सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

1929 में इटावा आये थे महात्मा गांधी


‎1929 में इटावा आये थे महात्मा गांधी

आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी इटावा भी आये थे। इटावा स्वतंत्रता आंदोलन के लिए बड़ा महत्वपूर्ण शहर था। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के कलक्टर एओ ह्यूम ने पूरी ताकत के साथ इस आंदोलन को कुचलना चाहा था लेकिन इटावा की चकरनगर रियासत के राजा निरंजन सिंह जूदेव के जाबांज सैनिकों ने एक स्थिति ऐसी ला दी कि कलक्टर ह्यूम को बुर्का पहनकर भागना पड़ा।
यहीं से ह्यूम का हृदय परिवर्तन हुआ और भारतीय जनमानस और उसकी समस्याओं के साथ उन्हें आत्मीयता का पाठ इटावा की धरती ने पढ़ाया। गांधी जी ने 1921 में जब असहयोग आंदोलन चलाया तो इटावा के जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मौलाना रहमत उल्ला के नेतृत्व में यहां के कांग्रेस जनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 1922 में काकोरी कांड में इसी जिले के ज्योति शंकर दीक्षित और मुकुंदी लाल गिरफ्तार किये गये।
इसी दौरान जवाहर लाल नेहरू भी कई बार इटावा आये। गांधीजी इटावा की इस देशभक्ति से परिचित थे वे देशभर में जनजागरण अभियान को निकल पड़े थे तो 
फिर इटावा उनकी दृष्टि से ओझिल नहीं हो सकता था। 1929 में वे इटावा आये और पुराना शहर के बजरिया छैराहा स्थित जुगल विहारी टंडन जुग्गी लाला की कोठी पर कुछ देर रुक कर औरैया के लिए रवाना हुए। इकदिल चौराहे पर कुछ लोगों ने रोक कर उनका स्वागत भी किया और यहां से वह सीधे प्रस्थान कर गये। औरैया इटावा जिले की सबसे बड़ी तहसील थी और जिले में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान औरैया के सेनानियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था।
औरैया में 23 नवंबर 1929 को गांधीजी ने एक जनसभा को संबोधित किया। यहां गेंदालाल दीक्षित ने शिवाजी समिति तथा मातृवेदी नामक संगठन बनाया था। जिसके अनुयायियों ने आंदोलन को गति दी। गांधीजी यहां आकर लोगों से आह्वान कर गये कि वे सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत में आने वाले साइमन कमीशन का डटकर विरोध करें। गांधी का आना और उनका चमत्कारी भाषण लोगों को छू गया। परिणाम यह हुआ कि 1931 में और तत्पश्चात 1942 के आंदोलन में इटावा जिले में एक क्रांति सी आ गयी। हर तरफ आजादी हासिल करने का जज्बा दिखाई देने लगा। यहां के पूंजीवादी वर्ग ने भी गांधीजी के आह्वान पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और गांधी का चरखा हर कांग्रेस कार्यकर्ता के घर पहुंच गया।
आज भी इटावा वासी इस बात से रोमांचित हैं कि पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा और बंधुत्व का संदेश देने वाला यह महापुरुष कभी उनके जिले में भी आया था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें