सोमवार, 27 अगस्त 2012

पिलुआ के हनुमान जी



इटावा के बीहड़ क्षेत्र मैं स्थित ये धार्मिक स्थान इटावा वासिओ के लिए आस्था का अनूठा स्थान है,वीर बजरंग वलि की ये लेटी हुई प्रतिमा बेहद सिध्य और ऐतिहासिक है,महाभारत काल के दौरान पांडवो ने अपना अज्ञातवास इटावा के आस पास के क्षेत्रो मैं ही व्यतीत किया,कहावत है की भीम को अपनी शक्ति का बेहद घमंड हो गया था,इसी स्थान पर पिलुआ के पेड़ के नीचे हनुमान जी एक वृद्ध के रूप मैं बैठ गए,और अपनी पूछ को रास्ते मैं डाल दिया,जब भीम वही से निकले तो उन्होंने पूछ को हटाने को कहा,हनुमान बोले आप स्वं हटा लो मैं वृद्ध हू,काफी ताक़त लगाने के बाद भीम पूछ को टश से मश भी न कर सके,तब भीम ने वृद्ध से क्षमा मागी,हनुमान अपने असली रूप मैं आगये,तभी से यहाँ जमीन पर लेटी प्रतिमा बेहद सिध्य है,और एक बात और मूर्ति को कितना भी पानी पिलाओ वो कम नहीं होता,आज के वैज्ञानिक युग मैं ये मूर्ति लोगो के लिए एक पहेली है,लेकिन हम इटावा वासिओ के लिए तो अटूट आस्था का प्रतीक,,,,,,,,,,,,

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