शनिवार, 1 सितंबर 2012

कुछ भी कर गुजरते है जो वो ही गुजरात की माटी में मिला करते है

छोटे छोटे सवालो के जवाब 
भी हम ना ढूंढ पाये
अब तुम्ही बताओ 
पटेल जैसा नेता 
हम कहाँ से लाये 
कितनी ही रियासतों को
पल मैं एक कर दिया
(सरदार) नाम मैं उनके पहले से था
सरदार बन कर दिखा दिया
मानव तो थे वो हार्ड मॉस के
लोह पुरुष बन कर दिखा दिया
राज और नीति के मायने है क्या
यह दुनिया को दिखा दिया
काश: आज वो हमारे बीच में होते
चोराहे पे हम खड़े आज यूँ ना रोते
बेठे है सिंहासनो पर जो आज
उनको नहीं आती कुछ भी लाज
गुजरात नाम ऐसे ही नहीं मिला
(गुजरात को)
कुछ भी कर गुजरते है जो
वो ही गुजरात की माटी में मिला करते है
दोस्तों इसी माटी में मोदी जैसे कमल खिलते है
( हरी किशन द्वारा रचित )

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