जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है-उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है
आप गिलोय को अपने घर के गमले में लगा कर रस्सी से उसकी लता को बांध सकते हैं इसके बाद इसके रस का प्रयोग कर सकते हैं गिलोय एक दवाई के रूप में जानी जाती है जिसका रस पीने से शरीर के अनेको प्रकार के कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती हैं-
आजकल तो बाजार में गिलोय की गोलियां, सीरप, पाउडर आदि भी मिलना शुरु हो चुके हैं-गिलोय शरीर के दोषों (कफ ,वात और पित्) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है-
गिलोय का उल्टी-बेहोशी-कफ-पीलिया-धातू विकार-सिफलिस-एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार-चर्म रोग-झाइयां-झुर्रियां-कमजोरी-गले के संक्रमण-खाँसी-छींक-विषम ज्वर नाशक-टाइफायड-मलेरिया-डेंगू-पेट कृमि-पेट के रोग-सीने में जकड़न-जोडों में दर्द-रक्त विकार-निम्न रक्तचाप-हृदयदौर्बल्य-(टीबी)लीवर-किडनी-मूत्ररोग-मधुमेह-रक्तशोधक रोग प्रतिरोधक-गैस-बुढापा रोकने वाली-खांसी मिटाने वाली-भूख बढ़ाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है-
टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, तिल्ली बढऩा, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है-यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है-गिलोय बीमारियों से लडऩे, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है-
डाले एक नजर इसके प्रयोग पर -
1बुखार को ठीक करने का इसमें अद्भुत गुण है पर यह मलेरिया पर अधिक प्रभावी नहीं है लेकिन शरीर की समस्त मेटाबोलिक क्रियाओं को व्यवस्थित करने के साथ सिनकोना चूर्ण या कुनाईनं (कोई भी एंटी मलेरियल) औषधि के साथ देने पर उसके घातक प्रभावों को रोक कर शीघ्र लाभ देती है -
2दीर्घायु प्रदान करने वाली अमृत तुल्य गिलोय और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7 पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है-गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है-यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है-
3गिलोय और पुनर्नवा मिर्गी में लाभप्रद होती है-इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के साथ दिया जाता है- अनेक रोगों में इसे पशुओं के रोगों में भी दिया जाता है-
4गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए, शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करता है- यह शरीर को दिल से संबंधित बीमारियों से बचाए रखता है-
5गिलोय एक रसायन है-यह रक्तशोधक- ओजवर्धक- ह्रुदयरोग नाशक शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है-यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है-गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है-गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है-
6गिलोय के 6 इंच तने को लेकर कुचल कर उसमे 4 या 5 पत्तियां तुलसी की मिला ले तथा इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गूदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर आपको कोई भी बीमारी नहीं आती है और यदि इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है-यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है-
7गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है-गैस-जोडों का दर्द-शरीर का टूटना-असमय बुढापा-वात असंतुलित होने का लक्षण हैं तो गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है-
8गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से स्त्रियों को बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं-
9क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व-इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है-गिलोय सत्व को कुचल कर बारीक पीस कर पानी में घोल ले और छान कर किसी बर्तन में धूप में रख दे जब सारा पानी उड़ जाए तो नीचे सफ़ेद पर्दार्थ प्राप्त होगा यही गिलोय सत्व है -
10प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है-
11गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है-तथा कब्ज दूर होती है-
12फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें- इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है-
13गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में सिर्फ दो बार डालने से कान का मैल निकल जाता है और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है-
14मट्ठे के साथ गिलोय का एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है-
15मुंहासे-फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे-फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है-।