रसटॉक्स की तारीफ में पढ़ें डॉ अंजू कुमारी प्रसाद की ये कविता…
सुनो-सुनो रसटॉक्स की अद्भुत कहानी,
लगातार हरकत से आराम है, इनकी पहचान अपनी…
लेकिन प्रथम हरकत होती है कष्टकर,
विश्राम से भी रोग वृद्धि होती है भयंकर…
नमी, ठंड, सीलन से होती और बढ़ती बीमारी,
गर्म सेंक से आराम पाता रोगी का रोग बीमारी…
मन में घबराहट और बेचैनी लाती शाम और रात,
खुली हवा में घूमने से आराम की बनी थोड़ी बात…
घबराहट में रोने को है उनका दिन चाहता,
पुराने रसटॉक्स में है ना उमेदी और मानसिक दुर्बलता…
दिमागी परिश्रम में है बेचारा वह अयोग्य,
चाह आत्महत्या की पर साहस नहीं उसके योग्य…
बेचैनी ही उसे चैन दिलाये,
आराम इसे न बिलकुल भाये…
जीभ पर दिखा ज्योमितिक निशान,
अग्रभाग बना जीभ का बना लाल तिकोन…
मांसपेशियों में रहता है अकड़न,
अत्यधिक श्रम करता है रोग उत्पन्न…
मोच के अलावे मिल जाता है सुन्नपन,
पक्षाघात में भी दो यदि कारण सीलन…
हरपीस, जोस्टर, चर्मरोग, खुजली और पित्ती उछलना,
मुख के आसपास बुखार के छाले पड़ना…
इन सबको मिटा सकता है रसटॉक्स नामोनिशान,
यदि आप कर लोग, इसके माइंड की पहचान…
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें