बलात्कारी राहुल गांधी ने किया बलात्कार, मामले को दबा रही है सरकार
मित्रो राहुल गांधी -सुकन्या देवी बलात्कार काण्ड के बारे में लगभग सबको पता चल चुका है . लेकिन अभिषेक मनू सिंघवी सेक्स कांड की तरह भारत की बिकाऊ मिडिया इस मामले पर भी खामोश है. अब हम सोशल मिडिया से इस खबर को सब के सामने लायेंगे. हर देशभक्त का फर्ज है वह इस को शेयर करे.
राहुल गांधी और उनके छह दोस्तों ने 3 दिसंबर 2006 की रात अमेठी के एक गेस्ट हाउस में 24 वर्षीय सुकन्या देवी के साथ बारी बारी से बलात्कार किया था. राहुल गांधी और सोनिया गांधी के इशारे पर सुकन्या सहित उसके माता पिता को "गायब" कर दिया गया है. लेकिन इस बीच एक नोटिस ने राज के ऐसे बहुत सारी पर्तों को उघाड़ देती है जो राहुल गांधी बलात्कार कांड को संदेह के घेरे में ला खड़ा करता है.इस संबंध में 1 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को एक नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा था कि वे इस संबंध में अदालत को अपने पक्ष से अवगत कराएं. राहुल गांधी को अदालत ने दो सप्ताह का वक्त दिया था. लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही अदालत में एक डबल बेंच बैठी और उसने न केवल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राहुल गांधी द्वारा सुकन्या तथा उसके परिजनों को बंधक बनाकर रख लेने का संदेह जताया गया था बल्कि याचिकाकर्ता किशोर समरीते पर पचास लाख का जुर्माना भी लगा दिया.
अब किशोर समरीते क्या कहते हैं?क्या है घटना?3 दिसंबर 2006 की रात नौ बजे अमेठी के गेस्ट हाउस में राहुल गांधी अपने छह विदेशी मित्रों के साथ रुके थे. कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ता और सोनिया गांधी के भक्त बलराम सिंह उसी गेस्ट हाउस की देखभाल करते थे. ऐसा समझा जाता है कि राहुल गांधी के करीब पहुंचने के लिए बलराम सिंह ने अपनी 24 वर्षीय सुकन्या देवी को किसी बहाने से उनके पास भेजा. वहां सुकन्या देवी को पहले राहुल गांधी और उनके दोस्तों ने शराब पिलाई और बारी बारी से बलात्कार किया. बताते हैं कि सुकन्या देवी चीखती चिल्लाती रही लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी. बलराम सिंह को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी के साथ गैंगरेप हो जाएगा. घटना के बाद बलराम सिंह ने स्थानीय पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन बलराम सिंह की शिकायत दर्ज नहीं की गयी, उल्टे उन्हें मुंह बंद रखने का सख्त निर्देश भी दिया गया.उस रात पूरी अमेठी में कांग्रेस के गुंडों ने लोगों को मुंह खोलने पर सबक सिखाने की धमकियां दी और जब इस बारे में सुकन्या की मां सुमित्रा देवी ने प्रेस से बात करने की कोशिश की तो उसे और सुकन्या को जान से मारने की धमकी भी दी गयी. इसके बाद भी सुकन्या और उसकी मां चुप नहीं बैठे और बताया जाता है कि 27 दिसंबर 2006 को बलराम सिंह सहित पूरे परिवार ने सोनिया गांधी से मिलने की कोशिश की. सोनिया गांधी ने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद भी वह परिवार चुप नहीं बैठा और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की. शिकायत हुए तीन साल से ज्यादा बीत गये लेकिन आज तक इस मामले में राहुल गांधी या सोनियो गांधी को कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है.इस बीच अफवाहों का दौर जारी रहा. लेकिन मामला उस वक्त एक बार फिर सामने आ गया जब सुकन्या सहित उसके पूरे परिवार के गायब होने की खबर सामने आ गयी. लेकिन विडंबना देखिए कि मीडिया ने नोटिस को खबर नहीं बनाया लेकिन जब नोटिस को खारिज करके याची पर जुर्माना लगाया गया तो समूची मीडिया ने उसे खबर बना दिया और यह साबित करने की कोशिश में जुट गया मानों राहुल गांधी पर कोई सिरफिरा आरोप लगा रहा है. कांग्रेस के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है इसलिए सच्चाई बताने या लिखनेवाले को कभी भी कहीं भी मौत की नींद सुलाया जा सकता है. शायद यही डर है कि मीडिया घराने इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे राहुल को पाक साफ घोषित कर रहे हैं लेकिन कोई किशोर समरीते को नहीं सुन रहा है जो चीख चीख कर रहे हैं कि उनकी जान को भी खतरा पैदा हो गया है क्योंकि उन्होंने सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की है. सुकन्या और उसका पूरा परिवार कहां है यह आज भी रहस्य बना हुआ।
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