बुधवार, 12 सितंबर 2012

इंटरनेट बिना एक्सेस करें जीमेल एकाउंट .

इंटरनेट बिना एक्सेस करें जीमेल एकाउंट ...

ईमेल सुविधाओं के लिए सबसे प्रचलित सेवा जीमेल है जिसे कई देशों में प्रोफेशनली और पर्सनली प्रयोग किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी जीमेल एकाउंट एक्सेस किया जा सकता है। ये बात सुनने में भले ही थोड़ी अटपटी लगे, लेकिन है सौ फीसदी सच। सूचना क्रांति के इस युग में नई-नई खोज हो रही हैं, जिससे नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। जीमेल पर निर्भरता को अब आप और आसानी से हैंडल कर पाएंगे। क्रोम वेब ब्राउजर में जीमेल ऑफ लाइन वेब एप्लीकेशन के माध्यम से आप अपने मेल एकाउंट को बिना इंटरनेट यानी ऑफलाइन भी यूज कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको अपने क्रोम वेब ब्राउजर में जीमेल ऑफलाइन एप्लीकेशन डाउनलोड करनी पड़ेगी। ये बहुत ही आसान है। (नोट- ऑफलाइन जीमेल एकाउंट का प्रयोग साइबर कैफे या फिर किसी दूसरे के लैपटॉप में न करें क्योंकि इससे कोई भी आपकी मेल कभी भी ओपन कर सकता है।) आइए जानें, कैसे करें गूगल क्रोम में जीमेल प्लग इन फ्री इंस्टॉल - सबसे पहले गूगल क्रोम ब्राउजर में जीमेल ऑफलाइन प्लगइन डाउनलोड करें - गूगल क्रोम जीमेल ऑफलाइन प्लगइन को डाउनलोड करने के लिए बस आपको ऐड टू क्रोम ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। - जीमेल ऑफलाइन प्लगइन इंस्टॉल होने के बाद अपने आप आपके बुकमार्क बार में यह दिखने लगेगी - अब जीमेल ऑफलाइन को एक्सेस करने के लिए जीमेल आइकॉन पर क्लिक कर उसे ओपन करें और यूजर के साथ पासवर्ड डाल कर साइन इन कर दें। - बस इसके बाद आप बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी जीमेल एकाउंट एक्सेस कर पाएंगे।

विनोबा भावे


विनोबा भावे (जन्म 11 सितंबर, 1895- मृत्यु-15 नवम्बर 1982) महात्मा गांधी के आदरणीय अनुयायी, भारत के एक सर्वाधिक जाने-माने समाज सुधारक एवं 'भूदान यज्ञ' नामक आन्दोलन के संस्थापक थे।
विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गाहोदे, गुजरात, भारत में हुआ था। विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था।
एक कुलीन ब्राह्मण परिवार जन्मे विनोबा ने 'गांधी आश्रम' में शामिल होने के लिए 1916 में हाई स्कूल की पढ़ाई
 बीच में ही छोड़ दी। गाँधी जी के उपदेशों ने भावे को भारतीय ग्रामीण जीवन के सुधार के लिए एक तपस्वी के रूप में जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया।
1920 और 1930 के दशक में भावे कई बार जेल गए और 1940 के दशक में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व करने के कारण पाँच साल के लिए जेल जाना पड़ा। उन्हें सम्मानपूर्वक आचार्य की उपाधि दी गई।
विनोबा भावे का 'भूदान आंदोलन' का विचार 1951 में जन्मा। जब वह आन्ध्र प्रदेश के गाँवों में भ्रमण कर रहे थे, भूमिहीन अस्पृश्य लोगों या हरिजनों के एक समूह के लिए ज़मीन मुहैया कराने की अपील के जवाब में एक ज़मींदार ने उन्हें एक एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव किया। इसके बाद वह गाँव-गाँव घूमकर भूमिहीन लोगों के लिए भूमि का दान करने की अपील करने लगे और उन्होंने इस दान को गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त से संबंधित कार्य बताया। भावे के अनुसार, यह भूमि सुधार कार्यक्रम हृदय परिवर्तन के तहत होना चाहिए न कि इस ज़मीन के बँटवारे से बड़े स्तर पर होने वाली कृषि के तार्किक कार्यक्रमों में अवरोध आएगा, लेकिन भावे ने घोषणा की कि वह हृदय के बँटवारे की तुलना में ज़मीन के बँटवारे को ज़्यादा पसंद करते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने लोगों को 'ग्रामदान' के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें ग्रामीण लोग अपनी भूमि को एक साथ मिलाने के बाद उसे सहकारी प्रणाली के अंतर्गत पुनर्गठित करते।
1975 में पूरे वर्ष भर अपने अनुयायियों के राजनीतिक आंदोलनों में शामिल होने के मुद्दे पर भावे ने मौन व्रत रखा। 1979 के एक आमरण अनशन के परिणामस्वरूप सरकार ने समूचे भारत में गो-हत्या पर निषेध लगाने हेतु क़ानून पारित करने का आश्वासन दिया।
विनोबा भावे के मौलिक कार्यक्रम और जीवन के उनके दर्शन को एक लेखों की श्रृंखला में समझाया गया है, जिन्हें 'भूदान यज्ञ' (1953) नामक एक पुस्तक में संगृहीत एवं प्रकाशित किया गया है।

सम्मान एवं पुरस्कार
विनोबा को 1958 में प्रथम रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1983 में मरणोपरांत सम्मानित किया।
विनोबा जी ने जब यह देख लिया कि वृद्धावस्था ने उन्हें आ घेरा है तो उन्होंने अन्न जल त्याग दिया। अन्न जल त्यागने के कारण एक सप्ताह के अन्दर ही 15 नवम्बर 1982, वर्धा, महाराष्ट्र में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिये। इतिहास में इस तरह की मृत्यु के उदाहरण गिने चुने ही मिलते है। इस प्रकार मरने की क्रिया को प्रायोपवेश कहते है

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

गाय की शव यात्रा निकली गयी

जहां कार्यरत श्रीराम गौशाला पिछले 20 वर्षो से अपंग गाय-भैंसों के उपचार और उनकी सेवा-चाकरी का कार्य करती आ रही है।
रविवार को यहां मधु नामक गाय की मौत हो गई।
इस गाय से यहां के लोगों का इतना लगाव था कि उसकी मौत की खबर से लोग गमगीन हो उठे।
गौशाला के कर्मचारियों ने मधु की पूरी शास्त्र-विधि के बाद उसकी शव यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया।
पशु प्रेम का अनोखा दृश्य तब देखने को मिला जब इस शवयात्रा में गौशाला के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि शहर के लोग भी जुड़ते चले गए और उसे कंधा दिया। गौशाला के कर्मचारी बताते हैं कि मधु नामक यह गाय इतनी शालीन थी कि जब इसे चारा डाला जाता था और इसी बीच अगर कोई दूसरी गाय इसका चारा खाना आ जाती थी,
तब वह खुद-ब-खुद वहां से हट जाती थी।


सारस पक्षी का प्रजनन


कम हो सकता है सारस पक्षी का प्रजनन

भरथना (इटावा)। परिस्थितियां अनुकूल न होने से इस बार सारस पक्षियों का प्रजनन कम होने के आसार लग रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में यह जिला सारस पक्षी के प्रजनन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
आमतौर पर सितंबर माह में 60-65 जोड़े सारस पक्षी अपने अंडों को सहेजते हुए आसानी से देखे जाते थे। मगर इस बार इनकी संख्या महज 20-25 के आसपास ही नजर आ रही है। इन पक्षियों की देखरेख में रहने वाली संस्था सोसाइटी ऑफ कंजरवेशन ऑफ नेचुरल के महासचिव डा राजेश कुमार की माने तो तालाबों का घटना, धान की रोपाई देरी से होना और मानसून भी लेट आना आदि कारण इसके लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं।
ताखा ब्लाक स्थित सरसईनावर झील पक्षी विहार के तौर पर जानी जाती है। भरथना के ग्रामीण क्षेत्रों में सारस पक्षी के प्रजनन का यह पीक समय होता है। जब बरसात प्रारंभ हो जाती है। तब जुलाई, अगस्त और सितंबर माह में वह अंडे देते हैं। 30-32 दिनों तक वह अंडों को सहेजते हैं। तब कहीं जाकर इन अंडों से बच्चे निकलते हैं।
इस वर्ष सारस के जोड़ों की कम संख्या चिंतित करने वाली है। जिले में सारस पक्षी की संख्या पूर्व में हुई गणना के अनुसार करीब चार हजार आंकी जाती है। डा. राजेश के अनुसार सारस हमेशा ऐसे क्षेत्रों का चुनाव करते हैं। जहां आसपास पानी हो और आसानी से भोजन प्राप्त हो सके। इस पक्षी का प्रजनन कम होता है तो चिंता की बात है। क्योंकि इस पक्षी के आने से ही जिले की ओर जीव जंतु विशेषज्ञों का रुझान बढ़ा है।

CHANAKYA SUTRA





Emergency Contact Numbers




CAUSE AND EFFEC



CAUSE AND EFFECT. This simple experiment shows the importance of vegetation (and trees) on the environment. The water that runs through soil with vegetation -- ...



फूटा घड़ा


फूटा घड़ा

बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था .

उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था .ऐसा दो 
सालों से चल रहा था .

सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है . फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया , उसने किसान से कहा , “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”

“क्यों ? “ , किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”

“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ , और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ , मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा.

किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला , “ कोई बात नहीं , मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो .”

घड़े ने वैसा ही किया , वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया , ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा .

किसान बोला ,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे , सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था . ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था , और मैंने उसका लाभ उठाया . मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया . आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ . तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”

दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है , पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं . उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा.
 

रविवार, 9 सितंबर 2012

१२ ज्योतिर्लिंग







.ॐ नमः शिवायः.."
















ज्योतिर्लिंग एक ऐसा शिवलिंग होता है ,जहाँ भगवान् शिव दिव्य ज्योतिर्मयी स्वरुप में पूजे जाते हैं, पूरे भारत में कुल १२ ज्योतिर्लिंग हैं l

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं
च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।
कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्


सौराष्ट्र में सोमनाथ तथा श्रीशैल में मल्लिकार्जुन ,

उज्जैन में महाकाल तथा ओम्कारेश्वर में अमलेश्वर ,

परल्या में वैद्यनाथ तथा भीमाशंकर डाकिनी में ,

रामेश्वरम सेतुबंध में तथा दारुकवन में नागेश्वर ,

वाराणसी में विश्वनाथ तथा त्रयम्बकेश्वर गौतमी नदी के किनारे ,

हिमालय में केदारनाथ तथा गुश्मेश { घ्रिश्नेश्वर } शिवालय में ,

जो भी व्यक्ति इन बढ़ ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं ॐ ॐ

A Jyotirling or Jyotirlingam (Sanskrit: ज्योतिर्लिङ्ग) is a shrine where Lord Shiv is worshipped in the form of a Jyotirlingam or "Lingam (pillar) of light." There are twelve traditional Jyotirlingas shrines in India.

1. The first jyotirl
ingam is Somnath ) in Saurashtra in Gujarat.Somnath means "The Protector of (the) Moon God".
2. The second jyotirlingam is Mallikārjun , in Kurnool District in Andhra Pradesh .
3. The third jyotirling is Mahakal, Ujjain (or Avanti) in Madhya Pradesh .
4. The fourth jyotirlingam is Omkareshwar in Madhya Pradesh on an island in the Narmada River .
5. The fifth jyotirlingam is Kedarnath in Uttarakhand is the northernmost of the Jyotirlingas.
6. The sixth jyotirlingam Bhimashankar temple near Pune in Maharastra.
7. The seventh jyotirlingam is Kashi Vishwanath Temple in Varanasi, Uttar Pradesh.
8. The eighth jyotirlingam is Trimbakeshwar Temple, near Nasik in Maharashtra.
9. The ninth jyotirlingam is Deoghar Vaijyanath Dham in Jharkhand.
10. The tenth jyotirlingam is Nageshvar in Dwarka,Gujrat.
11.The eleventh Jyotirlingam is Rameshwaram in Tamil Nadu.
12.The 12TH Jyotirlingam is Ghrishneshwar in Maharashtra.ॐ ॐ
 —

false adver tisement




पोलीथीन बैग्स को 98% कम करने का आसान तरीका






















पोलीथीन बैग्स को 98% कम करने का आसान तरीका | क्या आपको पता है, पोलीथीन कभी खत्म नही होती है।आप एक पोलीथीन बैग को ५० नही ५० हजार बार भी उपयोग कर सकते हो | जल्दबाजी में आप पोलीथीन बैग की गाँठ को फटाफट खोलने के चक्कर में पोलीथीन बैग को फाड डालते हो। इस प्रकार आप साल में २००० पोलीथीन फेंकते हो। जबकी मुझे लगता की आपको पूरे साल में २०-४० पोलीथीन से ज्यादा की जरूरत है ही नही। अगर हम सब पोलीथीन को आराम से खोले, और इसका REUSE (पूनरउपयोग) करे तो पोलीथीन की माँग मे १०० गुणा कमी आयेगी । बोले तो जस्ट 1% या 2% से ही काम चल जायेगा। मेंने तो शूरुआत कर दी है, आप साथ दोगे ? 

cament




राष्ट्रीय चिह्न का अपमान



मनमोहन की कुर्सी पे लगे तौलिए पे बना हुआ है अशोक चिन्ह! जिसपे ये जनाब सर रखते हैं!! ये हुआ राष्ट्रीय चिह्न का अपमान!! अब मनमोहन को जेल भेजा जाय!

और, कलाकार को जेल से बाहर निकाला जाय. क्योंकि कलाकार का काम है विभिन्न विषयों पे अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन





भगवान श्री राम की सबसे बड़ी निशानी श्री राम सेतु

























































आप लोगो की जानकारी के लिए बता दू, ये मलबा या कचरा नही है, भारतीय वैज्ञानिको का कहना है की इस सेतु ( 
धनुष-कोटि ) के तल मे 7 तरह के रेडियो एक्टिव एलीमेंट है | जो पूरी दुनिया में सिर्फ़ भारत में ही मिले है। जिसे निकाल कर 150 साल तक बिजली और परमाणु बम्ब बनाये जा सकते हैं । और ये बात भारत के सबसे बड़े वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ ऐ.पी.जे अबदुल कलाम ने कही थी ।
दोस्तों अमेरिका की नजर इस रेडियो एक्टिव मैटिरियल पर लगी । ये लोग इसे अमेरिका को बेचना चाहते हैं, और जब ये अपने मकसद में कामयाब नही हो पाए तो इन्होने नया तरीका निकाला हें, ये इसे सयुंक्त राष्ट्र संघ की संस्था ''यूनेस्को'' की निगरानी में देना चाहते हें, स.रा. संघ में अमेरिकी दादागिरी शायद हर आदमी जानता हें ।ये इसे तोड़ने मे एक बार असफल हो चुके हैं अब ये इनका दुबारा नया प्लान हें। ..उसे युनेस्को जैसी बाहरी संस्था के हवाले न किया जाए..

शनि-शिंगणापुर गांव


शनि-शिंगणापुर गांव :

यह गांव महाराष्ट्र में अहमदनगर में स्तिथ है | यह अहमदनगर से करीब 35 कि.मी की दूरी पर है | यह गांव शनि देव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है |

विचित्र बात यह है कि यहाँ पर जितने भी घर हैं , उनमें कोई दरवाज़ा नहीं है | यहाँ पर आजतक कोई भी चोरी की घटना नहीं हुई है |कोई भी अपने गहने-कपड़े या फिर कीमती सामान को ताला लगाकर नहीं रखता |

गांववालों का मानना है कि जो शनि मंदिर है वह 'जागृत देवस्थान ' है यानी कि शनि देव जागृत हैं और किसी भी चोरी करने वाले को कड़ा दंड देते हैं |
मंदिर में रोज़ शर्धालुओं की संख्या करीबन 30-40 हजार बताई जाती है |

है ना विचित्र ? तो बोलो जय शनि देव
शनि-शिंगणापुर गांव :

यह गांव महाराष्ट्र में अहमदनगर में स्तिथ है | यह अहमदनगर से करीब 35 कि.मी की दूरी पर है | यह गांव शनि देव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है |

बुधवार, 5 सितंबर 2012

kno thecode



short form





�नीरज� होंगे सबसे उम्रदराज कैबि‍नेट मंत्री?




�नीरज� होंगे सबसे उम्रदराज कैबि‍नेट मंत्री?
देश के सुप्रसि‍‍द्ध कवि‍ और हि‍न्दी फि‍ल्मों के गीतकार गोपाल नीरज दास �नीरज� को यूपी के अब तक के सबसे युवा मुख्य‍मंत्री अखि‍लेश यादव ने, भाषा संस्थान का अध्यक्ष मनोनीत कर, कैबि‍नेट मंत्री का दर्जा प्रदान कि‍या है। वह संभवता हि‍न्दी फि‍ल्मों के पहले ऐसे गीतकार होंगे, जि‍न्हें लालबत्ती अर्थात मंत्री (कैबि‍नेट) बनने का श्रेय मि‍ला है। गौरतलब हो कि‍ नीरज का जन्म‍ इटावा जि‍ले के ग्राम पुरावली में 4 जनवरी 1924 को हुआ है। नीरज को 22 वर्ष पूर्व, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने, अपने पहले मुख्यमंत्रि‍त्व कार्यकाल के दौरान, अपनी पूरी सरकार(पूरे मंत्रि‍मंडल) के साथ इटावा आकर राजकीय इंटर कालेज के मैदान में �यश भारती� सम्मान से पुरस्कृत कि‍या था। इस दौरान राज्य सरकार ने, राज्‍य में जनमे और वि‍भि‍न्न क्षेत्रों में अपने उल्लेखनीय योगदान प्रदान करने वाले, कलाकारों, खि‍लाड़ि‍यों को �यश भारती� सम्मान से पुरस्कृत करने का बीड़ा उठाया था,और इसी क्रम में इटावा में जन्में गीतकार गोपाल दास नीरज और गायि‍का मि‍लन सिंह के अलावा वाराणसी की, गायि‍का वंदना वाजपेई को �यश भारती� सम्मान से पुरस्कृत कि‍या गया था। मालूम हो कि‍ इन दि‍नों नीरज, अलीगढ़ में नि‍वासरत हैं। खबर है कि‍ 89 वर्षीय गोपाल दास �नीरज� बुधवार को मंत्री पद की जि‍म्मेदारी संभालेंगे। सम्भवता वह यूपी के सबसे उम्र दराज मनोनीत मंत्री होंगे।
�नीरज� होंगे सबसे उम्रदराज कैबि‍नेट मंत्री?
देश के सुप्रसि‍‍द्ध कवि‍ और हि‍न्दी फि‍ल्मों के गीतकार गोपाल नीरज दास �नीरज� को यूपी के अब तक के सबसे युवा मुख्य‍मंत...

only one matchstick burn a million trees







शनिवार, 1 सितंबर 2012

कुछ भी कर गुजरते है जो वो ही गुजरात की माटी में मिला करते है

छोटे छोटे सवालो के जवाब 
भी हम ना ढूंढ पाये
अब तुम्ही बताओ 
पटेल जैसा नेता 
हम कहाँ से लाये 
कितनी ही रियासतों को
पल मैं एक कर दिया
(सरदार) नाम मैं उनके पहले से था
सरदार बन कर दिखा दिया
मानव तो थे वो हार्ड मॉस के
लोह पुरुष बन कर दिखा दिया
राज और नीति के मायने है क्या
यह दुनिया को दिखा दिया
काश: आज वो हमारे बीच में होते
चोराहे पे हम खड़े आज यूँ ना रोते
बेठे है सिंहासनो पर जो आज
उनको नहीं आती कुछ भी लाज
गुजरात नाम ऐसे ही नहीं मिला
(गुजरात को)
कुछ भी कर गुजरते है जो
वो ही गुजरात की माटी में मिला करते है
दोस्तों इसी माटी में मोदी जैसे कमल खिलते है
( हरी किशन द्वारा रचित )

dil ka dora




now buying medicine is a lot more cheaper



 

इंडिया फर्स्ट ही सेक्यूलरिज्म हैः नरेंद्र मोदी


इंडिया फर्स्ट ही सेक्यूलरिज्म हैः नरेंद्र मोदी
शो शुरु करते हुए अजय देवगन ने कहा, 'देर से शुरु करने के लिए हम माफी चाहते हैं। हमे बताया गया है कि ट्रैफिक की वजह से पूरा सिस्टम ही क्रैश हो गया और दोबारा शुरु करने में एक घंटे का वक्त लग गया।'

नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ट्रैफिक बढ़ गया और लाखों की तादाद में लोग आ गए जिस कारण सिस्टम क्रैश हो गया। मैं गूगल प्लस का आभारी हूं उसने मुझे आपसे बात करने का मौक
ा दिया। मैं देख रहा हूं कि वो किस तरह से ट्रैफिक को मैनेज कर रहे थे। इतनी दिक्कत तो सड़क पर खड़े ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भी नहीं होती होगी जितनी दिक्कत ट्रैफिक क्लियर करने में इन्हें हुई।'

पहला सवाल गुड़गांव के पवन ने पूछा उन्होंने उन्होंने युवा युग की बात उठाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि भारत चीन से पीछे छूट गया है? आपकी राय क्या है?

नरेंद्र मोदीः देश के करोड़ों युवाओं के मन में ये पीड़ा है कि हमारा देश आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है। मैं समझता हूं कि यह दर्द अपने आप में बड़ी शक्ति है। 21वीं सदी एशिया की है और क्या वो चीन की सदी बनेगी या भारत की इस पर बहस हो रही है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और मैं मन से मानता हूं कि इस सदी में भारत नेतृत्व करेगा और विश्व कल्याण के मार्ग पर जाएगा। ये बात सही है कि हमारा देश विश्व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। यदि हम युवाओं की स्किल डेवलवमेंट करेंगे तो हम सही दिशा में जा सकेंगे। यह बात सही है कि चीन ने स्किल डेवलवमेंट पर बहुत काम किया है लेकिन गुजरात में हमने पूरा फोकस स्किल डेवलपमेंट पर ही किया है और इसके कारण हमारे पास एक वर्कफोर्स तैयार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि भारत विश्व गुरु बनेगा और भारत की युवा शक्ति विश्व को लीड करेगी।

लंदन से एक दर्शक ने मोदी से सेक्यूलरिज्म की परिभाषा पूछी तो उन्होंने जवाब दिया, 'आपने बड़ा सनातन सवाल पूछा है। सेक्यूलरिज्म पर हमारे देश में खूब बहस होती है। डिक्शनरी में सेक्यूलरिज्म की जो परिभाषा है वो हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। मेरे लिए सेक्यूलरिज्म के मायने इंडिया फर्स्ट है। भारत सबसे पहले जिसके मन में हैं वो सबसे बड़ा सेक्यूलर है। वोट बैंक की राजनीति ने हमारे सेक्यूलरिज्म को बहुत खोखला कर दिया है। जिस दिन वोट बैंक की राजनीति समाप्त हो जाएगी उस दिन विश्व भारत के सेक्यूलरिज्म को सलाम करेगा।'

बेंगलुरु से एक दर्शक ने सवाल किया, 'युवा राजनीति में नहीं आना चाह रहा है, अगर वो आना भी चाहता है तो परिवार नहीं आने देता, इस पर आपकी राय क्या है?

देखिये राजनीति अपने आप में खराब नहीं है, यही देखा जाये तो भगवान कृष्ण जो करते थे वो सब राजनीति ही थी। भगवान राम जो करते थे वो भी राजनीति ही थी। भगवान बुद्ध राजपरिवार में ही पैदा हुए थे। महात्मा गांधी देश को जगाने के लिए राजनीति में ही आए थे। राजनीति बुरी चीज नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी की ललक को जिंदा नहीं रखा जा सका।

नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, 'देश के युवाओं को अगर स्वराज के निर्माण में हिस्सेदार बनाया होता तो ये दूरी नहीं होती। आज विशेष प्रयास करके राजनीति में आने का प्रयास करना होता है वो नहीं होता। आज से 40 साल पहले देश का जो नेतृत्व उभर कर आया वो या तो स्वतंत्रता संग्रामी थे या फिर कला से जुड़े लोग थे लेकिन धीरे धीरे परिवारों से, जातियों से , बंदूक की नोक से नेता पैदा होने लगे। यह बुराइयां आई हैं और इन्हें दूर करने के लिए युवाओं को नेतृत्व में आना ही होगा। मैं स्वयं बहुत सी सामान्य परिवार से आता हूं। मेरे परिवार में कोई राजनीति का र भी नहीं जानता था लेकिन मैं हिम्मत के साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए निकल पड़ा और काम कर रहा हूं। राजनीति बहुत ही निर्णायक पोजीशन पर होती है। मैं युवाओं को निमंत्रण देता हूं कि राजनीति में आओ। अनुभव से कहता हूं कि कुछ बनने के सपने देखने के लिए राजनीति में नहीं आना चाहिए बल्कि कुछ करने के मकसद से राजनीति में आना चाहिए। आप कुछ करने के उद्देश्य से आएंगे तो कुछ बन भी जाएंगे। राजनीति मक्खन पर लकीर करने वाला खेल नहीं हैं यह पत्थर पर लकीर करने वाला खेल है और पत्थर पर लकीर देश के युवा खीचेंगे।
 — 

नरोड़ा पाटिया जाँच सच का


आज कुछ सीनियर वकीलों और पत्रकार मित्रों से नरोड़ा पाटिया पर आये विशेष कोर्ट के फैसले को लेकर चर्चा हुई |

मित्रों, इस केस के पीछे केन्द्र सरकार ने कई सौ करोड रूपये खर्च किये | कुल चालीस वकीलों की फ़ौज खड़ी की गयी जिन्हें सीनीयरीटी के हिसाब से 40000 रूपये प्रतिदिन से लेकर 8000 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया गया |

इतना ही नही तीस्ता जावेद और मुकुल सिन्हा ने भी अपने तरफ से खाड़ी के देशो के लिए ग
ए पैसे इस मुकदमे मे झोक दिये |

मोबाईल वाइस स्पेक्ट्रोस्कोपी के लिए कई बार केन्द्र की टीम अमेरिका मे एफबीआई के लैब मे भी गयी |

कानूनविदों का मानना है कि विशेष कोर्ट के फैसले मे कई कोंट्राडिक्शन है जैसे :-

१- अगर किसी के मोबाईल लोकेशन को उसके गुनाहगार होने का आधार माना जाये तो क्या अगर कोई अपना मोबाईल घर पर ही छोड़ दे और किसी अपराध को अंजाम दे तो क्या उसे सिर्फ इस आधार पर कोर्ट अपराधी नही मानेगी कि उसके मोबाईल का लोकेशन और क्राइम के लोकेशन आपस मे मैच नही है ?

२- क्या मोबाईल को शरीर का अंग माना जा सकता है कि मोबाईल हर समय किसी के साथ ही हो ?

३- तहलका के स्टिंग ऑपरेशन मे बाबू बजरंगी ने कई बाते कही, लेकिन उसमे से कुछ बाते जाँच मे झूठ साबित हुयी | जैसे बाबू बजरंगी ने कहा कि दंगो के बाद खुद मोदी जी उसे अपने घर पर बुलाकर शाबाशी दी थी | लेकिन जो तारीख बाबू ने तहलका को बताई उस तारीख को मोदी जी गांधीनगर मे क्या गुजरात मे ही नही थे |
फिर कोर्ट ने बाबू बजरंगी के दूसरी सारी बातों को सच कैसे मान लिया ?

४- जिस अपराध मे पूरी भीड़ शामिल हो तो उसमे से ४० लोगो को यदि कोर्ट बेनिफिट ऑफ डाउट देती है तो फिर दूसरों को क्यों नही ? आखिर उनको बेनिफिट ऑफ डाउट देने का आधार क्या है ? जबकि चार्जशीट मे उनका नाम भी बराबर के गुनाह मे शामिल था ?

५- इस केस मे सभी गवाह मरने वालो के सगे सम्बन्धी ही थे और सगे सम्बन्धी के गवाही को सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों मे विश्वसनीय नही माना है | जाहिर सी बात है रिश्तेदार हर हाल मे अभियुक्तों को सजा चाहेंगे इसलिए उनकी गवाही को सुबूतो के साथ मैच होना चाहिए |

मायाबेन और बाबू बजरंगी दोनों एक रजनीतिक फिगर है | मायाबेन कोर्पोरेटर से लेकर विधायक और मंत्री रही है | बाबू बजरंगी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल से जुड़े रहे है | ऐसे मे उनका शिनाख्त परेड मे पहचाना जाना कोई बड़ी बात नही है |

मित्रों विशेष अदालतों के ९९% फैसले हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट मे बदल जाते है

(जितेन्द्र प्रताप सिंह)
 — 

AAPKI JUDAI


GOOD NOON....JB KOI KISI SE DOOR JATA HAI TO KYA DARD HOTA HAI ...

AAPKI JUDAI NE HAMEIN SHAYARI SIKHA DI.
JUDAI KE GAM NE HAMEIN MANZIL BHULA DI. 
CHAHTE TO NEHIN THE AAPSE JUDA HONA PARA. KYA KAREIN AGAR HAMEIN APNO PEETH DIKHA DI....

सलीके से भोजन करते बंदर



बेगूसराय के मंझौल अनुमंडल स्थित जयमंगला देवी मंदिर में सलीके से भोजन करते बंदरों का यह नजारा जरूर खास है। मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालु उन्हें सामूहिक भोज देते हैं। ऐसे ही एक आयोजन में कतार में बैठकर खाना खाती बंदरों की टोली..D