शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

स्वाइनफ़्लू की होम्यो पैथी चिकित्सा

लछ्ण
स्वाइनफ़्लू के लछ्ण भी सामान्य इंसानी फ़्लूके समान ही होते है।मसलन बुखार,जुकाम,खांसी,सर्दी,गलेमेंदर्द, ठंण्ड लगना, थकान, कमजोरी आदि,।

कुछ लोगों में अतिसार,उल्टी,एवं सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत भी रह्ती है।

पांच दिन से ज्यादा बुखार का रहना,कफ़ के साथ ब्लड का आना। नाखून का रंग बदलने पर तत्काल चिकित्स्क से संपर्क कर जरूरी चिकित्सा लें।

सावधानियां
फ़्लू के लछ्ण आने के बाद किसी से हाथ मिलाने गले लगाने चुम्बन लेने से बचें,यात्रा करने से बचें

पौष्टिक भोजन लें स्वच्छ पानी का भरपूर सेवन करें

तनाव से दूर रहें भर पूर नींद लें

खांसते या छींकते समय अपने मुंह व नाक को रूमाल या साफ़ कपडे से ढंके।

जिन इलाकों में स्वाइनफ़्लू फ़ैलने की आशंका व्यक्त की  जारही हो उन इलाकों में जाने से बचे।

स्वाइनफ़्लू के प्रारम्भिक लछ्ण व्यक्ति में यदि नजर आंए तो रोग से वचाव एवं रोक थाम हेतु आर्सेनिक-30 एवं जेल्सीमियम-30 की 6-6 गोलियां
सुबह शाम लेने से लाभ मिल जाता है।

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