मंगलवार, 3 जुलाई 2012

सब्जी धोने कीमशीन


घर का आविष्कार
बाडोपट्टी गांव निवासी 34 वर्षीय महाबीर जांगड़ा ने न तो कभी किसी इंजिनियर कॉलेज में दाखिला लिया और न ही कृषि यंत्र बनाने का विशेष प्रशिक्षण । छह जमात पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उम्र कम थी लेकिन तभी से कृषि यंत्र बनाने में रुचि पैदा हुई।

छोटी-मोटी मशीनें बनाने की शुरुआत घर पर ही हुई और आज इनकी तकनीक का जादू पूरे प्रदेश में चलता है। महाबीर को पहली सफलता 15 वर्ष पूर्व गाजर धोने कीमशीन के साथ लगी। आठ साल पहले अदरक, अरबी धोने की मशीन तैयार की। इससे पहले ये मशीनें हाथों से चलती थीं। एक व्यक्ति एक दिन में करीब 2 क्विंटल सब्जियां धो पाता था। महाबीर की बनाई मशीन से एक घंटे में 100 क्विंटल के लगभग सब्जी धोई जा सकती हैं। इसके अलावा सर्दियों में गाजर धोने में किसानों को बर्फ जमा देने वाली ठण्ड से भी पूर्ण राहत मिली है। अब महाबीर ने स्प्रे पंप भी आधुनिक तकनीक के तैयार किए हैं। मिस्त्री महाबीर जांगड़ा ने बताया कि उपरोक्त कृषि यंत्र पर राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 50 प्रतिशत की सबसिडी मिलती है। वे बताते हैं कि उनकी बनाई गई मशीनों को सोनीपत, फरमाणा, अलीगढ़, दिल्ली, फतेेहाबाद, भिवानी के किसान आते हैं। उन्होंने बताया कि एक मशीन को बनाने में छ: महीने का समय लगता है।

मशीन में लगने वाला सामान हिसार, लुधियाना व टोहाना से खरीद कर लाया जाता है। एक मशीन पर 90 हजार रुपये की लागत आती है और इस मशीन को 1 लाख 5 हजार रुपये तक बेचा जाता है। वे कपास बीजने, स्प्रे पंप आदि मशीनें भी बना रहे हैं। इसके अलावा हल्दी धोने की मशीन भी जल्द ही बना ली जाएगी। उन्होंने बताया कि उनके पिता सीताराम जांगड़ा बहबलपुर बस स्टैंड पर वेल्डिंग का कार्य करते थे, वह उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर इस कार्य में जुड़े।

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