दो माह में पागलपन ठीक हो गया. रोगी मेरा पड़ोसी ही है. 
रिजल्ट-अब भी ठीक है. शादी कर गृहस्थ जीवन बसर कर रहा है.
-श्री अ. कुमार सिंह, जूनियर इंजीनियर, जमालपुर रेल कारखाना, जिला मुंगेर (बिहार) 
सिंह साहब की शिकायत थी-पेट दर्द के साथ बार-बार हाजत होते रहना. अनेक बार रेलवे अस्पताल जमालपुर में खून, पेशाब, पाखाना तथा पेट की जांच की गयी. रिपोर्ट में कोई खराबी नहीं निकलती थी. परंतु पेट दर्द और बार-बार हाजत जाने की शिकायत दूर नहीं हो रही थी. उन्होंने अपना दर्द मुझसे भी बयान किया. काफी पूछताछ के करने के बाद पता चला कि एक नये चीफ वर्कर्स मैनेजर आये हैं, जो बात-बात पर रोगी सिंह पर झल्ला पड़ते हैं. मजदूरों के बीच डाट-फटकार करने लगते हैं. बेचारे सिंह जी क्रोध की बोतल से अपमान का घूंट पी के रह जाते हैं. मन ही मन चिढ़ कर रह जाते हैं. कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाते.
रिजल्ट- इन लक्षणों को समझने के बाद मैंने सिंह जी को कुछ दिनों तक स्टेफीसेग्रिया एवं लार्च दवा दी. इससे पेट दर्द और हाजत  की उनकी शिकायत दूर हो गयी. ठीक होने के बाद जेई साहब ने मुझसे कहा- मेरा जो मर्ज कोई ठीक नहीं कर पाया, आपने कैसे ठीक कर दिया. मैंने कहा- ये सब होमियोपैथी और डॉ बैच के फार्मूले का कमाल है.

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