इंडिया फर्स्ट ही सेक्यूलरिज्म हैः नरेंद्र मोदी
शो शुरु करते हुए अजय देवगन ने कहा, 'देर से शुरु करने के लिए हम माफी चाहते हैं। हमे बताया गया है कि ट्रैफिक की वजह से पूरा सिस्टम ही क्रैश हो गया और दोबारा शुरु करने में एक घंटे का वक्त लग गया।'
नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ट्रैफिक बढ़ गया और लाखों की तादाद में लोग आ गए जिस कारण सिस्टम क्रैश हो गया। मैं गूगल प्लस का आभारी हूं उसने मुझे आपसे बात करने का मौक
शो शुरु करते हुए अजय देवगन ने कहा, 'देर से शुरु करने के लिए हम माफी चाहते हैं। हमे बताया गया है कि ट्रैफिक की वजह से पूरा सिस्टम ही क्रैश हो गया और दोबारा शुरु करने में एक घंटे का वक्त लग गया।'
नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ट्रैफिक बढ़ गया और लाखों की तादाद में लोग आ गए जिस कारण सिस्टम क्रैश हो गया। मैं गूगल प्लस का आभारी हूं उसने मुझे आपसे बात करने का मौक
ा दिया। मैं देख रहा हूं कि वो किस तरह से ट्रैफिक को मैनेज कर रहे थे। इतनी दिक्कत तो सड़क पर खड़े ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भी नहीं होती होगी जितनी दिक्कत ट्रैफिक क्लियर करने में इन्हें हुई।'
पहला सवाल गुड़गांव के पवन ने पूछा उन्होंने उन्होंने युवा युग की बात उठाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि भारत चीन से पीछे छूट गया है? आपकी राय क्या है?
नरेंद्र मोदीः देश के करोड़ों युवाओं के मन में ये पीड़ा है कि हमारा देश आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है। मैं समझता हूं कि यह दर्द अपने आप में बड़ी शक्ति है। 21वीं सदी एशिया की है और क्या वो चीन की सदी बनेगी या भारत की इस पर बहस हो रही है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और मैं मन से मानता हूं कि इस सदी में भारत नेतृत्व करेगा और विश्व कल्याण के मार्ग पर जाएगा। ये बात सही है कि हमारा देश विश्व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। यदि हम युवाओं की स्किल डेवलवमेंट करेंगे तो हम सही दिशा में जा सकेंगे। यह बात सही है कि चीन ने स्किल डेवलवमेंट पर बहुत काम किया है लेकिन गुजरात में हमने पूरा फोकस स्किल डेवलपमेंट पर ही किया है और इसके कारण हमारे पास एक वर्कफोर्स तैयार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि भारत विश्व गुरु बनेगा और भारत की युवा शक्ति विश्व को लीड करेगी।
लंदन से एक दर्शक ने मोदी से सेक्यूलरिज्म की परिभाषा पूछी तो उन्होंने जवाब दिया, 'आपने बड़ा सनातन सवाल पूछा है। सेक्यूलरिज्म पर हमारे देश में खूब बहस होती है। डिक्शनरी में सेक्यूलरिज्म की जो परिभाषा है वो हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। मेरे लिए सेक्यूलरिज्म के मायने इंडिया फर्स्ट है। भारत सबसे पहले जिसके मन में हैं वो सबसे बड़ा सेक्यूलर है। वोट बैंक की राजनीति ने हमारे सेक्यूलरिज्म को बहुत खोखला कर दिया है। जिस दिन वोट बैंक की राजनीति समाप्त हो जाएगी उस दिन विश्व भारत के सेक्यूलरिज्म को सलाम करेगा।'
बेंगलुरु से एक दर्शक ने सवाल किया, 'युवा राजनीति में नहीं आना चाह रहा है, अगर वो आना भी चाहता है तो परिवार नहीं आने देता, इस पर आपकी राय क्या है?
देखिये राजनीति अपने आप में खराब नहीं है, यही देखा जाये तो भगवान कृष्ण जो करते थे वो सब राजनीति ही थी। भगवान राम जो करते थे वो भी राजनीति ही थी। भगवान बुद्ध राजपरिवार में ही पैदा हुए थे। महात्मा गांधी देश को जगाने के लिए राजनीति में ही आए थे। राजनीति बुरी चीज नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी की ललक को जिंदा नहीं रखा जा सका।
नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, 'देश के युवाओं को अगर स्वराज के निर्माण में हिस्सेदार बनाया होता तो ये दूरी नहीं होती। आज विशेष प्रयास करके राजनीति में आने का प्रयास करना होता है वो नहीं होता। आज से 40 साल पहले देश का जो नेतृत्व उभर कर आया वो या तो स्वतंत्रता संग्रामी थे या फिर कला से जुड़े लोग थे लेकिन धीरे धीरे परिवारों से, जातियों से , बंदूक की नोक से नेता पैदा होने लगे। यह बुराइयां आई हैं और इन्हें दूर करने के लिए युवाओं को नेतृत्व में आना ही होगा। मैं स्वयं बहुत सी सामान्य परिवार से आता हूं। मेरे परिवार में कोई राजनीति का र भी नहीं जानता था लेकिन मैं हिम्मत के साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए निकल पड़ा और काम कर रहा हूं। राजनीति बहुत ही निर्णायक पोजीशन पर होती है। मैं युवाओं को निमंत्रण देता हूं कि राजनीति में आओ। अनुभव से कहता हूं कि कुछ बनने के सपने देखने के लिए राजनीति में नहीं आना चाहिए बल्कि कुछ करने के मकसद से राजनीति में आना चाहिए। आप कुछ करने के उद्देश्य से आएंगे तो कुछ बन भी जाएंगे। राजनीति मक्खन पर लकीर करने वाला खेल नहीं हैं यह पत्थर पर लकीर करने वाला खेल है और पत्थर पर लकीर देश के युवा खीचेंगे।
पहला सवाल गुड़गांव के पवन ने पूछा उन्होंने उन्होंने युवा युग की बात उठाते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि भारत चीन से पीछे छूट गया है? आपकी राय क्या है?
नरेंद्र मोदीः देश के करोड़ों युवाओं के मन में ये पीड़ा है कि हमारा देश आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है। मैं समझता हूं कि यह दर्द अपने आप में बड़ी शक्ति है। 21वीं सदी एशिया की है और क्या वो चीन की सदी बनेगी या भारत की इस पर बहस हो रही है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और मैं मन से मानता हूं कि इस सदी में भारत नेतृत्व करेगा और विश्व कल्याण के मार्ग पर जाएगा। ये बात सही है कि हमारा देश विश्व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। यदि हम युवाओं की स्किल डेवलवमेंट करेंगे तो हम सही दिशा में जा सकेंगे। यह बात सही है कि चीन ने स्किल डेवलवमेंट पर बहुत काम किया है लेकिन गुजरात में हमने पूरा फोकस स्किल डेवलपमेंट पर ही किया है और इसके कारण हमारे पास एक वर्कफोर्स तैयार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि भारत विश्व गुरु बनेगा और भारत की युवा शक्ति विश्व को लीड करेगी।
लंदन से एक दर्शक ने मोदी से सेक्यूलरिज्म की परिभाषा पूछी तो उन्होंने जवाब दिया, 'आपने बड़ा सनातन सवाल पूछा है। सेक्यूलरिज्म पर हमारे देश में खूब बहस होती है। डिक्शनरी में सेक्यूलरिज्म की जो परिभाषा है वो हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। मेरे लिए सेक्यूलरिज्म के मायने इंडिया फर्स्ट है। भारत सबसे पहले जिसके मन में हैं वो सबसे बड़ा सेक्यूलर है। वोट बैंक की राजनीति ने हमारे सेक्यूलरिज्म को बहुत खोखला कर दिया है। जिस दिन वोट बैंक की राजनीति समाप्त हो जाएगी उस दिन विश्व भारत के सेक्यूलरिज्म को सलाम करेगा।'
बेंगलुरु से एक दर्शक ने सवाल किया, 'युवा राजनीति में नहीं आना चाह रहा है, अगर वो आना भी चाहता है तो परिवार नहीं आने देता, इस पर आपकी राय क्या है?
देखिये राजनीति अपने आप में खराब नहीं है, यही देखा जाये तो भगवान कृष्ण जो करते थे वो सब राजनीति ही थी। भगवान राम जो करते थे वो भी राजनीति ही थी। भगवान बुद्ध राजपरिवार में ही पैदा हुए थे। महात्मा गांधी देश को जगाने के लिए राजनीति में ही आए थे। राजनीति बुरी चीज नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी की ललक को जिंदा नहीं रखा जा सका।
नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, 'देश के युवाओं को अगर स्वराज के निर्माण में हिस्सेदार बनाया होता तो ये दूरी नहीं होती। आज विशेष प्रयास करके राजनीति में आने का प्रयास करना होता है वो नहीं होता। आज से 40 साल पहले देश का जो नेतृत्व उभर कर आया वो या तो स्वतंत्रता संग्रामी थे या फिर कला से जुड़े लोग थे लेकिन धीरे धीरे परिवारों से, जातियों से , बंदूक की नोक से नेता पैदा होने लगे। यह बुराइयां आई हैं और इन्हें दूर करने के लिए युवाओं को नेतृत्व में आना ही होगा। मैं स्वयं बहुत सी सामान्य परिवार से आता हूं। मेरे परिवार में कोई राजनीति का र भी नहीं जानता था लेकिन मैं हिम्मत के साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए निकल पड़ा और काम कर रहा हूं। राजनीति बहुत ही निर्णायक पोजीशन पर होती है। मैं युवाओं को निमंत्रण देता हूं कि राजनीति में आओ। अनुभव से कहता हूं कि कुछ बनने के सपने देखने के लिए राजनीति में नहीं आना चाहिए बल्कि कुछ करने के मकसद से राजनीति में आना चाहिए। आप कुछ करने के उद्देश्य से आएंगे तो कुछ बन भी जाएंगे। राजनीति मक्खन पर लकीर करने वाला खेल नहीं हैं यह पत्थर पर लकीर करने वाला खेल है और पत्थर पर लकीर देश के युवा खीचेंगे।
—
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें