शनिवार, 29 दिसंबर 2012

उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो

 उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब केशव ना आयंगे !!

छोडो मेहँदी खड्ग संभालो, खुद ही अपना चीर बचा लो !
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि, हर तरफ तुम्हे मिल जायेंगे !!
उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब केशव ना आयंगे !

कब तक आस लगाओगी, तुम बिक़े हुए सरकारों से,
बहुत हो गया, निकल चलो अब, इन दुशासन दरबारों से !!
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं, वे क्या लाज बचायेंगे !
उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब केशव ना आयंगे !!
कल तक केवल अँधा था, अब राजा गूंगा बहरा भी है !
होठ सील दिए जनता के, कानों पर पहरा भी है !!

माँ राखी पर जब भईया की कलाई सूनी रह जायेगी



माँ बहुत दर्द सह कर ..बहुत दर्द दे कर ..

    तुझसे कुछ कहकर में जा रही हूँ .. ..
   आज मेरी विदाई में जब सखियाँ आयेगी .....
   सफेद जोड़े में देख सिसक-सिसक मर जायेंगी ..
   लड़की होने का ख़ुद पे फ़िर वो अफ़सोस जतायेंगी ....
   माँ तू उनसे इतना कह देना दरिन्दों की दुनियाँ में सम्भल कर रहना ...

 माँ राखी पर जब भईया की कलाई सूनी रह जायेगी ....
 याद मुझे कर-कर जब उनकी आँख भर जायेगी ....
 तिलक माथे पर करने को माँ रूह मेरी भी मचल जायेगी ....
 माँ तू भईया को रोने ना देना .....
 मैं साथ हूँ हर पल उनसे कह देना .....

   माँ पापा भी छुप-छुप बहुत रोयेंगें ....­
   मैं कुछ न कर पाया ये कह कर खुदको कोसेंगें ...
   माँ दर्द उन्हें ये होने ना देना ..
   इल्ज़ाम कोई लेने ना देना ...
   वो अभिमान है मेरा सम्मान हैं मेरा ..
   तू उनसे इतना कह देना ..

 माँ तेरे लिये अब क्या कहूँ ..
 दर्द को तेरे शब्दों में कैसे बाँधूँ ...
 फिर से जीने का मौक़ा कैसे माँगूं ...
 माँ लोग तुझे सतायेंगें ....
 मुझे आज़ादी देने का तुझपे इल्ज़ाम लगायेंगें ..
 माँ सब सह लेना पर ये न कहना .....
  "अगले जनम मोह़े बिटिया ना देना ... :'( :'( :'( :'(












माँ बहुत दर्द सह कर ..बहुत दर्द दे कर ..

तुझसे कुछ कहकर में जा रही हूँ .. ..
आज मेरी विदाई में जब सखियाँ आयेगी .....
सफेद जोड़े में देख सिसक-सिसक मर जायेंगी ..
लड़की होने का ख़ुद पे फ़िर वो अफ़सोस जतायेंगी ....
माँ तू उनसे इतना कह देना दरिन्दों की दुनियाँ में सम्भल कर रहना ...

माँ राखी पर जब भईया की कलाई सूनी रह जायेगी ....
याद मुझे कर-कर जब उनकी आँख भर जायेगी ....
तिलक माथे पर करने को माँ रूह मेरी भी मचल जायेगी ....
माँ तू भईया को रोने ना देना .....
मैं साथ हूँ हर पल उनसे कह देना .....

माँ पापा भी छुप-छुप बहुत रोयेंगें ....­
मैं कुछ न कर पाया ये कह कर खुदको कोसेंगें ...
माँ दर्द उन्हें ये होने ना देना ..
इल्ज़ाम कोई लेने ना देना ...
वो अभिमान है मेरा सम्मान हैं मेरा ..
तू उनसे इतना कह देना ..

माँ तेरे लिये अब क्या कहूँ ..
दर्द को तेरे शब्दों में कैसे बाँधूँ ...
फिर से जीने का मौक़ा कैसे माँगूं ...
माँ लोग तुझे सतायेंगें ....
मुझे आज़ादी देने का तुझपे इल्ज़ाम लगायेंगें ..
माँ सब सह लेना पर ये न कहना .....
"अगले जनम मोह़े बिटिया ना देना ..

we now live in india



► www.knowledgeoftoday.org/2012/07/owned-operated-documentary.html — A film about Humanity and the World we've built for Ourselves

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

हम सभी खास है.


एक प्रख्यात वक्ता ने हाथ मेँ एक हजार की नोट ली,

और भाषण देना शुरु किया,
पुरा मैदान दर्शको से भरा हुआ था।
भाषण शुरु करने से पहले हजार की नोट सब को दिखाई
और पुछा
यह हजार की नोट किस-किस को चाहिए?

धीरे धीरे एक के बाद एक हाथ खड़े हुए,
उसने कहा...
भले ही कितनो ने हाथ खडे किए,
मैँ हजार की नोट सब को दुंगा।
लेकिन मुझे कुछ करना है।

उसने वो नोट मरोड दी...
पुरे मैदान मेँ सन्नाटा छा गया..!!
उसने वो नोट वापस धीरे धीरे खोली और कहा..
अभी भी यह नोट किसी को चाहिए?
फिर से एक के बाद एक हाथ खडे हुए.!!!

उसने भले ही कहकर
वो नोट नीचे फेँककर अपने पैर से कुचलने लगा...: (:
रगदडने लगा,
नोट पुरी तरह सेँ खराब हो गई..!
फिर पुछा अब भी किसी को यह काली धुल से भरी खराब नोट चाहिए?

फिर से एक के बाद एक हाथ खडे हुए..!

‘मेरे प्रिये मित्रो.
आज बहुत खुब महत्व कि बात सिखने को मिली है.
आज हमने सिखा है।
कि,हजार की नोट को कुचला,मरोडा,खराब किया..
फिर भी हर किसी को चाहिए थी....!
क्योकिँ सब को मालुम था कि नोट का कोई भी हाल हुआ हो
लेकिन उसकी कीमत घटेगी नही,

वो तो हजार रुपये कि नोट ही रहेगी
इसी तरह जीवन मेँ खराब संजोग से नीचे गिरते है,

खराब निर्णय कि भुल के कारण निराश होते है,

इसी नोट कि तरह कुचले जाते है
और

एसा लगता हे कि हम बिल्कुल निकम्मे हो गये।
लेकिन

एसा कभी होता नही चाहे कुछ भी हो
अपनी कीमत कभु घटती नही

हम सभी खास है.
यह बात हमेशा याद रखना...!!

शुभ रात्रि मित्र...








एक प्रख्यात वक्ता ने हाथ मेँ एक हजार की नोट ली,

और भाषण देना शुरु किया,
पुरा मैदान दर्शको से भरा हुआ था।
भाषण शुरु करने से पहले हजार की नोट सब को दिखाई
और पुछा
यह हजार की नोट किस-किस को चाहिए?

धीरे धीरे एक के बाद एक हाथ खड़े हुए,
उसने कहा...
भले ही कितनो ने हाथ खडे किए,
मैँ हजार की नोट सब को दुंगा।
लेकिन मुझे कुछ करना है।

उसने वो नोट मरोड दी...
पुरे मैदान मेँ सन्नाटा छा गया..!!
उसने वो नोट वापस धीरे धीरे खोली और कहा..
अभी भी यह नोट किसी को चाहिए?
फिर से एक के बाद एक हाथ खडे हुए.!!!

उसने भले ही कहकर
वो नोट नीचे फेँककर अपने पैर से कुचलने लगा...: (:
रगदडने लगा,
नोट पुरी तरह सेँ खराब हो गई..!
फिर पुछा अब भी किसी को यह काली धुल से भरी खराब नोट चाहिए?

फिर से एक के बाद एक हाथ खडे हुए..!

‘मेरे प्रिये मित्रो.
आज बहुत खुब महत्व कि बात सिखने को मिली है.
आज हमने सिखा है।
कि,हजार की नोट को कुचला,मरोडा,खराब किया..
फिर भी हर किसी को चाहिए थी....!
क्योकिँ सब को मालुम था कि नोट का कोई भी हाल हुआ हो
लेकिन उसकी कीमत घटेगी नही,

वो तो हजार रुपये कि नोट ही रहेगी
इसी तरह जीवन मेँ खराब संजोग से नीचे गिरते है,

खराब निर्णय कि भुल के कारण निराश होते है,

इसी नोट कि तरह कुचले जाते है
और

एसा लगता हे कि हम बिल्कुल निकम्मे हो गये।
लेकिन

एसा कभी होता नही चाहे कुछ भी हो
अपनी कीमत कभु घटती नही

हम सभी खास है.
यह बात हमेशा याद रखना...!!

स्वामी विवेकानंद के बचपन की घटना


यह स्वामी विवेकानंद के बचपन की घटना है। उस वक्त वह नरेंद्र के नाम से जाने जाते थे। बचपन से ही उनमें असाधारण प्रतिभा दिखाई थी। उनके शब्द उनके व्यक्तित्व के समान
ही प्रभावशाली थे। जब वह बात करते तो हर कोई ध्यानमग्न हो अपने काम को भूल कर उन्हें सुनता था। एक दिन स्कूल में नरेंद्र एक क्लास के ब्रेक के दौरान अपने दोस्तों से बात कर रहे थे। इस बीच शिक्षक क्लास में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन छात्र, नरेंद्र की बातचीत सुनने में ही लीन रहे। उन्होंने कक्षा में शिक्षक के आने और उनके द्वारा पढ़ाए जाने का पता ही नहीं चला। कुछ समय तक शिक्षक महोदय तल्लीनता से पढ़ाते रहे। लेकिन उन्हें आभास हुआ कि कक्षा में विद्यार्थियों के बीच कुछ कानाफूसी चल रही है। शिक्षक ने नाराजगी दिखाते हुए पूछा, 'क्या चल रहा है ?

'कोई जवाब न मिलने पर हरेक छात्र से पूछा, 'बताओ अब तक मैंने क्या बताया था?' कोई भी विद्यार्थी उत्तर न दे सका। लेकिन नरेंद्र को सब कुछ पता था। वह अपने दोस्तों से बात करते हुए भी शिक्षक के व्याख्यान को सुन रहे थे और उसे ग्रहण भी कर रहे थे। शिक्षक ने जब उनसे यह सवाल पूछा तो उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि वह क्या कह रहे थे? शिक्षक ने फिर सबसे पूछना शुरू किया, 'जब मैं पढ़ा रहा था तब कौन-कौन बात कर रहा था?' हर किसी ने नरेंद्र की ओर इशारा किया। लेकिन शिक्षक को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने नरेंद्र को छोड़कर सभी छात्रों को बेंच पर खड़ा होने के लिए कहा। नरेंद्र भी अपने दोस्तों में शामिल हो खड़े हो गए। शिक्षक ने उनसे कहा, ' अरे तुम क्यों खड़े हो गए? तुमने तो सही उत्तर दिया है। बैठ जाओ।' नरेंद्र ने कहा, 'नहीं सर, मैं भी खड़ा होऊंगा क्योंकि मैं ही छात्रों से बात कर रहा था।' यह सुनकर शिक्षक महोदय दंग रह गए।


शुभ रात्रि !













यह स्वामी विवेकानंद के बचपन की घटना है। उस वक्त वह नरेंद्र के नाम से जाने जाते थे। बचपन से ही उनमें असाधारण प्रतिभा दिखाई थी। उनके शब्द उनके व्यक्तित्व के समान
ही प्रभावशाली थे। जब वह बात करते तो हर कोई ध्यानमग्न हो अपने काम को भूल कर उन्हें सुनता था। एक दिन स्कूल में नरेंद्र एक क्लास के ब्रेक के दौरान अपने दोस्तों से बात कर रहे थे। इस बीच शिक्षक क्लास में आ पहुंचे और उन्होंने अपना विषय पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन छात्र, नरेंद्र की बातचीत सुनने में ही लीन रहे। उन्होंने कक्षा में शिक्षक के आने और उनके द्वारा पढ़ाए जाने का पता ही नहीं चला। कुछ समय तक शिक्षक महोदय तल्लीनता से पढ़ाते रहे। लेकिन उन्हें आभास हुआ कि कक्षा में विद्यार्थियों के बीच कुछ कानाफूसी चल रही है। शिक्षक ने नाराजगी दिखाते हुए पूछा, 'क्या चल रहा है ?

'कोई जवाब न मिलने पर हरेक छात्र से पूछा, 'बताओ अब तक मैंने क्या बताया था?' कोई भी विद्यार्थी उत्तर न दे सका। लेकिन नरेंद्र को सब कुछ पता था। वह अपने दोस्तों से बात करते हुए भी शिक्षक के व्याख्यान को सुन रहे थे और उसे ग्रहण भी कर रहे थे। शिक्षक ने जब उनसे यह सवाल पूछा तो उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि वह क्या कह रहे थे? शिक्षक ने फिर सबसे पूछना शुरू किया, 'जब मैं पढ़ा रहा था तब कौन-कौन बात कर रहा था?' हर किसी ने नरेंद्र की ओर इशारा किया। लेकिन शिक्षक को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने नरेंद्र को छोड़कर सभी छात्रों को बेंच पर खड़ा होने के लिए कहा। नरेंद्र भी अपने दोस्तों में शामिल हो खड़े हो गए। शिक्षक ने उनसे कहा, ' अरे तुम क्यों खड़े हो गए? तुमने तो सही उत्तर दिया है। बैठ जाओ।' नरेंद्र ने कहा, 'नहीं सर, मैं भी खड़ा होऊंगा क्योंकि मैं ही छात्रों से बात कर रहा था।' यह सुनकर शिक्षक महोदय दंग रह गए।

माँ मुझे छुपा लो बहुत डर लगता है

माँ बहुत डर लगता है 
माँ मुझे डर लगता है...
बहुत डर लगता है ... 
सूरज की रौशनी आग सी लगती है
पानी की बूंदे तेजाब सी लगती हैं ...
माँ हवा में भी ज़हर सा घुला लगता है .
माँ मुझे छुपा लो बहुत डर लगता है।।।
माँ याद है वो काँच की गुडिया जो बचपन में
टूटी थी ...
माँ कुछ ऐसे ही आज मै टूट गयी हूँ ..
मेरी गलती कुछ भी ना थी
माँ फिर भी खुद से रूठ गयी हूँ ...
माँ बचपन में स्कूल टीचर की गन्दी नज़रों से
डर लगता था।।।
पड़ोस के चाचा के नापाक इरादों से डर
लगता था।।।
माँ वो नुक्कड़ के लड़कों की बेखौफ़ बातों से डर लगता था।।
और अब बॉस के वहशी इशारों से डर लगता है।।
माँ मुझे छुपा लो बहुत डर लगता है।।।
माँ तुझे याद है तेरे आँगन में चिड़िया सी फुदक रही थी ..
ठोकर खा के मै जमीन पर गिर रही थी
दो बूँद खून की देख के माँ तू भी रो पड़ती थी
माँ तूने तो मुझे फूलों की तरह पला था
उन दरिंदों का आखिर मैंने क्या बिगाड़ा था क्यूँ वो मुझे इस तरह मसल कर चले गए
बेदर्द मेरी रूह को कुचल कर चले गए ..
माँ तू तो कहती थी की अपनी गुडिया को मै
दुल्हन बनाएगी
मेरे इस जीवन को खुशियों से सजाएगी।।
माँ क्या वो दिन जन्दगी कभी ना लाएगी ..
माँ क्या तेरे घर अब बारात न आएगी ...?
माँ खोया है जो मैंने क्या फिर से कभी न पाऊँगी ...?
माँ सांस तो ले रही हूँ
क्या जिन्दगी जी पाऊँगी ...?
माँ घूरते हैं सब अलग ही नज़रों से ..
माँ मुझे उन नज़रों से छुपा ले
माँ बहुत डर लगता है मुझे आँचल में छुपाले ......

Srinivasa Ramanujan


गणित के महान व्यक्तित्व के 125वें जन्म दिन पर इन की शख्शियत को शत शत नमन
Srinivasa Ramanujan
Srinivasa Ramanujan FRS was an Indian mathematician and autodidact who, with almost no formal training in pure mathematics, made extraordinary contributions to mathematical analysis, number theory, infinite series, and continued fractions. Wikipedia
Born: December 22, 1887, Erode
Died: April 26, 1920, Chetput
Spouse: Janakiammal (m. 1909)
Education: Trinity College, Cambridge (1919 – 1920), More
Parents: K. Srinivasa Iyengar, Komalatammal
गणित के महान व्यक्तित्व के 125वें  जन्म दिन पर इन की शख्शियत को शत शत नमन  
Srinivasa Ramanujan
Srinivasa Ramanujan FRS was an Indian mathematician and autodidact who, with almost no formal training in pure mathematics, made extraordinary contributions to mathematical analysis, number theory, infinite series, and continued fractions. Wikipedia
Born: December 22, 1887, Erode
Died: April 26, 1920, Chetput
Spouse: Janakiammal (m. 1909)
Education: Trinity College, Cambridge (1919 – 1920), More
Parents: K. Srinivasa Iyengar, Komalatammal

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

SAWDHAN INDIA


SAWDHAN
IF YOU ARE DRIVING AT NIGHT AND EGGS ARE THROWN AT YOUR WINDSCREEN, DO NOT STOP TO CHECK THE CAR , DO NOT OPERATE THE WIPER AND DO NOT SPRAY ANY WATER, BECAUSE EGGS MIXED WITH WATER BECOME MILKY AND BLOCK YOUR VISION UP TO 92.5%, AND YOU ARE THEN FORCED TO STOP BESIDE THE ROAD AND BECOME A VICTIM OF THESE CRIMINALS. THIS IS A NEW TECHNIQUE USED BY GANGS, SO PLEASE INFORM YOUR FRIENDS AND RELATIVES. .

Plz do spread awareness.  ♥ for more issues like=> @[458417417516840:274:Amazing Facts]














IF YOU ARE DRIVING AT NIGHT AND EGGS ARE THROWN AT YOUR WINDSCREEN, DO NOT STOP TO CHECK THE CAR , DO NOT OPERATE THE WIPER AND DO NOT SPRAY ANY WATER, BECAUSE EGGS MIXED WITH WATER BECOME MILKY AND BLOCK YOUR VISION UP TO 92.5%, AND YOU ARE THEN FORCED TO STOP BESIDE THE ROAD AND BECOME A VICTIM OF THESE CRIMINALS. THIS IS A NEW TECHNIQUE USED BY GANGS, SO PLEASE INFORM YOUR FRIENDS AND RELATIVES. .

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

EK THA DOCTER



एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन
के बाद डाक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल में
प्रवेश करते हैं....उन्होंने तुरंत अपने कपडे
बदल कर सर्जिकल गाउन पहना, ऑपरेशन के
लिए खुद को तैयार किया और ऑपरेशन
थियेटर की तरफ चल पड़े...हॉल में प्रवेश
करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर
जाती है...जो उनका इंतज़ार करती जान
पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग
रही थी....
डॉक्टर को देखते ही लड़के की माँ एकदम
गुस्से से बोली : आपने आने इतनी देर क्यों कर
दी..? आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे
की हालत बहुत गंभीर है..?
आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है
की नहीं..??
डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं
अपनी गलती के लिए आपसे
माफ़ी मांगता हूँ...फोन आया तब मैं अस्पताल
में नहीं था,जैसे ही खबर मिली मैं तुरंत
अस्पताल के लिए निकल पड़ा..रास्ते में
ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से थोड़ी देर
हो गयी. अब आप निश्चिन्त रहो मैं आ
गया हूँ भ
गवान की मर्ज़ी से सब ठीक हो जाएगा..अब
आप विलाप करना छोड़ दो..''
इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से :
विलाप करना छोड़ दूं मतलब..? आपके कहने
का मतलब क्या है..? मेरे बच्चे को कुछ
हो गया होता तो.? इसकी जगह
आपका बच्चा होता तो आप क्या करते..??
डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत
हो जाओ बहन, जीवन और मरण
वो तो भगवान के हाथ में है, मैं तो बस एक
मनुष्य हूँ, फिर भी मैं मेरे से
जितना अच्चा प्रयास हो सकेगा वो मैं
करूँगा..बाकी आपकी दुआ और भगवान
की मर्ज़ी..! क्या अब आप मुझे ऑपरेशन
थियेटर में जाने देंगीं.?? डॉक्टर ने फिर
नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में
चले गए..
कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान
लिए ऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के
की माँ से कहते हैं : भगवान का लाख लाख
शुक्र है की आपका लड़का सही सलामत है,
अब वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और
आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टर
दे देगा..ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से
चल पड़ते हैं..
लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये
डॉक्टर साहब
को इतनी जल्दी भी क्या थी.?
मेरा लड़का होश में आ जाता तब तक तो रूक
जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..?
डॉक्टर तो बहुत घमंडी लगते हैं''
ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और
कहा : ''मैडम ! ये वही डॉक्टर हैं
जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के
की अंधाधुंध ड्राइविंग की चपेट में आकर
मारा गया है..उनको पता था की आपके लड़के
के कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान
गयी है फिर भी उन्होंने तुम्हारे लड़के
की जान बचाई है...और जल्दी वो इसलिए
चले गए क्योंकि वे अपने लड़के की अंतिम
क्रिया अधूरी छोड़ कर आ गए थे...
मोरल : ''कर्तव्य मेरा सर्वोपरि'
पेज से जुडियें @[501920879840245:274:आजाद क्रांति सेना]

















एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन
के बाद डाक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल में
प्रवेश करते हैं....उन्होंने तुरंत अपने कपडे
बदल कर सर्जिकल गाउन पहना, ऑपरेशन के
लिए खुद को तैयार किया और ऑपरेशन
थियेटर की तरफ चल पड़े...हॉल में प्रवेश
करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर
जाती है...जो उनका इंतज़ार करती जान
पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग
रही थी....
डॉक्टर को देखते ही लड़के की माँ एकदम
गुस्से से बोली : आपने आने इतनी देर क्यों कर
दी..? आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे
की हालत बहुत गंभीर है..?
आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है
की नहीं..??
डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं
अपनी गलती के लिए आपसे
माफ़ी मांगता हूँ...फोन आया तब मैं अस्पताल
में नहीं था,जैसे ही खबर मिली मैं तुरंत
अस्पताल के लिए निकल पड़ा..रास्ते में
ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से थोड़ी देर
हो गयी. अब आप निश्चिन्त रहो मैं आ
गया हूँ भ
गवान की मर्ज़ी से सब ठीक हो जाएगा..अब
आप विलाप करना छोड़ दो..''
इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से :
विलाप करना छोड़ दूं मतलब..? आपके कहने
का मतलब क्या है..? मेरे बच्चे को कुछ
हो गया होता तो.? इसकी जगह
आपका बच्चा होता तो आप क्या करते..??
डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत
हो जाओ बहन, जीवन और मरण
वो तो भगवान के हाथ में है, मैं तो बस एक
मनुष्य हूँ, फिर भी मैं मेरे से
जितना अच्चा प्रयास हो सकेगा वो मैं
करूँगा..बाकी आपकी दुआ और भगवान
की मर्ज़ी..! क्या अब आप मुझे ऑपरेशन
थियेटर में जाने देंगीं.?? डॉक्टर ने फिर
नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में
चले गए..
कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान
लिए ऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के
की माँ से कहते हैं : भगवान का लाख लाख
शुक्र है की आपका लड़का सही सलामत है,
अब वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और
आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टर
दे देगा..ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से
चल पड़ते हैं..
लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये
डॉक्टर साहब
को इतनी जल्दी भी क्या थी.?
मेरा लड़का होश में आ जाता तब तक तो रूक
जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..?
डॉक्टर तो बहुत घमंडी लगते हैं''
ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और
कहा : ''मैडम ! ये वही डॉक्टर हैं
जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के
की अंधाधुंध ड्राइविंग की चपेट में आकर
मारा गया है..उनको पता था की आपके लड़के
के कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान
गयी है फिर भी उन्होंने तुम्हारे लड़के
की जान बचाई है...और जल्दी वो इसलिए
चले गए क्योंकि वे अपने लड़के की अंतिम
क्रिया अधूरी छोड़ कर आ गए थे...
मोरल : ''कर्तव्य मेरा सर्वोपरि'
पेज से जुडियें 

एक लडकी ससुराल चली गई,



एक लडकी ससुराल चली गई,
कल की लडकी आज बहू बन गई.

कल तक मौज करती लडकी,
अब ससुराल की सेवा करती बन गई.

कल तक तो ड्रेस और जीन्स पहनती लडकी,
आज साडी पहनती सीख गई.

पीहर  मेँ जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.

रोज मजे से पैसे खर्च करती लडकी,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.

कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लडकी,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.

कल तक तो तीन टाईम फुल खाना खाती लडकी,
आज ससुराल मेँ तीन टाईम का खाना बनाना सीख गई.

हमेशा जिद करती लडकी,
आज पति को पुछना सीख गई.

कल तक तो मम्मी से काम करवाती लडकी,
आज सासु मा के काम करना सीख गई.

कल तक तो भाई-बहन के साथ झगडा करती लडकी,
आज ननंद का मान करना सीख गई.

कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लडकी,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.

पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.

फिर भी लोग कहते मेरी बेटी ससुराल में बहुत खुश है..
एक लडकी ससुराल चली गई,
कल की लडकी आज बहू बन गई.

कल तक मौज करती लडकी,
अब ससुराल की सेवा करती बन गई.

कल तक तो ड्रेस और जीन्स पहनती लडकी,
आज साडी पहनती सीख गई.

पीहर मेँ जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.

रोज मजे से पैसे खर्च करती लडकी,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.

कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लडकी,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.

कल तक तो तीन टाईम फुल खाना खाती लडकी,
आज ससुराल मेँ तीन टाईम का खाना बनाना सीख गई.

हमेशा जिद करती लडकी,
आज पति को पुछना सीख गई.

कल तक तो मम्मी से काम करवाती लडकी,
आज सासु मा के काम करना सीख गई.

कल तक तो भाई-बहन के साथ झगडा करती लडकी,
आज ननंद का मान करना सीख गई.

कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लडकी,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.

पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.

फिर भी लोग कहते मेरी बेटी ससुराल में बहुत खुश है..

बालिका भ्रूण हत्या रोकें



बालिका भ्रूण हत्या रोकें ...आने वाले कल को बचाएं ..शेयर करें और जागरूकता फैलाएं !!
















बालिका भ्रूण हत्या रोकें ...आने वाले कल को बचाएं ..शेयर करें और जागरूकता फैलाएं !!

WOMEN IS BEYOND COMPARISON...


WOMEN IS BEYOND COMPARISON...
जरूर पढ़ें...
कुछ समय पहले चीन में आये भूकंप में एक दिल को छु लेने वाली घटना हुई..
भूकंप के बाद बचाव कार्य का एक दल एक महिला के पूर्ण रूप से ध्वस्त हुए घर की जांच कर रहा था, बारीक दरारों में से महिला का मृत शारीर दिखा लेकिन वो एक अजीब अवस्था में था, महिला अपने घुटनों के बल बैठी थी ठीक वैसे ही जैसे मंदिर में लोग भगवान् के सामने नमन करते है, उसके दोनों हाथ किसी चीज़ को पकडे हुए थे, भूकंप से उस महिला की पीठ व् सर को काफी क्षति पहुंची थी,
काफी मेंहनत के बाद दल के सदस्य ने बारीक दरारों में से जगह बना कर अपना हाथ महिला की तरफ बढाया इस उम्मीद में की शायद वो जिंदा हो, लेकिन महिला का शारीर ठंडा हो चूका था, जिसे बचाव दल समझ गया की महिला मर चुकी है,
बचाव दल ने उस घर को छोड़ दिया और दुसरे मकानों की तरफ चलने लगे, बचाव दल के प्रमुख का कहना थाकी "पता नहीं क्यूँ मुझे उस महिला का घर अपनी तरफ खींच रहा था,कुछ था जो मुझसे कह रहा था के मैं इस घर को ऐसे छोड़ कर न जाऊं और मैंने अपने दिल की बात मानने का फैसला किया"
उसके बाद बचाव दल एक बार फिर उस महिला के घर की तरफ पहुंचे, दल प्रमुख ने मलबे को सावधानी से हटा कर बारीक दरारों में से अपना हाथ महिला की तरफ बढ़ाया और उसके शरीर के निचे स्थित जगह को हाथों से टटोलने लगे, तभी उनके मुह से निकला "बच्चा... यहाँ एक बच्चा है "पूरा दल काम में जुट गया, सावधानी से मलबा हटाया जाने लगा, तब उन्हें महिला के मृत शारीर के निचे एक टोकरी में रेशमी कम्बल में लिपटा हुआ 3 माह  का एक बच्चा मिला, दल को अब समझ में आ चूका था की महिला ने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने जीवन का त्याग किया है, भूकंप के दौरान जब घर गिरने वाला था तब उस महिला ने अपने शरीर से सुरक्षा देकर अपने बच्चे की रक्षा की थी, डॉक्टर भी जल्द ही वहां आ पहुंचे।
दल ने जब बच्चे को उठाया तब बच्चा बेहोश था, जब बचाव दल ने बच्चे का कम्बल हटाया तब उन्हें वहां एक मोबाइल मिला जिसके स्क्रीन पर सन्देश लिखा था, "मेरे बच्चे अगर तुम बच गए तो बस इतना याद रखना की तुम्हारी माँ तुमसे बहुत प्यार करती है" मोबाइल बचाव दल में एक हाथ से दुसरे हाथ जाने लगा, सभीने वो सन्देश पढ़ा, सबकी आँखें नम हो गयी...
माँ के प्रेम से बढ़ कर दुनिया में और कोई प्रेम नहीं हो सकता।

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जरूर पढ़ें...
कुछ समय पहले चीन में आये भूकंप में एक दिल को छु लेने वाली घटना हुई..
भूकंप के बाद बचाव कार्य का एक दल एक महिला के पूर्ण रूप से ध्वस्त हुए घर की जांच कर रहा था, बारीक दरारों में से महिला का मृत शारीर दिखा लेकिन वो एक अजीब अवस्था में था, महिला अपने घुटनों के बल बैठी थी ठीक वैसे ही जैसे मंदिर में लोग भगवान् के सामने नमन करते है, उसके दोनों हाथ किसी चीज़ को पकडे हुए थे, भूकंप से उस महिला की पीठ व् सर को काफी क्षति पहुंची थी,
काफी मेंहनत के बाद दल के सदस्य ने बारीक दरारों में से जगह बना कर अपना हाथ महिला की तरफ बढाया इस उम्मीद में की शायद वो जिंदा हो, लेकिन महिला का शारीर ठंडा हो चूका था, जिसे बचाव दल समझ गया की महिला मर चुकी है,
बचाव दल ने उस घर को छोड़ दिया और दुसरे मकानों की तरफ चलने लगे, बचाव दल के प्रमुख का कहना थाकी "पता नहीं क्यूँ मुझे उस महिला का घर अपनी तरफ खींच रहा था,कुछ था जो मुझसे कह रहा था के मैं इस घर को ऐसे छोड़ कर न जाऊं और मैंने अपने दिल की बात मानने का फैसला किया"
उसके बाद बचाव दल एक बार फिर उस महिला के घर की तरफ पहुंचे, दल प्रमुख ने मलबे को सावधानी से हटा कर बारीक दरारों में से अपना हाथ महिला की तरफ बढ़ाया और उसके शरीर के निचे स्थित जगह को हाथों से टटोलने लगे, तभी उनके मुह से निकला "बच्चा... यहाँ एक बच्चा है "पूरा दल काम में जुट गया, सावधानी से मलबा हटाया जाने लगा, तब उन्हें महिला के मृत शारीर के निचे एक टोकरी में रेशमी कम्बल में लिपटा हुआ 3 माह का एक बच्चा मिला, दल को अब समझ में आ चूका था की महिला ने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने जीवन का त्याग किया है, भूकंप के दौरान जब घर गिरने वाला था तब उस महिला ने अपने शरीर से सुरक्षा देकर अपने बच्चे की रक्षा की थी, डॉक्टर भी जल्द ही वहां आ पहुंचे।
दल ने जब बच्चे को उठाया तब बच्चा बेहोश था, जब बचाव दल ने बच्चे का कम्बल हटाया तब उन्हें वहां एक मोबाइल मिला जिसके स्क्रीन पर सन्देश लिखा था, "मेरे बच्चे अगर तुम बच गए तो बस इतना याद रखना की तुम्हारी माँ तुमसे बहुत प्यार करती है" मोबाइल बचाव दल में एक हाथ से दुसरे हाथ जाने लगा, सभीने वो सन्देश पढ़ा, सबकी आँखें नम हो गयी...
माँ के प्रेम से बढ़ कर दुनिया में और कोई प्रेम नहीं हो सकता।

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

,अशफाकुल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह जी का ''बलिदान दिवस '' है..



आज काकोरी काण्ड में सहयोग  देने वाले आदरणीय रामप्रसाद बिस्मिल,,अशफाकुल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह जी का ''बलिदान दिवस '' है..
हम सबकी और से इन वीरों को शत शत नमन और क्षमा प्रार्थना की हम आपकी दी गई आजादी का सदुपयोग नहीं कर पा रहे..

जिन्दगी ज़िन्दादिली को जानिए ''रोशन'',
वरना कितने मरे और पैदा होते जाते हैं।
वन्दे मातरम् ।











आज काकोरी काण्ड में सहयोग देने वाले आदरणीय रामप्रसाद बिस्मिल,,अशफाकुल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह जी का ''बलिदान दिवस '' है..
हम सबकी और से इन वीरों को शत शत नमन और क्षमा प्रार्थना की हम आपकी दी गई आजादी का सदुपयोग नहीं कर पा रहे..

जिन्दगी ज़िन्दादिली को जानिए ''रोशन'',
वरना कितने मरे और पैदा होते जाते हैं।
वन्दे मातरम् ।

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

सब में एक ही परमात्मा


यह बात उस समय की है जब गुरु गोविंद सिंह जी मुगलों से संघर्ष कर रहे थे। युद्ध में उनके सभी शिष्य अपने-अपने तरीके से सहयोग कर रहे थे। शाम को युद्ध समाप्त हो जाने के बाद गुरु गोविंद सिंह जी के सभी सेनानी उनके साथ बैठकर उनसे उपदेश ग्रहण करते और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करते थे। हर सेनानी को गुरु जी ने निश्चित जिम्मेदारी सौंप रखी थी ताकि वे अपना ध्यान युद्ध पर लगा सकें।

एक दिन उन्होंने अपने एक शिष्य धन्ना को युद्ध में सैनिकों को पानी पिलाने का काम सौंपा। वह अपने कंधे पर पानी से भरा मशक लटकाकर सैनिकों को पानी पिलाने के काम में तन-मन से जुट गया। युद्ध करते हुए जब काफी समय बीत गया तो एक दिन किसी सैनिक ने गुरु गोविंद सिंह जी से शिकायत की कि धन्ना घायल सिखों के साथ दुश्मन के भी घायल सैनिकों को पानी पिलाता है। जब उसे मना करते हैं तो वह हमारी बात को स्वीकार नहीं करता और अपने काम में लगा रहता है। गुरु जी ने धन्ना को अपने पास बुलाया और पूछा, 'क्यों धन्ना, क्या यह सच है कि तुम घायल सिख सैनिकों के साथ मुगलों के सैनिकों को भी पानी पिलाते हो?'

धन्ना ने हाथ जोड़कर उत्तर दिया, 'हां, गुरु महाराज, यह पूरी तरह सच है कि मैं शत्रु के सैनिकों को भी पानी पिलाता हूं क्योंकि युद्ध भूमि में पहुंचने पर मुझे शत्रु और मित्र में कोई अंतर नहीं दिखाई देता। फिर मैं आपकी दी हुई शिक्षा के अनुसार सब में एक ही परमात्मा को देखता हूं। इसलिए मुझे जो भी घायल पड़ा दिखाई देता है, वह चाहे सिख हो या मुगल, मैं उन सभी को समान रूप से पानी पिलाता हूं।'

रविवार, 4 नवंबर 2012

नेहरू(nehru) का जन्म वेश्यालय में हुआ था,




मोतीलाल (वेश्यालय मालिक) व नेहरू(nehru) का जन्म वेश्यालय में हुआ था,


मोतीलाल (भारत के प्रथम प्रधान मंत्री का पिता) अधिक पढ़ा लिखा व्यक्ति नहीं था, कम उम्र में विवाह के बाद जीविका की खोज में वह इलाहबाद आ गया था,

हमें यह पता नहीं कि निश्चित रूप से वह इलाहबाद में कहाँ आकर बसा होगा ,किन्तु हम विश्वास नहीं कर सकते कि उसके बसने का स्थान मीरगंज रहा होगा, जहाँ तुर्क व मुग़ल अपहृत हिन्दू महिलाओं को अपने मनोरंजन के लिए रखते थे, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि अब हम अच्छी तरह जान चुके हैं कि मोतीलाल अपनी दूसरी पत्नी के साथ मीरगंज में वेश्याओं के इलाके में रहा था,

पहली पत्नी एक पुत्र के होने के बाद ही मर गयी थी, कुछ दिन पश्चात उसका पुत्र भी मर गया, जिसके बाद वह कश्मीर लोट गया.. जहाँ पर एक बार फिर तीसरा विवाह किया, और तीसरी पत्नी के साथ फिर से इलाहबाद लौट आया, उसने जीविका चलने के लिए वेश्यालय चलने का निश्चय किया, दिन के समय मोतीलाल कचहरी में मुख्तार का काम करता था, उसी उच्च न्यायलय में एक प्रसिद्द वकील मुबारक अली था जिसकी वकालत बहुत चलती थी, इशरत मंजिल के नाम से उसका एक मकान था,


कचहरी से मोतीलाल पैदल ही अपने घर लोटता था, मुबारक अली भी शाम को रंगीन बनाने के लिए मीरगंज आता रहता था. एक दिन मीरगंज में ही मोतीलाल मुबारक अली से मिला और अपनी नई पत्नी के साथ रात बिताने का निमंत्रण दिया, सौदा पट गया.. और इस प्रकार मोतीलाल के सम्बन्ध मुबारक अली से बन गए, दोनों ने इटावा की विधवा रानी को उसका राज्य वापस दिलाने के लिए जमकर लूटा, उस समय लगभग १० लाख की फीस ली., और आधी आधी बाँट ली.. यही से मोतीलाल की किस्मत का सितारा बदल गया.


इसी बीच मोतीलाल की बीबी गर्भवती हो गयी, मुबारक ने माना कि बच्चा उसी की नाजायज ओलाद है, मोतीलाल ने मुबारक से भावी संतान के लिए इशरत महल में स्थान माँगा, किन्तु मुबारक ने मना कर दिया.. किन्तु जच्चा- बच्चा का सारा खर्च वहन किया, अंत में भारत का भावी प्रधान मंत्री मीरगंज के वेश्यालय में पैदा हुआ,

जैसे ही जवाहर पीएम् बना वैसे ही तुरंत उसने मीरगंज का वह मकान तुडवा दिया, और अफवाह फैला दी कि वह आनद भवन (इशरत महल)में पैदा हुआ था जबकि उस समय आनंद भवन था ही नहीं,


मुबारक का सम्बन्ध बड़े प्रभुत्वशाली मुसलमानों से था, अवध के नवाब को जब पता चला कि मुबारक का एक पुत्र मीरगंज के वेश्यालय में पल रहा है तो उसने मुबारक से उसे इशरत महल लाने को कहा, और इस प्रकार नेहरू की परवरिश इशरत महल में हुई, और इसी बात को नेहरू गर्व से कहता था कि उसकी शिक्षा विदेशों में हुई, इस्लाम के तौर तरीके से उसका विकास हुआ, और हिन्दू तो वह मात्र दुर्घटनावश ही था,

और ऐसा ही कुछ सोनिया के विषय में ही कहा जाता है कि जब वो तीन साल की थी, उससे पाँच पहले से उसका बाप जेल में सजा काट रहा था, फिर सोनिया का असली बाप कौन हुआ ??

और ये भी सुना है कि राजीव गाँधी भी राहुल का असली बाप नहीं है, क्योंकि सोनिया के क्र्वोची के साथ बड़े ही घरे रिश्ते थे, जिन रिश्तों की वजह से आजतक सोनिया ने अपने पति राजीव गाँधी की हत्या की जांच नहीं होने दी |

और ये भी सुना है कि राजीव की माँ इंदिरा गाँधी के नाजायज रिश्ते धिरेंदर ब्रह्मचारी जो एक जर्मन टीचर था |

क्या ये पूरा खानदान ही इधर- उधर करके पैदा हुआ है ??
(पुस्तक नेहरु खान वंश,प्रकाशक- मानव रक्षा संघ 

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

HOW to FREEZE Aloe Vera GEL!



HOW to FREEZE Aloe Vera GEL!

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Everybody knows ALOE VERA is great for cuts and sunburns, even bug bites. It's been called the "First Aid" plant. Aloe vera's soothing gel inside the thick, succulent leaves is an incredible natural skin care "product." But what about the rest of the body: are there benefits for your insides too? Actually there are some very powerful benefits from the aloe vera plant. No one plant offers all the health benefits of the aloe vera plant.

~ Benefits Of ALOE VERA ~

• Aloe vera is an antioxidant and cancer fighter, especially
colon cancer

• Reduces and stops inflammation, both internally and externally

• Oxygenates blood and energizes cells, hydrates skin and repairs skin tissue

• Aloe vera heals internal digestive problems such as irritable bowel syndrome, constipation, acid reflux - cleanses the intestinal tract

• Reduces risk factor for strokes and heart attacks by making "sticky" blood "unsticky," and boosts the oxidation of your blood, plus circulation

• Alkalizes the body, helping to balance overly acidic dietary habits

• Boosts cardiovascular performance and physical endurance

• Stabilizes blood pressure and reduces triglycerides

The Harvesting Process

When ready to harvest the gel from an aloe leaf, choose an outer leaf that is healthy and grows toward the bottom of the plant. To remove the leaf, cut it at an angle close to the plant's base. Plants that are too immature to harvest will not have leaves growing close to the ground.

Once you cut the leaf from the plant, place it upright in a container in a slightly tilted position. Let the leaf stay in that position for approximately 10 to 12 minutes, allowing the sap to drain from the leaf.

Place the aloe leaf on a flat surface such as a cutting board. Carefully cut off the tip of the leaf and the pointed rough edges on both sides using a very sharp knife. Make certain to cut both sides of the leaf all the way from top to bottom.
Separate the front and back of the leaf by slicing it lengthwise
from the inside.

Scoop out both the slimy mucilage gel and the clear inner gel which appears more as a solid gel. For most leaves, a spoon works for scooping out the gel. If the leaf is very large, a butter knife may work best. When removing the gel, it is important to press down lightly but firmly, being careful not to remove any remaining sap.

Storing the Aloe Vera Gel

Store the aloe gel in the refrigerator in a plastic container that is safe for food storage or a glass container. The best container choice is a dark green or brown glass jar, which helps to keep out light. Many people add a drop of vitamin E and a small amount of citric acid powder to prevent discoloration and make the aloe vera gel last longer. In place of citric acid powder, simply crush a vitamin C tablet into powder or use a drop of grapefruit seed extract.




HOW to FREEZE Aloe Vera GEL!


Everybody knows ALOE VERA is great for cuts and sunburns, even bug bites. It's been called the "First Aid" plant. Aloe vera's soothing gel inside the thick, succulent leaves is an incredible natural skin care "product." But what about the rest of the body: are there benefits for your insides too? Actually there are some very powerful benefi
ts from the aloe vera plant. No one plant offers all the health benefits of the aloe vera plant.

~ Benefits Of ALOE VERA ~

• Aloe vera is an antioxidant and cancer fighter, especially
colon cancer

• Reduces and stops inflammation, both internally and externally

• Oxygenates blood and energizes cells, hydrates skin and repairs skin tissue

• Aloe vera heals internal digestive problems such as irritable bowel syndrome, constipation, acid reflux - cleanses the intestinal tract

• Reduces risk factor for strokes and heart attacks by making "sticky" blood "unsticky," and boosts the oxidation of your blood, plus circulation

• Alkalizes the body, helping to balance overly acidic dietary habits

• Boosts cardiovascular performance and physical endurance

• Stabilizes blood pressure and reduces triglycerides

The Harvesting Process

When ready to harvest the gel from an aloe leaf, choose an outer leaf that is healthy and grows toward the bottom of the plant. To remove the leaf, cut it at an angle close to the plant's base. Plants that are too immature to harvest will not have leaves growing close to the ground.

Once you cut the leaf from the plant, place it upright in a container in a slightly tilted position. Let the leaf stay in that position for approximately 10 to 12 minutes, allowing the sap to drain from the leaf.

Place the aloe leaf on a flat surface such as a cutting board. Carefully cut off the tip of the leaf and the pointed rough edges on both sides using a very sharp knife. Make certain to cut both sides of the leaf all the way from top to bottom.
Separate the front and back of the leaf by slicing it lengthwise
from the inside.

Scoop out both the slimy mucilage gel and the clear inner gel which appears more as a solid gel. For most leaves, a spoon works for scooping out the gel. If the leaf is very large, a butter knife may work best. When removing the gel, it is important to press down lightly but firmly, being careful not to remove any remaining sap.

Storing the Aloe Vera Gel

Store the aloe gel in the refrigerator in a plastic container that is safe for food storage or a glass container. The best container choice is a dark green or brown glass jar, which helps to keep out light. Many people add a drop of vitamin E and a small amount of citric acid powder to prevent discoloration and make the aloe vera gel last longer. In place of citric acid powder, simply crush a vitamin C tablet into powder or use a drop of grapefruit seed extract

chanakya



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