होमियोपैथी में इलाज
सफेद दाग के इलाज के लिए दो तरह की दवाएं होमियोपैथी में दी जाती हैं. सफेद दाग रोकने वाली और स्किन कलर वापस लाने वाली. इनमें भी खानेवाली और लगानेवाली, दो-दो अलग-अलग तरह की दवाएं दी जाती हैं. होमियोपैथी में सफेद का दाग का सबसे बेहतर इलाज उपलब्ध है. हां, इसमें समय लगता है. शुरुआती कुछ दिनों में दवा के असर से पता चल जाता है कि मरीज को ठीक होने में कितना समय लगेगा. याद रहे होमियोपैथी में इम्युन सिस्टम को मॉडरेट करने की दवाएं दी जाती हैं. बीमारी की वजह जानकर उसके मुताबिक दवाएं दी जाती हैं. एक चीज बताऊं, मैं तो सफेद दाग के मरीजों को होमियोपैथी दवाओं के साथ-साथ घरेलू उपचार भी बताता हूं. होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में सफेद दाग के मरीजों को प्रायः ये दवाएं दी जाती हैं.
एक बात और ध्यान रखें- अगर सफेद दाग आटो-इम्यून डिसआर्डर (Auto- immune disorders) की वजह से हुआ है, तो शऱीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ा कर इलाज शुरू करना चाहिए. आटो इम्यून डिसआर्डर के कई कारणों में से एक स्ट्रेस और इमोशनल सेट बैक (Emotional set back) भी हो सकता है. इसके लिये जो दवाइयां हम देते हैं, वे इस प्रकार हैं…
1-इग्नेशिया-30 (Ignatia-30)
2- नेट्रम म्यूर-30 (Natrum mur-30
3- पल्सेटिल्ला-30 (Pulsatilla-30)
4- नक्स वोमिका-30 (Nux vomica-30) (खासतौर से स्ट्रेस की वजह से सफेद दाग पनपने पर)
अगर केमिकल एक्सपोजर से सफेद दाग हुआ है, तो ये दवाइयां देते हैं..
1-सल्फर-30 (Sulphar-3)
2-आर्सेनिक अल्बम-30 (Arsenic album-30)
अगर जेनेटिक या वंशानुगत कारणों से हुआ है, तो दवा आजमाएं
1-सिफलिनम-200 (Syphllinum-200),
2-आर्सेनिक सल्फ फ्लेवम-6 (arsenic sulph flevum-6)
3-फॉस्फोरस-30 (phosphorus-30), मर्क सोल (merc sol) आदि.
कोई दवा डॉक्टर बीमारी वजह जानकर उसके मुताबिक ही देते हैं. हम भी सफेद दाग के मामले पूरी हिस्ट्री जांचने के बाद दवाएं घटाते-बढ़ाते हैं.
क्या हैं कारण
शरीर की इम्युनिटी खराब होने के कारण त्वचा का रंग बनाने वाली कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं, जिससे शरीर पर छोटे-छोटे दाग पड़ने लगते हैं.
- लिवर रोग की वजह से सफेद दाग रोग हो सकते हैं.
- शरीर में कैल्शियम की कमी से.
- पाचन तंत्र लगातार खराब रहने से.
- आनुवाशिंक (फैमिली हिस्ट्री यानी अगर माता-पिता सफेद दाग से पीड़त रहे हैं, तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है). हालांकि ऐसा सबके साथ नहीं होता.
- एलोपेशिया एरियाटा (Alopecia Areata) यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं.
- सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क (Halo Nevus) से. मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आस-पास की त्वचा का रंग बदलना शुरू कर देता है.
- केमिकल ल्यूकोडर्मा (Chemical Leucoderma) यानी खराब क्वालिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल आदि इस्तेमाल करने से.
- ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा. कीमोथेरेपी से भी इसकी आशंका रहती है.
- थॉयराइड संबंधी बीमारी होने पर.
- पेट संबंधी बीमारियों की वजह से.
- कैल्शियम की कमी से भी सफेद हो सकता है.
- जलने या चोट लगने का दाग भी कभी-कभी सफेद होकर सफेद दाग बन जाता है.
- अत्यधिक चिंता-तनाव अथवा विपरीत भोजन की वजह (जैसे मछली के साथ दूध का सेवन) से भी सफेद दाग की संभावना बढ़ जाती है.
कैसे करें पहचान
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